
#गिरिडीह #बालविवाह_निरोध : इसरी बाज़ार स्थित जैन मध्य विद्यालय में विद्यार्थियों को बाल विवाह विरोधी शपथ दिलाकर जागरूकता अभियान को मजबूत बनाया गया
- इसरी बाज़ार, गिरिडीह के जैन मध्य विद्यालय में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित।
- छात्रों को बाल विवाह रोकने की शपथ दिलाई गई।
- प्रधानाध्यापक सुनील कुमार जैन ने अभियान के महत्व पर प्रकाश डाला।
- बाल विवाह मुक्त भारत अभियान 27 नवंबर 2024 को शुरू किया गया था।
- विद्यालय के अशोक कुमार सिन्हा, नेम कुमार जैन, अंकित जैन, राजेश कुमार ठाकुर सहित कई शिक्षकों का योगदान।
गिरिडीह जिले के इसरी बाज़ार स्थित पारसनाथ दिगम्बर जैन मध्य विद्यालय में जिला प्रशासन द्वारा संचालित बाल विवाह रोकथाम अभियान के तहत गुरुवार को एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के छात्रों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में जानकारी दी गई और समाज में बाल विवाह को जड़ से खत्म करने के उद्देश्य से सामूहिक शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को भविष्य में सजग नागरिक के रूप में तैयार करना और समाज में जागरूकता फैलाना था।
शपथ ग्रहण कार्यक्रम और प्रधानाध्यापक का संदेश
जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुनील कुमार जैन के संबोधन से हुई। उन्होंने कहा कि बाल विवाह न केवल बच्चे के स्वास्थ्य और शिक्षा को प्रभावित करता है, बल्कि समाज की प्रगति में बाधा भी बनता है। इसके रोकथाम के लिए प्रत्येक व्यक्ति की जागरूकता और भागीदारी बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा:
सुनील कुमार जैन ने कहा: “बाल विवाह मुक्त भारत का सपना तभी पूरा होगा जब हर नागरिक इस कुप्रथा के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाए और जागरूक बने।”
प्रधानाध्यापक ने विद्यार्थियों को बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 27 नवंबर 2024 को बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की गई थी, जिसके तहत देशभर में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
शिक्षकों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के कई शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
इसमें अशोक कुमार सिन्हा, नेम कुमार जैन, अंकित जैन, राजेश कुमार ठाकुर, महेश साव, शक्ति प्रसाद महतो, महेश कुमार, जितेंद्र प्रसाद, शिक्षिका ममता कुमारी और मनोरमा कुमारी शामिल रहे।
उन्होंने छात्रों को बाल विवाह से जुड़े कानून, इसके दुष्परिणामों और रोकथाम के उपायों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
विद्यार्थी बने जागरूकता के दूत
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यह था कि विद्यार्थी स्वयं जागरूक बनें और अपने परिवार, समाज एवं आसपास के समुदायों में बाल विवाह के खिलाफ जनजागरण का संदेश फैलाएं। शिक्षकों ने विद्यार्थियों को बताया कि कम उम्र में विवाह से स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं, शिक्षा प्रभावित होती है और भविष्य के अवसर सीमित हो जाते हैं।
विद्यालय प्रबंधन ने इस तरह के कार्यक्रम आगे भी जारी रखने की बात कही, ताकि सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने में शिक्षा संस्थानों की भूमिका मजबूत हो सके।

न्यूज़ देखो: जागरूकता ही बाल विवाह रोकने का सबसे बड़ा हथियार
यह कार्यक्रम बताता है कि बाल विवाह जैसी कुप्रथा को खत्म करने के लिए परिवार, विद्यालय और प्रशासन—तीनों की संयुक्त भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे प्रयास बच्चों को सुरक्षित, शिक्षित और आत्मनिर्भर भविष्य देने में सहायक बनते हैं। जागरूकता अभियान तभी सफल होगा जब समाज के हर स्तर पर लोग इसमें मजबूत भागीदारी निभाएं।
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शिक्षा से बदलेंगे सामाजिक मानदंड
बाल विवाह के खिलाफ ली गई यह शपथ सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि बदलाव की शुरुआत है। जब बच्चे जागरूक होंगे, तभी समाज इस कुप्रथा से मुक्त हो सकेगा। हमें अपने आसपास ऐसे मामलों को रोकने, जागरूकता फैलाने और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
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