#रमकंडा #एंबुलेंसचालकहड़ताल: 108 एंबुलेंस चालकों ने दूसरे दिन भी काली पट्टी लगाकर जताया विरोध — न्यूनतम वेतन, EPF-ESI और NHM से वेतन भुगतान की मांग
- 108 एंबुलेंस चालक 16–18 जून तक काला बिल्ला लगाकर काम कर रहे हैं
- EPF, ESI, बीमा और जॉइनिंग लेटर की मांग
- 19 जून को जिला मुख्यालयों में कैंडल मार्च, 28 जून को राजभवन के सामने धरना
- गढ़वा जिले के रमकंडा CHC से भी सेवाएं प्रभावित, मरीजों में चिंता
- संघ के प्रदेश अध्यक्ष नीरज तिवारी ने दी चेतावनी — मांगें नहीं मानी गई तो बड़ा आंदोलन
रमकंडा CHC पर दिखा हड़ताल का असर
गढ़वा जिले के सीमावर्ती प्रखंड रमकंडा स्थित CHC (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) एवं अन्य गढ़वा के स्वास्थ्य केंद्रों पर कार्यरत समस्त 108 एंबुलेंस चालकों की सांकेतिक हड़ताल मंगलवार को भी जारी रही। सभी चालक काली पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं, जिससे इमरजेंसी सेवाओं पर दबाव बना हुआ है।
तीन दिवसीय सांकेतिक विरोध, फिर ज़ोरदार प्रदर्शन की तैयारी
झारखंड प्रदेश एंबुलेंस कर्मचारी संघ के बैनर तले यह विरोध 16 से 18 जून तक काला बिल्ला लगाकर दर्ज कराया जा रहा है। 19 जून को सभी जिला मुख्यालयों में कैंडल मार्च और 28 जून को रांची स्थित राजभवन के सामने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन की योजना है।
न्यूनतम मानदेय व अन्य मांगों को लेकर संघर्ष
संघ की प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
- सभी 108 एंबुलेंस कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन
- EPF, ESI, बीमा और जॉइनिंग लेटर का प्रावधान
- पूर्व संस्था की तरह कुशल भुगतान
- प्रति वर्ष वेतनवृद्धि
- NHM (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) से नियमित वेतन भुगतान
नेतृत्व ने जताया सरकार से नाराजगी
नीरज तिवारी (प्रदेश अध्यक्ष) ने कहा: “हमारे समर्पित कार्य के बावजूद हमें न न्यूनतम वेतन मिल रहा है, न कोई सामाजिक सुरक्षा। हमारी मांगे जायज़ हैं और अगर इन्हें नहीं सुना गया तो आंदोलन और उग्र होगा।”
संगठन के प्रमुख पदाधिकारी मौजूद
इस विरोध में कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे, जिनमें कार्यकारी अध्यक्ष मुकेश कुमार, प्रदेश सचिव मृत्युंजय कुमार, कोषाध्यक्ष कुणाल बनर्जी, उपाध्यक्ष रविकांत देव, गढ़वा जिला अध्यक्ष दिनेश कुमार, जिला सचिव रवींद्र शर्मा और रूपेश कुमार प्रमुख हैं।
न्यूज़ देखो: सीमांत स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवाज़ उठाता संघर्ष
रामकंडा जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में 108 एंबुलेंस सेवा ही जीवन रेखा है, जहां अस्पताल दूर हैं और सड़कें चुनौतीपूर्ण। ऐसे में एंबुलेंस कर्मचारियों का यह आंदोलन एक गंभीर चेतावनी है कि ज़मीनी स्वास्थ्य सेवाएं सिर्फ़ मशीनों से नहीं, कर्मियों के हक और हौसले से चलती हैं। न्यूज़ देखो इस संघर्ष का समर्थन करता है और प्रशासन से अपील करता है कि इन कर्मियों की मांगों पर गंभीरता से विचार हो।
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जनता की ज़िम्मेदारी है कि वह अपने क्षेत्र की जरूरी सेवाओं और उनके कर्मियों की दशा को समझे। आइए मिलकर आवाज़ उठाएं, ताकि हम सबका कल सुरक्षित और बेहतर हो।
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