
#बानो #शारीरिक_शिक्षा : लचरागढ़ स्थित विवेकानन्द शिशु-विद्या मंदिर उच्च विद्यालय में नियमित ताइक्वांडो प्रशिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियों में अनुशासन, आत्मविश्वास और आत्मरक्षा कौशल विकसित किया जा रहा है
- विवेकानन्द शिशु-विद्या मंदिर उच्च विद्यालय, लचरागढ़ में नियमित ताइक्वांडो प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित।
- प्रशिक्षण का आयोजन प्रत्येक शनिवार को किया जाता है।
- ताइक्वांडो विशेषज्ञ प्रशिक्षिका दीक्षित कुमारी ने विद्यार्थियों को दी मूल तकनीकों की जानकारी।
- आत्मरक्षा, शारीरिक संतुलन, फुर्ती और एकाग्रता पर विशेष अभ्यास।
- प्रधानाध्यापक राजेंद्र प्रसाद साहू सहित सभी आचार्यों की गरिमामयी उपस्थिति।
विवेकानन्द शिशु-विद्या मंदिर उच्च विद्यालय, लचरागढ़ में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए नियमित ताइक्वांडो प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल संचालन किया जा रहा है। शनिवार को आयोजित प्रशिक्षण सत्र में विद्यालय के सभी भैया-बहनों ने पूरे उत्साह, लगन और अनुशासन के साथ भाग लिया। विद्यालय परिसर में इस दौरान सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास से भरा वातावरण देखने को मिला। यह कार्यक्रम न केवल शारीरिक विकास, बल्कि मानसिक मजबूती और आत्मरक्षा कौशल को भी बढ़ावा दे रहा है।
नियमित ताइक्वांडो प्रशिक्षण का उद्देश्य
विद्यालय प्रशासन के अनुसार ताइक्वांडो प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में अनुशासन, आत्मविश्वास, साहस और शारीरिक सुदृढ़ता का विकास करना है। आज के समय में बच्चों को केवल शैक्षणिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि आत्मरक्षा और आत्मसंयम जैसे गुणों से भी सुसज्जित करना आवश्यक हो गया है। इसी सोच के तहत यह प्रशिक्षण कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किया जा रहा है।
विद्यालय परिवार का मानना है कि ताइक्वांडो जैसे मार्शल आर्ट से विद्यार्थी अपने भीतर छिपी क्षमताओं को पहचानते हैं और कठिन परिस्थितियों में आत्मरक्षा करने में सक्षम बनते हैं।
प्रशिक्षिका दीक्षित कुमारी ने दिए व्यावहारिक प्रशिक्षण
शनिवार को आयोजित प्रशिक्षण सत्र में ताइक्वांडो विशेषज्ञ प्रशिक्षिका दीक्षित कुमारी ने विद्यार्थियों को ताइक्वांडो की मूल तकनीकों से अवगत कराया। उन्होंने आत्मरक्षा के प्रारंभिक गुर, शारीरिक संतुलन, फुर्ती, एकाग्रता और आत्मसंयम से संबंधित महत्वपूर्ण अभ्यास कराए।
प्रशिक्षण के दौरान बच्चों ने पूरे मनोयोग से अभ्यास किया और हर तकनीक को सीखने में विशेष रुचि दिखाई। प्रशिक्षिका ने विद्यार्थियों को बताया कि ताइक्वांडो केवल शारीरिक शक्ति का खेल नहीं, बल्कि मानसिक संतुलन और आत्मनियंत्रण की भी कला है।
विद्यार्थियों में दिखा आत्मविश्वास और अनुशासन
प्रशिक्षण सत्र के दौरान विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, साहस और अनुशासन का विशेष उत्साह देखने को मिला। एक साथ अभ्यास करते हुए बच्चों ने टीमवर्क, एकाग्रता और नियमों का पालन करना सीखा। कई विद्यार्थियों ने पहली बार ताइक्वांडो की तकनीकों को सीखते हुए नई ऊर्जा और आत्मबल का अनुभव किया।
विद्यालय के शिक्षकों ने भी विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए उन्हें नियमित अभ्यास के लिए प्रेरित किया।
प्रधानाध्यापक का प्रेरक संदेश
इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक राजेंद्र प्रसाद साहू ने ताइक्वांडो प्रशिक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा:
प्रधानाध्यापक राजेंद्र प्रसाद साहू ने कहा: “ताइक्वांडो केवल एक खेल नहीं, बल्कि आत्मरक्षा, अनुशासन और चरित्र निर्माण की प्रभावी विधा है। नियमित प्रशिक्षण विद्यार्थियों को शारीरिक रूप से सशक्त, मानसिक रूप से दृढ़ और आत्मनिर्भर बनाता है।”
उन्होंने कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम विद्यार्थियों को जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करते हैं और उनमें सकारात्मक सोच विकसित करते हैं।
आचार्यों की गरिमामयी उपस्थिति से बढ़ा उत्साह
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में विद्यालय के प्रधानाचार्य राजेंद्र साहू सहित सभी आचार्य उपस्थित रहे। आचार्यों की गरिमामयी उपस्थिति ने भैया-बहनों का मनोबल बढ़ाया और कार्यक्रम को और अधिक प्रेरणादायक बना दिया। शिक्षकों ने विद्यार्थियों को अनुशासन और निरंतर अभ्यास का महत्व समझाया।
विद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट किया कि भविष्य में भी इस प्रकार के शारीरिक एवं नैतिक विकास से जुड़े कार्यक्रम निरंतर जारी रहेंगे।
उज्ज्वल भविष्य की दिशा में सराहनीय कदम
विवेकानन्द शिशु-विद्या मंदिर लचरागढ़ का यह प्रयास विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में एक सराहनीय और सार्थक पहल के रूप में देखा जा रहा है। शिक्षा के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक विकास पर दिया गया यह ध्यान विद्यालय की दूरदर्शी सोच को दर्शाता है।
न्यूज़ देखो: शिक्षा के साथ संस्कार और आत्मरक्षा पर जोर
विवेकानन्द शिशु-विद्या मंदिर लचरागढ़ का ताइक्वांडो प्रशिक्षण कार्यक्रम यह बताता है कि विद्यालय शिक्षा को केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं रख रहा है। आत्मरक्षा, अनुशासन और चरित्र निर्माण जैसे गुणों को विकसित करना आज की आवश्यकता है। विद्यालय प्रशासन और शिक्षकों की यह पहल अन्य शिक्षण संस्थानों के लिए भी प्रेरणादायक है।
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सशक्त विद्यार्थी, सुरक्षित भविष्य
जब बच्चे आत्मरक्षा और आत्मसंयम सीखते हैं, तो समाज भी मजबूत बनता है। ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम बच्चों में आत्मविश्वास और जिम्मेदारी की भावना पैदा करते हैं। अभिभावकों और शिक्षण संस्थानों को मिलकर इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।





