
#हजारीबाग #शिक्षा_संवेदनशीलता : उत्क्रमित मध्य विद्यालय जोरदाग के स्थानांतरण पर गहरा विरोध — छात्राओं और ग्रामीणों ने राज्यपाल और विधायक से लगाई गुहार
- उत्क्रमित मध्य विद्यालय जोरदाग, केरेडारी के स्थानांतरण के निर्णय का विरोध तेज
- स्थानीय छात्राएं और ग्रामीण राज्यपाल से मिलीं, निर्णय रद्द करने की मांग
- डुमरी विधायक जयराम महतो से भी की मुलाकात, मिला समाधान का आश्वासन
- उपायुक्त कार्यालय से स्थानांतरण की चिट्ठी निकलने के बाद भड़का आक्रोश
- ग्रामीणों का आरोप: बच्चों की शिक्षा के अधिकार से किया जा रहा खिलवाड़
स्थानांतरण के निर्णय से नाराज़ छात्राएं और ग्रामीण
हजारीबाग जिले के केरेडारी प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय जोरदाग के स्थानांतरण के प्रशासनिक निर्णय ने स्थानीय क्षेत्र में शिक्षा को लेकर संकट की स्थिति उत्पन्न कर दी है। जैसे ही इस विद्यालय को स्थानांतरित करने की सूचना सार्वजनिक हुई, छात्राएं, उनके अभिभावक और स्थानीय ग्रामीण विरोध में सड़कों पर उतर आए।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इस विद्यालय का स्थानांतरण आसपास के सैकड़ों विद्यार्थियों के शिक्षा अधिकार पर सीधा प्रहार है। ग्रामीणों के अनुसार, यह विद्यालय वर्षों से गांव के बच्चों की शिक्षा की नींव रहा है, और इसके हटने से दूरस्थ क्षेत्रों में पढ़ाई बाधित होगी।
राज्यपाल से मिलकर रखी बात
आक्रोशित छात्राओं और स्थानीय ग्रामीणों का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल महोदय से मिला और उनसे आग्रह किया कि इस स्थानांतरण के आदेश को तुरंत रद्द किया जाए। उन्होंने कहा कि इस विद्यालय के हटने से लड़कियों की शिक्षा सबसे अधिक प्रभावित होगी, क्योंकि लंबी दूरी तय करना उनके लिए असुरक्षित और असंभव हो जाएगा।
एक छात्रा ने कहा: “हम रोज इसी विद्यालय में पढ़ने आते हैं। अगर इसे हटा दिया गया तो हमें पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी। यह हमारे भविष्य के साथ अन्याय है।”
विधायक से मिला भरोसा
छात्राएं और ग्रामीण डुमरी विधायक जयराम कुमार महतो से भी मिले और उन्होंने अपनी पूरी समस्या विस्तार से बताई। विधायक ने पूरी गंभीरता से मामले को सुना और जल्द समाधान का आश्वासन दिया।
विधायक जयराम कुमार महतो ने कहा: “शिक्षा बच्चों का मौलिक अधिकार है। यदि स्थानांतरण से बच्चों को परेशानी होगी, तो मैं इसे उच्च स्तर पर उठाऊंगा और ज़रूरी कार्रवाई करूंगा।”
उपायुक्त कार्यालय की चिट्ठी बनी विरोध की जड़
यह विवाद तब शुरू हुआ जब हजारीबाग उपायुक्त कार्यालय से विद्यालय के स्थानांतरण की चिट्ठी जारी हुई। उसके बाद से ही स्थानीय लोग आंदोलित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने बिना स्थानीय स्तर पर कोई विचार-विमर्श किए यह निर्णय लिया, जो पूरी तरह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विरुद्ध है।
वे यह भी कह रहे हैं कि अगर यह निर्णय रद्द नहीं हुआ तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने को विवश होंगे।

न्यूज़ देखो: शिक्षा से जुड़ा हर निर्णय हो लोगों की सहमति से
न्यूज़ देखो मानता है कि शिक्षा से जुड़े निर्णयों में केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि जनभावनाओं और स्थानीय परिस्थितियों को भी अहमियत दी जानी चाहिए। किसी विद्यालय का स्थानांतरण सिर्फ भवन का स्थान बदलना नहीं, बल्कि सैकड़ों बच्चों के भविष्य को प्रभावित करना होता है। ऐसे में हर निर्णय संवेदनशीलता, संवाद और सहभागिता से लिया जाए — यही लोकतांत्रिक और विकासशील समाज की पहचान है।
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पढ़ाई पर अधिकार सबका — आवाज़ उठाएं, समाधान पाएं
शिक्षा की समस्याएं केवल छात्रों की नहीं, पूरे समाज की होती हैं। यदि आपके क्षेत्र में भी ऐसा कोई मुद्दा है, तो उसे सामने लाएं। इस खबर को साझा करें, कमेंट करें और जिम्मेदार अधिकारियों तक पहुंचाएं।
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