#गिरिडीह #रोटरीग्रेटरशिविर – रोटरी गिरिडीह ग्रेटर और महावीर सेवा संस्थान की संयुक्त पहल से 35 लोगों को मिला नया सहारा
- 15 से 17 जून तक ईश्वर स्मृति भवन, बजरंग चौक में आयोजित हुआ शिविर
- 50 लोगों का पंजीकरण, 35 को सफलतापूर्वक लगाए गए कृत्रिम अंग
- गिरिडीह सहित देवघर, बोकारो, बेगूसराय, हंडाडीह जैसे दूरदराज़ क्षेत्रों से पहुंचे लाभार्थी
- कोलकाता स्थित श्री महावीर सेवा संस्थान के तकनीकी सहयोग से हुआ आयोजन
- कार्यक्रम में रोटरी सदस्यों और मेडिकल विशेषज्ञों ने निभाई अहम भूमिका
समाज सेवा की मिसाल बना रोटरी ग्रेटर गिरिडीह का शिविर
रोटरी गिरिडीह ग्रेटर ने सेवा भाव की एक सशक्त मिसाल पेश करते हुए 15 से 17 जून 2025 तक ईश्वर स्मृति भवन, बजरंग चौक, गिरिडीह में तीन दिवसीय निःशुल्क कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर का आयोजन किया। यह शिविर श्री महावीर सेवा संस्थान, कोलकाता के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसमें झारखंड-बिहार के विभिन्न जिलों से दिव्यांगजन शामिल हुए।
35 लोगों को मिला जीवन में नया सहारा
शिविर में कुल 50 जरूरतमंदों का पंजीकरण किया गया, जिनमें से 35 लाभार्थियों को सफलतापूर्वक कृत्रिम अंग प्रदान किए गए। ये अंग उनकी जरूरत और शरीर की स्थिति के अनुसार बनाए और फिट किए गए। शिविर में तकनीकी विशेषज्ञों ने न सिर्फ फिटिंग की बल्कि उन्हें उपयोग के बारे में विस्तार से प्रशिक्षण भी दिया।
सीमाओं से परे पहुंची सेवा
इस शिविर में गिरिडीह जिले के साथ-साथ भेलवाघाटी, झलकडीहा, नावाडीह, राजधनवार, हंडाडीह, हरलाडीह, बोकारो, देवघर और बिहार के बेगूसराय जैसे दूरदराज़ इलाकों से भी लाभार्थी पहुंचे। इससे शिविर की व्यापकता और भरोसे की गहराई का अंदाजा लगाया जा सकता है।
रोटरी के सदस्यों और विशेषज्ञों की रही अहम भूमिका
शिविर के दौरान रोटरी क्लब के सदस्यों ने पंजीकरण, मार्गदर्शन और सुविधा में अहम भूमिका निभाई। वहीं श्री महावीर सेवा संस्थान के कुशल तकनीकी दल ने माप, निर्माण और फिटिंग का कार्य बखूबी संपन्न किया। आयोजन के अंत में लाभार्थियों और उनके परिजनों ने आभार व्यक्त करते हुए रोटरी क्लब के प्रति कृतज्ञता जताई।
न्यूज़ देखो – सेवा के हर चरण पर पैनी नजर
निःशुल्क कृत्रिम अंग शिविर जैसे आयोजन समाज की असली ज़रूरतों को पूरा करने का कार्य करते हैं। न्यूज़ देखो की टीम ने इस सेवा अभियान के हर चरण को संजोया और आपके सामने लाया है ताकि समाज में जागरूकता और सहभागिता दोनों बढ़ें।
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जब सहयोग से मिलता है सहारा
कृत्रिम अंग सिर्फ एक उपकरण नहीं, किसी का टूटा आत्मविश्वास, जीने की उम्मीद और भविष्य का सहारा बनता है। ऐसे आयोजनों से हम मिलकर समावेशी समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।