
#गढ़वा #पोषणपखवाड़ा – स्वस्थ जीवनशैली और कुपोषण के विरुद्ध जन-जागरूकता फैलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल
- कृषि विज्ञान केंद्र गढ़वा में शुरू हुआ पोषण पखवाड़ा प्रशिक्षण कार्यक्रम
- 43 आंगनबाड़ी सेविकाओं ने लिया कार्यक्रम में सक्रिय भाग
- संतुलित आहार में आयरन, कैल्शियम, विटामिन और फोलिक एसिड को बताया गया जरूरी
- हरी सब्जियों और देसी सागों के सेवन से स्वास्थ्य लाभ पर दिया गया जोर
- बच्चों और महिलाओं को एनिमिया से बचाने के उपायों की दी गई जानकारी
- कृषि वैज्ञानिकों ने बताया पोषण का समाज पर व्यापक प्रभाव
महिलाओं और बच्चों की सेहत को लेकर गंभीर हुआ कृषि विज्ञान केंद्र
गढ़वा के कृषि विज्ञान केंद्र में 8 अप्रैल 2025 को पोषण पखवाड़ा के अंतर्गत एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम भारत सरकार की उस मुहिम का हिस्सा है जिसका उद्देश्य ग्रामीण भारत में स्वस्थ समाज का निर्माण करना है।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कृषि विज्ञान केंद्र गढ़वा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रधान ने कहा कि—
“पोषण आहार का मतलब सिर्फ पेट भरना नहीं, बल्कि शरीर को वह ऊर्जा देना है जिससे वह हर स्तर पर बेहतर कार्य कर सके।”
उन्होंने कहा कि संतुलित आहार में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिज लवण की समुचित मात्रा होनी चाहिए ताकि शरीर का मेटाबॉलिज्म सही बना रहे।
पोषण से मानसिक और भावनात्मक विकास तक की चर्चा
कार्यक्रम में पशुपालन वैज्ञानिक ने बताया कि—
“महिलाएं और बच्चे अगर संतुलित आहार लेंगे, तो वे एनिमिया जैसी गंभीर समस्याओं से बच पाएंगे। इससे उनका मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास बेहतर होगा।”
उन्होंने विशेष रूप से आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन A, B और C के महत्व पर चर्चा की और बताया कि ये तत्व बच्चों की बुद्धि क्षमता और शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
हरी सब्जियों और देसी सागों का महत्व
इस प्रशिक्षण में यह स्पष्ट किया गया कि स्थानीय सब्जियां और पारंपरिक देसी साग, जैसे पालक, चौराई, मुनगा पत्ता आदि में भरपूर खनिज लवण और फाइबर पाए जाते हैं। ये न सिर्फ शरीर को मजबूत बनाते हैं, बल्कि रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ाते हैं।
कृषि वैज्ञानिकों ने सेविकाओं से आग्रह किया कि वे अपने कार्यक्षेत्र में इस जानकारी को आमजनों तक पहुंचाएं ताकि ग्रामीण समाज कुपोषण की समस्या से मुक्त हो सके।
प्रशिक्षण में सेविकाओं की मजबूत भागीदारी
इस कार्यक्रम में 43 आंगनबाड़ी सेविकाओं ने हिस्सा लिया। वे सभी गहराई से प्रशिक्षण में शामिल हुईं और पोषण संबंधी जानकारी को नोट करती रहीं। मौके पर SRF नवलेश कुमार, राकेश रंजन चौबे, सियाराम पांडे, अमित बैठा, अनिल कुमार, कृष्ण कुमार चौबे सहित वैज्ञानिक और तकनीकी स्टाफ मौजूद रहे।
सेविकाओं में मधुवाला देवी, शालिनी प्रकाश, बबिता देवी, उर्मिला देवी आदि की भागीदारी सराहनीय रही, जिन्होंने कार्यक्रम के दौरान अपने क्षेत्र की पोषण समस्याओं को साझा किया।

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