Palamau

मनातू में थाना प्रभारी बने शिक्षक, नक्सल प्रभावित स्कूल में बच्चों को पढ़ाई से जोड़ा

Join News देखो WhatsApp Channel
#Palamu #SocialPolicing : नक्सलियों के बीच ज्ञान का संदेश, थाना प्रभारी ने थामा चॉक
  • मनातू थाना प्रभारी निर्मल उरांव ने छात्रों को केमिस्ट्री का पाठ पढ़ाया।
  • नक्सल प्रभावित कार्तिक उरांव प्लस टू हाई स्कूल में 640 बच्चे नामांकित हैं।
  • स्कूल में शिक्षकों की कमी के बीच पुलिस अधिकारी ने निभाई जिम्मेदारी।
  • थाना प्रभारी के पास है B.Ed. की डिग्री, पहले भी बच्चों को पढ़ाते दिखे।
  • एसपी रीष्मा रमेशन ने कहा: यह पुलिस का सामाजिक चेहरा उजागर करता है।

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शिक्षा की पहल

पलामू जिले के नक्सल प्रभावित मनातू थाना क्षेत्र में पुलिस ने एक अनोखी पहल की है। थाना प्रभारी निर्मल उरांव, जो यहां पिछले डेढ़ साल से तैनात हैं, पेट्रोलिंग के दौरान कार्तिक उरांव प्लस टू हाई स्कूल पहुंचे और वहां मौजूद छात्रों को केमिस्ट्री का पाठ पढ़ाया

यह कदम ऐसे समय में उठाया गया जब प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का तथाकथित शहीद सप्ताह (28 जुलाई से 3 अगस्त) चल रहा है। इस दौरान नक्सली अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कई बार गतिविधियां बढ़ाते हैं, लेकिन पुलिस का यह प्रयास सकारात्मक संदेश देने वाला है

शिक्षकों की भारी कमी से जूझता स्कूल

जिस स्कूल में थाना प्रभारी ने बच्चों को पढ़ाया, वहां करीब 640 बच्चे नामांकित हैं, लेकिन शिक्षकों की भारी कमी है। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह स्कूल अक्सर माओवादी पोस्टर और धमकी भरे फरमानों का केंद्र रहा है, ऐसे में बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखना एक बड़ी चुनौती है।

पलामू एसपी रीष्मा रमेशन ने कहा: “इस तरह की पहल से पुलिस का एक मानवीय चेहरा सामने आता है। यह दिखाता है कि पुलिस सिर्फ कानून-व्यवस्था संभालने तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी निभाती है।”

थाना प्रभारी का शैक्षणिक अनुभव

थाना प्रभारी निर्मल उरांव न केवल एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी हैं, बल्कि B.Ed. की डिग्री भी रखते हैं। यही कारण है कि जब भी मौका मिलता है, वे बच्चों को पढ़ाने से नहीं चूकते। यह प्रयास न केवल बच्चों को प्रेरित करता है, बल्कि पुलिस और जनता के बीच विश्वास का पुल भी बनाता है।

नक्सली गतिविधियों के बीच सकारात्मक संदेश

माओवादी संगठन का शहीद सप्ताह अक्सर भय और असुरक्षा का माहौल पैदा करता है, लेकिन इस बीच पुलिस की यह पहल ज्ञान और शिक्षा का संदेश देती है। यह घटना साबित करती है कि सामाजिक पुलिसिंग ही असली बदलाव का रास्ता है

न्यूज़ देखो: सामाजिक पुलिसिंग से बदलती तस्वीर

मनातू की यह कहानी बताती है कि जहां खतरा और हिंसा का साया हो, वहां भी शिक्षा और सकारात्मकता की किरण जगाई जा सकती है। पुलिस का यह मानवीय रूप समाज में विश्वास और विकास दोनों को मजबूती देता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

शिक्षा ही बदलाव की कुंजी

अगर यह खबर आपको प्रेरित करती है, तो इसे शेयर करें। कमेंट में अपनी राय दें कि सामाजिक पुलिसिंग के ऐसे कदम नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कितना बदलाव ला सकते हैं

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250925-WA0154
IMG-20250604-WA0023 (1)
Radhika Netralay Garhwa
Engineer & Doctor Academy
20250923_002035
IMG-20250723-WA0070
1000264265
IMG-20250610-WA0011
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें

Related News

Back to top button
error: