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रंका में विद्यार्थियों को मिली सुरक्षा और जागरूकता की पाठशाला, पुलिस ने खोले साईबर से नशे तक के खतरे का ज्ञान

#गढ़वा #जागरूकता_अभियान : छात्रों को सिखाया डिजिटल सुरक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी का महत्व

गढ़वा जिले के रंका अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ने मंगलवार को क्षेत्र के दो प्रमुख विद्यालयों — संत जोसेफ +2 उच्च विद्यालय विश्रामपुर और राजकीय कृत +2 उच्च विद्यालय रंका 01 — में विशेष जागरूकता कार्यशाला आयोजित की। उद्देश्य था छात्रों को न केवल अपनी सुरक्षा के प्रति सजग करना, बल्कि उन्हें समाज में जागरूकता के वाहक के रूप में तैयार करना।

दो विद्यालयों में एक साथ जागरूकता अभियान

कार्यशाला में दोनों विद्यालयों के शिक्षक और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत साइबर सुरक्षा के विषय से हुई, जिसमें बताया गया कि ऑनलाइन धोखाधड़ी, फेक प्रोफाइल, पासवर्ड सुरक्षा और संदिग्ध लिंक से बचाव किस तरह किया जा सकता है।

महिला सुरक्षा और बाल विवाह पर सख्त संदेश

महिला सुरक्षा के मुद्दे पर पुलिस पदाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि छेड़छाड़, उत्पीड़न और महिला विरोधी अपराधों की तुरंत शिकायत करें। साथ ही बाल विवाह की कानूनी रोक और इसके दुष्परिणामों पर भी विस्तार से चर्चा की गई।

सड़क सुरक्षा और नशा मुक्ति का महत्व

छात्रों को सड़क पर सतर्क रहना, यातायात नियमों का पालन करना और हेलमेट/सीट बेल्ट के उपयोग की आदत डालने की सलाह दी गई। नशा मुक्ति विषय पर पुलिस ने शराब, तंबाकू और नशे के अन्य रूपों से होने वाले शारीरिक, मानसिक और सामाजिक नुकसान के बारे में बताया।

विद्यार्थियों से सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की अपील

पुलिस ने छात्रों से अपील की कि वे अपने परिजनों, दोस्तों और आसपास के लोगों को भी इन विषयों पर जागरूक करें। यह बताया गया कि सजग नागरिकता और सकारात्मक बदलाव की शुरुआत घर और स्कूल से होती है।

न्यूज़ देखो: युवाओं के साथ संवाद से बदलती तस्वीर

इस तरह के जागरूकता अभियानों से साफ है कि पुलिस केवल कानून लागू करने तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक बदलाव की दिशा में भी सक्रिय है। रंका में आयोजित यह पहल दिखाती है कि सही जानकारी और समय पर मार्गदर्शन युवाओं को गलत राह से बचा सकता है और समाज में सकारात्मकता फैला सकता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जागरूक समाज की ओर एक कदम

हम सभी का कर्तव्य है कि ऐसे अभियानों को सफल बनाने में योगदान दें। अपने बच्चों और युवाओं को जागरूकता कार्यक्रमों में शामिल करें, उनसे सीखी गई बातें दूसरों तक पहुँचाने के लिए प्रेरित करें और समाज में बदलाव की इस कड़ी को मजबूत करें।

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