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गिरिडीह पुलिस के समक्ष भा०क०पा० (माओवादी) सदस्य शिवलाल हेम्ब्रम और उनकी पत्नी सरिता हांसदा का आत्मसमर्पण: मुख्यधारा में लौटने की मिसाल

#गिरिडीह #आत्मसमर्पण : भा०क०पा० (माओवादी) के एरिया कमेटी सदस्य शिवलाल हेम्ब्रम और उनकी पत्नी सरिता हांसदा ने “नई दिशा – एक नई पहल” के तहत पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया।

शिवलाल हेम्ब्रम और सरिता हांसदा ने आज गिरिडीह पुलिस के समक्ष पूर्णरूपण स्वेच्छा से आत्मसमर्पण किया। इस अवसर पर उपस्थित पुलिस अधिकारियों ने उन्हें आत्मसमर्पण नीति के तहत सभी लाभ प्रदान करने का आश्वासन दिया। दोनों अपने परिजनों की प्रेरणा और सरकार की “नई दिशा” नीति से प्रभावित होकर मुख्यधारा में लौटने का फैसला कर चुके हैं। इस कदम से अन्य उग्रवादी भी आत्मसमर्पण करने के लिए प्रेरित होंगे और नक्सली गतिविधियों में गिरावट आएगी।

गिरिडीह पुलिस की सक्रियता और आत्मसमर्पण नीति

गिरिडीह पुलिस ने लगातार भा०क०पा० (माओवादी) के खिलाफ चौतरफा कार्रवाई की है। इस रणनीति के तहत नक्सली दबाव में आने लगे और उन्होंने संगठन छोड़ने पर विचार किया। पुलिस और परिजनों ने आत्मसमर्पण के दौरान स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की प्रताड़ना नहीं की जाएगी और सरकार द्वारा घोषित पुनर्वास नीति के तहत सभी लाभ प्रदान किए जाएंगे।

उपायुक्त गिरिडीह ने कहा: “हमारा प्रयास है कि नक्सली गतिविधियों को रोकते हुए युवाओं को मुख्यधारा में लौटाया जाए। आत्मसमर्पण करने वालों को सुरक्षित वातावरण और सभी सुविधाएँ दी जाएंगी।”

इस आत्मसमर्पण से गिरिडीह, बोकारो, धनबाद और आसपास के क्षेत्रों में नक्सली घटनाओं में कमी आने की उम्मीद है। पिछले वर्षों में दस लाख रुपए के ईनाम वाले नक्सली राम दयाल महतो का भी आत्मसमर्पण इसी नीति का परिणाम था।

आत्मसमर्पणकर्ताओं की पृष्ठभूमि

शिवलाल हेम्ब्रम ने 6वीं कक्षा तक पढ़ाई की और एरिया कमेटी सदस्य के रूप में संगठन में सक्रिय रहे। उनके खिलाफ मधुबन थाना में दर्ज 02 प्रमुख मामले और आर्म्स एक्ट, यूएपी एक्ट की धाराओं में विभिन्न आरोप हैं।

सरिता हांसदा ने 5वीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की और दस्ता सदस्य के रूप में संगठन में कार्यरत रही। उनके खिलाफ खुखरा थाना में दर्ज 02 मुख्य मामले और विभिन्न गंभीर धाराओं में केस दर्ज हैं।

दोनों ने अपने परिजनों से विचार-विमर्श के बाद नक्सली संगठन छोड़ने और मुख्यधारा से जुड़ने का निर्णय लिया। यह कदम उनके परिवार और समुदाय के लिए भी एक सकारात्मक संदेश है।

आत्मसमर्पण का प्रभाव

भा०क०पा० (माओवादी) के इस कदम से अन्य नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया जा सकेगा। गिरिडीह पुलिस नियमित निगरानी और नक्सल विरोधी अभियान के जरिए क्षेत्र को नक्सल मुक्त बनाने में सफल रही है। इस तरह के आत्मसमर्पण से न केवल नक्सली घटनाओं में कमी आती है, बल्कि युवाओं में मुख्यधारा से जुड़ने की इच्छा भी बढ़ती है।

न्यूज़ देखो: गिरिडीह पुलिस की सक्रियता से नक्सली संगठन कमजोर

इस घटना से स्पष्ट है कि लगातार निगरानी और समाजिक सहयोग से नक्सली गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सकता है। आत्मसमर्पण नीति “नई दिशा – एक नई पहल” का असर न केवल गिरिडीह बल्कि पूरे झारखंड में दिख रहा है। पुलिस और परिजनों की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हो रही है।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

समाज में बदलाव और सक्रिय नागरिकता के लिए प्रेरणा

नक्सली गतिविधियों को छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ना न केवल व्यक्तिगत जीवन के लिए सुरक्षित है, बल्कि समाज की प्रगति के लिए भी लाभकारी है। अपने परिवार और समाज की भलाई के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं। इस आत्मसमर्पण की घटना से प्रेरित होकर आप भी समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर सकते हैं। अपनी राय कमेंट में साझा करें, इस खबर को दोस्तों और परिवार तक पहुंचाएं और जागरूकता फैलाने में योगदान दें।

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