
#गुमला #शिक्षकदिवस : गीत-संगीत और श्रद्धा के बीच गुरुओं को किया गया सम्मानित
- राजकीय उत्क्रमित उच्च विद्यालय जारी में मंगलवार को मनाया गया शिक्षक दिवस।
- जोसेफा टोप्पो के नेतृत्व में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन।
- गीत-संगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बढ़ाया कार्यक्रम का आकर्षण।
- शिक्षिका कान्ता ग्रेस जोजवार ने बच्चों को गुरु-शिष्य परंपरा का महत्व बताया।
- कार्यक्रम में सभी शिक्षक और विद्यार्थी उत्साहपूर्वक शामिल हुए।
जारी, गुमला। शिक्षक दिवस के अवसर पर मंगलवार को राजकीय उत्क्रमित उच्च विद्यालय, जारी में श्रद्धा और उल्लास का अनूठा संगम देखने को मिला। विद्यालय परिसर में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम की शुरुआत शिक्षिका एच. एम. जोसेफा टोप्पो के नेतृत्व में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इसके बाद रंगारंग गीत-संगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने पूरे वातावरण को उल्लासमय बना दिया।
गुरु-शिष्य परंपरा पर विशेष संदेश
इस अवसर पर शिक्षिका कान्ता ग्रेस जोजवार ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा बेहद पुरानी और पवित्र है। इस दिन शिष्य अपने गुरु को सम्मानित कर समाज में शिक्षा की महत्ता को रेखांकित करते हैं। उन्होंने कहा—
“माता-पिता के बाद गुरु ही बच्चों को संस्कार और जीवन की दिशा देते हैं। जैसे कुम्हार मिट्टी को घड़े का आकार देता है, वैसे ही गुरु बच्चों के व्यक्तित्व को गढ़ते हैं।”
कार्यक्रम में रही सबकी भागीदारी
इस अवसर पर विद्यालय की शिक्षिकाएं और शिक्षक—रोशन बखला, विक्टोरिया एक्का, अमिता तिर्की, अशोक खलखो, राजीव रंजन मिंज, अशोक केरकेट्टा, नवीन कुमार सिंह, तस्लीम रजा, दीपशिखा बाखला, सरोज केरकेट्टा, कान्ता ग्रेस जोजवार, जोसेफा टोप्पो, अंजू रेणु खेस और अनुप एक्का सहित सभी विद्यार्थी मौजूद रहे। सभी ने अपने-अपने अंदाज में शिक्षक दिवस के महत्व को साझा किया और डॉ. राधाकृष्णन की शिक्षा को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।

न्यूज़ देखो: शिक्षा से ही बनेगा उज्ज्वल समाज
जारी विद्यालय का यह आयोजन बताता है कि शिक्षक केवल पढ़ाने वाले नहीं, बल्कि समाज के निर्माता होते हैं। ऐसे कार्यक्रम बच्चों को यह समझने में मदद करते हैं कि गुरुओं के मार्गदर्शन से ही जीवन को दिशा और समाज को मजबूती मिलती है।
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शिक्षा ही सच्चा उजाला
इस शिक्षक दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि शिक्षा को केवल डिग्री तक सीमित न रखकर, उसे जीवन का संस्कार बनाएं। अब समय है कि हम सब मिलकर शिक्षा की मशाल को और आगे बढ़ाएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें, ताकि शिक्षा और सम्मान का यह संदेश हर घर तक पहुंचे।