
#गिरिडीह #छात्रवृत्ति_संघर्ष : समाहरणालय के समक्ष छात्रवृत्ति नहीं मिलने पर छात्रों का विरोध प्रदर्शन—उपायुक्त को सौंपा गया ज्ञापन
- आजसू छात्र संघ गिरिडीह ने जिला सचिव अक्षय यादव के नेतृत्व में धरना-प्रदर्शन किया।
- छात्रों ने 2024-25 सत्र की छात्रवृत्ति लंबित रहने को लेकर नाराजगी जताई।
- उपायुक्त रामनिवास यादव को झारखंड कल्याण विभाग के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
- छात्रों का आरोप—राज्य और केंद्र सरकार के विवाद से हजारों विद्यार्थियों पर असर।
- 10वीं से लेकर पीजी, बीएड, लॉ, इंजीनियरिंग, फार्मेसी तक के छात्र प्रभावित।
- 2025-26 की प्रक्रिया शुरू, पर 2024-25 की छात्रवृत्ति का कोई समाधान नहीं।
गिरिडीह जिले में मंगलवार को छात्रवृत्ति के लंबित रहने के मुद्दे पर छात्रों का आक्रोश खुलकर सामने आया। आजसू छात्र संघ के नेतृत्व में बड़ी संख्या में छात्र पपरवाटांड स्थित समाहरणालय पहुंचे और 2024-25 सत्र की छात्रवृत्ति अब तक नहीं मिलने पर विरोध जताया। छात्रों ने आरोप लगाया कि राज्य और केंद्र सरकार के बीच विवाद का खामियाज़ा सीधे तौर पर विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। ज्ञापन सौंपते समय छात्रों ने कहा कि इसका असर उनकी पढ़ाई, फीस जमा करने और आगे की शिक्षा पर गंभीर रूप से पड़ रहा है।
छात्रवृत्ति विवाद पर बढ़ता असंतोष
धरने का नेतृत्व आजसू छात्र संघ गिरिडीह के जिला सचिव अक्षय यादव ने किया। उन्होंने बताया कि हजारों छात्र-छात्राएं लंबे समय से छात्रवृत्ति की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जबकि उनकी आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति इस सहायता पर निर्भर है।
10वीं, 11वीं, 12वीं, यूजी, पीजी, बीएड, लॉ, बीटेक, इंजीनियरिंग और फार्मेसी के विद्यार्थियों को 2024-25 सत्र की छात्रवृत्ति अभी तक प्राप्त नहीं हुई है, जिससे वे भारी संकट में हैं।
उपायुक्त को सौंपा गया ज्ञापन
छात्रों ने झारखंड कल्याण विभाग मंत्रालय के नाम ज्ञापन उपायुक्त रामनिवास यादव को सौंपा और तत्काल समाधान की मांग की।
ज्ञापन में कहा गया कि छात्रवृत्ति में देरी के कारण कई छात्र आगे की पढ़ाई जारी रखने में असमर्थ हो रहे हैं।
छात्रों ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
नए सत्र की प्रक्रिया शुरू, पुराना सत्र अभी भी लंबित
सरकार ने 2025-26 सत्र के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन 2024-25 की छात्रवृत्ति अभी तक जारी नहीं की गई है।
इस स्थिति से लाखों पिछड़े वर्ग के विद्यार्थी प्रभावित हैं, जिनकी शिक्षा सीधे तौर पर खतरे में है।
छात्रों ने कहा कि यदि पुराना लंबित भुगतान नहीं होता है, तो नया सत्र भी संकट में पड़ सकता है।
केंद्र-राज्य विवाद से छात्र परेशान
आजसू छात्र संघ ने आरोप लगाया कि राज्य और केंद्र सरकार के बीच समन्वय की कमी के कारण कल्याणकारी योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।
इसका भार अब उन छात्रों पर आ गया है जो इन योजनाओं पर निर्भर हैं।
पढ़ाई, कॉलेज फीस, हॉस्टल शुल्क और अन्य खर्चों पर इसका सीधा असर दिख रहा है।
न्यूज़ देखो: छात्रों की समस्याओं पर सरकार की उदासीनता चिंता का विषय
छात्रवृत्ति जैसी बुनियादी सहायता में देरी सरकारों की संवेदनहीनता को दिखाती है।
हजारों छात्र शिक्षा से वंचित होने के कगार पर हैं, और प्रशासन को तत्काल समाधान निकालना चाहिए।
राज्य और केंद्र के विवाद का बोझ छात्रों पर डालना किसी भी रूप में न्यायसंगत नहीं है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
शिक्षा का अधिकार, संघर्ष जारी रखें
छात्रवृत्ति मांगना कोई एहसान नहीं बल्कि छात्रों का अधिकार है। जब युवा अपनी आवाज उठाते हैं तो व्यवस्था को मजबूरन सुनना पड़ता है।
ऐसे आंदोलनों से ही नीतियां बदलती हैं और सरकारें जागती हैं।
आप भी अपनी शिक्षा और अधिकारों के प्रति सजग रहें, और ज़रूरत पड़ने पर एकजुट होकर आवाज उठाएं।
अपनी राय कमेंट करें, खबर को साझा करें और इस मुद्दे को ज़्यादा से ज़्यादा छात्रों तक पहुंचाकर जागरूकता बढ़ाएं।





