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गढ़वा में स्वच्छ भारत मिशन कर्मियों का विरोध प्रदर्शन: जिला समन्वयकों पर पक्षपात और भ्रष्टाचार का आरोप

#गढ़वा #विरोध_प्रदर्शन : पेयजल एवं स्वच्छता विभाग कार्यालय में कर्मियों का धरना रोजगार छिनने और मानदेय बकाया को लेकर उठी आवाज

गढ़वा जिले में मंगलवार को स्वच्छ भारत मिशन के तहत काम करने वाले प्रखंड समन्वयक और प्रखंड मोबिलाइजर कर्मियों ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यालय परिसर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पिछले 15 वर्षों से अभियान में योगदान देने वाले 42 कर्मियों को अचानक मौखिक रूप से काम से हटा दिया जा रहा है, जबकि उनकी जगह जिला समन्वयक अपने रिश्तेदारों और चहेतों को नियुक्त कर रहे हैं।

कर्मियों की पीड़ा और आरोप

प्रदर्शन कर रहे कर्मियों का कहना है कि उन्होंने जिले को ओडीएफ (खुले में शौच से मुक्त) बनाने में दिन-रात मेहनत की। इसके बावजूद अब उन्हें किनारे कर दिया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि जिला समन्वयक विनय कांत रवि और नवनीत उपाध्याय पर पहले भी भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। अब ये दोनों एनजीओ के माध्यम से अपने रिश्तेदारों को नियुक्त कर रहे हैं और पुराने कर्मियों को हटाने की कोशिश कर रहे हैं।

कर्मियों का आरोप है कि पिछले एक साल से उन्हें मानदेय भी नहीं दिया गया है। ऐसे में उनका रोजगार पूरी तरह खतरे में है।

भुखमरी की स्थिति का खतरा

कर्मियों ने कहा कि अगर उन्हें हटाया गया तो उनके परिवार भुखमरी के कगार पर आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि 15 साल का समय स्वच्छ भारत मिशन को समर्पित करने के बाद अब वे कहीं और काम करने के लायक नहीं बचे हैं।

प्रदर्शनकारी कर्मियों ने कहा: “हमने जिले को स्वच्छ बनाने में अपनी जवानी और जीवन का समय लगा दिया। अब हमें हटाना सरासर अन्याय है।”

उपायुक्त से गुहार

कर्मियों ने जिला उपायुक्त से इस मामले को गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष जांच कराने और दोषी समन्वयकों पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।

विरोध में शामिल कर्मी

इस विरोध प्रदर्शन में विपिन कुमार, तृप्ति भानु, रशीदा खातून, महताब आलम, दिलीप कुमार यादव, अभय पाल, राहुल कुमार, मो नौशाद अहमद, उषा कुमारी, विपिन कुमार पांडे, विकास कुमार ठाकुर, अमीषा कुमारी सहित दर्जनों कर्मी शामिल हुए।

न्यूज़ देखो: स्वच्छता के सिपाहियों की अनदेखी

गढ़वा की यह घटना बताती है कि जमीनी स्तर पर वर्षों से मेहनत कर रहे कर्मी जब असुरक्षा की स्थिति में पहुंच जाते हैं तो पूरे अभियान की सफलता पर सवाल उठता है। यदि वाकई कर्मियों को मनमाने तरीके से हटाया जा रहा है तो यह गंभीर मामला है। प्रशासन को तत्काल हस्तक्षेप कर जांच करानी चाहिए, ताकि वर्षों की सेवा देने वाले कर्मियों के साथ अन्याय न हो।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

स्वच्छता कर्मियों की आवाज़ को न दबाएँ

जो लोग वर्षों तक समाज के लिए काम करते हैं, उनकी मेहनत को यूं ही दरकिनार करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। समय है कि हम इनकी आवाज़ को बुलंद करें और सुनिश्चित करें कि भ्रष्टाचार और पक्षपात पर रोक लगे। आइए, अपनी राय कमेंट कर साझा करें और इस खबर को आगे बढ़ाएं ताकि प्रशासन तक इन कर्मियों की आवाज़ पहुँच सके।

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