#महुआडांड़ #प्राकृतिकसौंदर्य : बारिश के बाद और निखरी जलप्रपात की सुंदरता
- सुरकाई जलप्रपात बारिश के बाद पूरे वेग से बह रहा है।
- जलप्रपात लगभग 250-300 फीट की ऊंचाई से गिरकर झील का रूप लेता है।
- आसपास के जंगलों में वन्यजीव और पक्षियों की विविधता देखने को मिलती है।
- स्थानीय लोग और पर्यटक खूबसूरती निहारने पहुंच रहे हैं।
- सरकारी उपेक्षा के कारण विकास कार्य ठप, सुविधाओं का अभाव।
महुआडांड़ प्रखंड का सुरकाई जलप्रपात इन दिनों प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहा है। बारिश के बाद इसका जलस्तर बढ़ गया है और पानी का बहाव तेज हो गया है। चारों तरफ हरे-भरे जंगलों और ऊंचे पहाड़ों से घिरा यह स्थान पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा है।
बारिश ने बढ़ाई जलप्रपात की सुंदरता
ओरसापाठ पंचायत अंतर्गत घने जंगलों के बीच स्थित सुरकाई जलप्रपात एक ही धारा में गिरने वाला प्रमुख झरना है। इसकी लगभग 250-300 फीट ऊंची धारा नीचे गिरकर छोटा सा जलाशय बनाती है और फिर नदी का रूप लेकर बुढ़वा नदी में विलीन हो जाती है। हालिया बारिश के कारण जलप्रपात का प्रवाह और भी आकर्षक हो गया है।
प्राकृतिक संपदा का अद्भुत संगम
झरने के चारों ओर साल, करम, करंज और सिरिस जैसे वृक्षों के साथ-साथ फलदार पौधों और औषधीय वनस्पतियों का मिश्रित जंगल है। यहां की वादियों में बंदर, जंगली सूअर, भालू, भेड़िया, हाथी जैसे वन्यजीव और मोर, महुकाल सहित कई दुर्लभ पक्षी प्रजातियां देखी जा सकती हैं। इन सबके बीच जलप्रपात की कलकल ध्वनि दूर से ही सुनाई देती है, जो रोमांचक यात्रा का आभास कराती है।
पर्यटन विकास से वंचित
प्राकृतिक धरोहर होने के बावजूद सुरकाई जलप्रपात सरकारी उपेक्षा का शिकार है। यहां तक पहुंचने के लिए उचित सड़क और अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। यदि इस स्थल का पर्यटन की दृष्टि से विकास किया जाए तो यह न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देगा, बल्कि महुआडांड़ को पर्यटन मानचित्र पर विशेष पहचान दिला सकता है।
न्यूज़ देखो: उपेक्षित धरोहर से पर्यटन संभावना तक
सुरकाई जलप्रपात जैसे प्राकृतिक स्थल केवल सुंदरता के प्रतीक नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों की आजीविका और पहचान से भी जुड़े हैं। इनके संरक्षण और विकास के लिए प्रशासन को ठोस पहल करनी होगी, ताकि यहां आने वाले पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिल सके और क्षेत्र की आर्थिक-सामाजिक प्रगति भी हो।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
प्रकृति की धरोहर का करें सम्मान
अब समय है कि हम सब मिलकर प्रकृति की इन धरोहरों को बचाने और संवारने में अपनी भूमिका निभाएं। यदि आप भी इस अद्भुत स्थल की खूबसूरती को निहारना चाहते हैं तो इसकी सुरक्षा और स्वच्छता में योगदान दें। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि सबको महुआडांड़ की प्राकृतिक विरासत का महत्व समझ में आए।