
#हुसैनाबाद #शिक्षक_आंदोलन – नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में अनुदान राशि के भुगतान में देरी से नाराज शिक्षकों ने जताया विरोध — आंदोलन की चरणबद्ध योजना भी घोषित
- अनुदान राशि भुगतान में देरी को लेकर शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर किया कार्य
- विवेकानंद उपाध्याय के नेतृत्व में स्थायी संबद्ध कॉलेजों में हुआ विरोध प्रदर्शन
- 17 जून को कुलपति व कुलसचिव ने दिया था भुगतान का आश्वासन, नहीं हुआ पूरा
- महासंघ ने आंदोलन की रूपरेखा तय की — 28 जून को विश्वविद्यालय में धरना
- स्थानीय विधायकों को भी सौंपा जाएगा ज्ञापन, न्याय की मांग
काली पट्टी पहन शिक्षकों ने दर्ज कराया विरोध
हुसैनाबाद (पलामू), 26 जून:
नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय ईकाई महासंघ के आह्वान पर बुधवार को ए.के. सिंह कॉलेज, जपला सहित सभी स्थायी संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों व शिक्षकेतर कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर नियमित कार्य किया।
इस विरोध के जरिए उन्होंने झारखंड सरकार द्वारा स्वीकृत अनुदान राशि का भुगतान समय पर नहीं होने पर अपनी नाराज़गी जताई।
मार्च में स्वीकृत हुई थी राशि, अब तक नहीं हुआ ट्रांसफर
महासंघ की ओर से 17 जून 2025 को विश्वविद्यालय को पत्र भेजकर आग्रह किया गया था कि मार्च 2025 में स्वीकृत वित्तीय वर्ष 2024-25 की अनुदानित राशि को 24 जून तक महाविद्यालयों में ट्रांसफर कर दिया जाए, जिससे शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मियों को मानदेय भुगतान सुनिश्चित किया जा सके।
विवेकानंद उपाध्याय, महासंघ अध्यक्ष ने कहा:
“हमने कुलपति और कुलसचिव से स्पष्टीकरण और समयसीमा मांगी थी। 17 जून को उन्होंने आश्वासन दिया था कि एक सप्ताह में राशि ट्रांसफर कर दी जाएगी। लेकिन 24 जून गुजरने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।“
बढ़ता असंतोष, तय हुआ चरणबद्ध आंदोलन
अनुदान राशि अब तक कॉलेजों तक नहीं पहुंचने से कर्मचारियों में असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसी के मद्देनज़र महासंघ ने तीन चरणों में शांतिपूर्ण आंदोलन की रूपरेखा घोषित की है:
- 25 जून: सभी कर्मचारी काली पट्टी पहनकर नियमित कार्य करेंगे।
- 26 जून: प्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्र के स्थानीय विधायकों को ज्ञापन सौंपेंगे।
- 28 जून: सभी कॉलेजों के प्रतिनिधि विश्वविद्यालय मुख्यालय, मेदिनीनगर में जुटकर धरना प्रदर्शन करेंगे और कुलसचिव को सामूहिक ज्ञापन सौंपा जाएगा।
महासंघ ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए कहा कि बार-बार आश्वासन देने के बावजूद अनुदान राशि को लेकर लापरवाही बरती जा रही है, जिससे कर्मचारियों का धैर्य टूट रहा है।
न्यूज़ देखो: शिक्षक आंदोलन प्रशासनिक जवाबदेही की पुकार
एक ओर शिक्षकों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की अपेक्षा, दूसरी ओर मानदेय में देरी — यह स्थिति न केवल शैक्षणिक माहौल को प्रभावित करती है, बल्कि विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।
न्यूज़ देखो मानता है कि स्थायी संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों को उनका वित्तीय अधिकार समय पर मिलना चाहिए।
यदि वे शिक्षण कार्य के साथ-साथ न्याय के लिए आंदोलन को मजबूर हों, तो यह शिक्षा व्यवस्था के लिए चिंताजनक संकेत है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
शिक्षा के अधिकार के साथ चाहिए वित्तीय सम्मान
शिक्षा समाज का आधार है, और शिक्षक उसकी आत्मा।
जब आत्मा ही उपेक्षित हो, तो समाज कैसे मजबूत होगा?
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