गढ़वा (टाटीदीरी): गढ़वा जिले के टाटीदीरी गांव के टोला तेनवाई में वन अधिकार अधिनियम (2006) के प्रावधानों और उनकी समस्याओं पर चर्चा के लिए एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में विभिन्न गांवों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
फादर जॉर्ज मोनोपली का संबोधन
फादर जॉर्ज मोनोपली ने वन अधिकार अधिनियम के महत्व और इसके तहत आदिवासी और परंपरागत वन निवासियों को मिलने वाले अधिकारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह अधिनियम समुदायों को उनके जल, जंगल और जमीन पर कानूनी अधिकार प्रदान करता है।
उन्होंने अधिनियम के क्रियान्वयन में आ रही प्रमुख खामियों पर भी चर्चा की, जैसे:
- सामुदायिक दावों के तहत रकबे में कटौती।
- ग्राम सभाओं की निष्क्रियता।
- प्रशासनिक स्तर पर अनदेखी और उदासीनता।
समुदाय का एकजुटता का संकल्प
प्रतिनिधियों ने सामुदायिक अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होकर प्रयास करने का संकल्प लिया। बैठक में ग्राम सभाओं को सक्रिय बनाने, कानूनी जानकारी का प्रसार करने, और जल, जंगल व जमीन के संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
बैठक के मुख्य नतीजे
- जागरूकता में वृद्धि: स्थानीय समुदायों ने अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाई।
- संगठनात्मक एकता: विभिन्न गांवों के प्रतिनिधियों ने सामूहिक संघर्ष की योजना बनाई।
- कानूनी सहायता: अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया।
यह बैठक सिर्फ एक संवाद का मंच नहीं, बल्कि अधिकारों और न्याय के प्रति सामूहिक प्रयास की शुरुआत थी। यह आदिवासी और दलित समुदायों को उनके अधिकार दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।
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