Gumla

डुमरी के सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षक दिवस परंपरा और उल्लास के साथ मनाया गया

Join News देखो WhatsApp Channel
#गुमला #शिक्षकदिवस : सरस्वती वंदना और रंगारंग प्रस्तुतियों से गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान किया गया
  • सरस्वती शिशु मंदिर डुमरी में शिक्षक दिवस हर्षोल्लास से मनाया गया।
  • कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई और छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
  • आयुष कुमार केसरी ने गुरु की महत्ता पर प्रेरक उद्बोधन दिया।
  • शिक्षिकाओं (दीदी जी) सोनम, शिल्पा, रोसालिया, मुस्कान, नमिता, स्नेहा और मीना ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं।
  • प्रधानाचार्य अजय पाणिग्रही व शिक्षिकाएँ प्रेमा कुजूर और अनुराधा कुमारी ने बच्चों को संदेश दिया।

डुमरी के सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षक दिवस का आयोजन बड़े ही अनुशासित और उत्साहपूर्ण माहौल में किया गया। विद्यालय परिसर में बच्चों ने अपने शिक्षकों को सम्मानित किया और गुरु-शिष्य परंपरा की गरिमा को याद किया। अभिभावकों की उपस्थिति और विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया।

सरस्वती वंदना और गुरु की महिमा

कार्यक्रम की शुरुआत भक्ति भाव से सरस्वती वंदना के साथ हुई। इसके बाद आचार्य आयुष कुमार केसरी ने अपने उद्बोधन में कहा कि गुरु अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले पथप्रदर्शक होते हैं। उन्होंने सरस्वती शिशु मंदिर की उस विशेषता को भी रेखांकित किया, जहाँ शिक्षा के साथ बच्चों को संस्कार प्रदान करने पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सजीव हुआ मंच

विद्यालय की शिक्षिकाओं सोनम कुमारी, शिल्पा कुमारी, रोसालिया टोपनो, मुस्कान कुमारी, नमिता बखला, स्नेहा कुमारी और मीना कुमारी ने गीत, नृत्य, नाटक और भाषण प्रस्तुत किए। उनकी प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम का वातावरण जीवंत कर दिया और शिक्षकों के प्रति बच्चों की कृतज्ञता स्पष्ट झलकने लगी। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से बच्चों का उत्साहवर्धन किया।

शिक्षकों का प्रेरक संदेश

विद्यालय के प्रधानाचार्य अजय पाणिग्रही ने कहा कि शिक्षक वह दीपक हैं जो खुद जलकर दूसरों का मार्ग प्रशस्त करते हैं। उन्होंने बच्चों के उत्साह और प्रतिभा की सराहना की और विश्वास जताया कि शिक्षा और संस्कार दोनों ही स्तर पर वे निरंतर आगे बढ़ेंगे। वहीं शिक्षिकाएँ प्रेमा कुजूर और अनुराधा कुमारी ने भी बच्चों को शिक्षक दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रेरक संदेश दिए।

आयोजन की सफलता में सभी की भागीदारी

विद्यालय परिवार ने पूरे आयोजन का सफल संचालन किया। बच्चों की सक्रिय भागीदारी और अभिभावकों की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया। यह आयोजन न केवल शिक्षकों को सम्मानित करने का अवसर बना बल्कि समाज में शिक्षा और संस्कार की महत्ता को भी गहराई से उजागर किया।

न्यूज़ देखो: शिक्षा और संस्कार की दोहरी विरासत

सरस्वती शिशु मंदिर डुमरी का यह आयोजन इस बात को दर्शाता है कि शिक्षा केवल ज्ञान नहीं बल्कि संस्कार और जीवन मूल्यों का संचार भी है। गुरु-शिष्य परंपरा की इस जीवंत मिसाल से आने वाली पीढ़ियों को नई दिशा मिलती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

शिक्षा से संस्कार की ओर

शिक्षक दिवस का यह उत्सव हमें याद दिलाता है कि गुरु का सम्मान ही सच्ची शिक्षा का आधार है। आइए, हम सब भी अपने शिक्षकों के प्रति आभार जताएं और समाज में शिक्षा की मशाल जलाए रखें।
अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ साझा करें ताकि शिक्षा और संस्कार की यह परंपरा और आगे बढ़े।

📥 Download E-Paper

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250604-WA0023 (1)
IMG-20251017-WA0018
IMG-20250723-WA0070
IMG-20250925-WA0154
IMG-20250610-WA0011
1000264265
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Aditya Kumar

डुमरी, गुमला

Related News

Back to top button
error: