#पलामू #विश्वविद्यालयअनुदानविवाद — शिक्षकों के मानदेय भुगतान में देरी से आर्थिक संकट, महासंघ ने कुलसचिव को सौंपा पत्र
- नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के 6 स्थायी संबद्ध कॉलेजों को अब तक नहीं मिला अनुदान
- मार्च 2025 में राज्य सरकार ने जारी कर दी थी राशि
- महासंघ ने कुलसचिव से 24 जून तक राशि हस्तांतरण की मांग की
- समय पर राशि न मिलने पर 25 जून से चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी
- शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों में आर्थिक संकट और असमंजस की स्थिति
छह कॉलेजों के शिक्षकों को अब तक नहीं मिला भुगतान
नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय, पलामू के अधीन छह स्थायी संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों — एस.पी.डी. कॉलेज (गढ़वा), बी.एस.एम. कॉलेज (भवनाथपुर), गोपीनाथ सिंह महिला कॉलेज (गढ़वा), बनवारी साहू कॉलेज (लातेहार), एम.के. कॉलेज (डंडार कला, पांकी) और ए.के. सिंह कॉलेज (जपला) — में कार्यरत शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को 2024-25 के मानदेय का भुगतान अब तक नहीं हो पाया है। जबकि झारखंड सरकार मार्च 2025 में ही अनुदान राशि जारी कर चुकी है।
महासंघ ने कुलसचिव को सौंपा पत्र
संबद्ध डिग्री महाविद्यालय महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने इस गंभीर विषय को लेकर नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलसचिव को एक पत्र सौंपा, जिसमें बताया गया है कि भुगतान की देरी से कर्मी गंभीर आर्थिक संकट और मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। महासंघ ने 24 जून 2025 तक राशि हस्तांतरित करने की मांग की है।
कुलपति से मिलकर मिल चुका है आश्वासन
महासंघ के प्रतिनिधियों ने पूर्व में कुलपति महोदय से मुलाकात कर विषय की गंभीरता बताई थी, जिस पर सकारात्मक पहल का आश्वासन मिला था। हालांकि, अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई। इसके विपरीत, झारखंड के अन्य विश्वविद्यालयों ने राज्य सरकार द्वारा निर्गत अनुदान राशि संबंधित कॉलेजों को समय पर हस्तांतरित कर दी है, जिससे यह असमानता और भी स्पष्ट हो रही है।
चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी
महासंघ ने पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि यदि 24 जून 2025 तक अनुदान की राशि संबंधित महाविद्यालयों को हस्तांतरित नहीं की गई, तो 25 जून 2025 से चरणबद्ध शांतिपूर्ण आंदोलन शुरू किया जाएगा। महासंघ ने यह भी कहा कि इस आंदोलन की नैतिक जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।
महासंघ प्रतिनिधियों ने लिखा: “शिक्षा जैसे बुनियादी क्षेत्र से जुड़े कर्मियों को समय पर मानदेय न मिलना अत्यंत चिंताजनक है। हम सकारात्मक समाधान की आशा करते हैं, अन्यथा शांतिपूर्ण आंदोलन तय है।”
न्यूज़ देखो: शिक्षकों की उपेक्षा बन सकती है बड़ी चूक
एक ओर जहां सरकार शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की बात करती है, वहीं शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों को महीनों तक वेतन से वंचित रखना प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करता है। नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के अधीन कॉलेजों के कर्मी इस देरी से आर्थिक और मानसिक संकट झेल रहे हैं। ‘न्यूज़ देखो’ यह मांग करता है कि अनुदान राशि का हस्तांतरण त्वरित रूप से किया जाए, ताकि आंदोलन जैसी स्थितियों से बचा जा सके। अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह प्रशासनिक उदासीनता की पराकाष्ठा होगी।
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शिक्षक सम्मान के हकदार हैं, उपेक्षा नहीं
शिक्षकों को समय पर वेतन देना सिर्फ प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं, नैतिक कर्तव्य भी है। यह स्थिति दर्शाती है कि शैक्षणिक जगत की समस्याएं केवल घोषणाओं से हल नहीं होतीं, बल्कि व्यावहारिक पहल और संवेदनशील फैसलों की जरूरत होती है। इस मुद्दे पर आप क्या सोचते हैं? कमेंट करें, लेख को रेट करें और इसे अपने सहकर्मियों व विद्यार्थियों के साथ साझा करें।