- जिला समाज कल्याण विभाग द्वारा “पोषण भी, पढ़ाई भी” विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित।
- गढ़वा और मेराल परियोजना की 100 सेविकाओं को सम्मानित किया गया।
- महिला पर्यवेक्षकों ने मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षण दिया।
- बच्चों के पोषण और खेल के माध्यम से पढ़ाई पर जोर।
- सेविकाओं ने अनुभव साझा कर नई तकनीकों को अपनाने का संकल्प लिया।
प्रशिक्षण का उद्देश्य
गढ़वा जिले के नवादा मोड़ स्थित उमंग वाटिका में आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का मुख्य उद्देश्य सेविकाओं को बच्चों के पोषण और शिक्षा के महत्व को समझाना था। मास्टर ट्रेनर्स ने सेविकाओं को खेल-खेल में पढ़ाई सिखाने की तकनीकें बताईं।
प्रशस्ति पत्र देकर किया गया सम्मान
समापन समारोह में गढ़वा और मेराल परियोजना की 100 आंगनबाड़ी सेविकाओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान महिला पर्यवेक्षक राना तबस्सुम, गीता देवी, स्वस्तिका रानी, और विद्यावती देवी ने विशेष योगदान दिया।
“आंगनबाड़ी केंद्र बच्चों की शिक्षा और सामाजिक अनुशासन का पहला पड़ाव होता है।” – प्रखंड विकास पदाधिकारी
सेविकाओं का अनुभव और संकल्प
अंतिम दिन सेविकाओं ने अपने अनुभव साझा किए और बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए नई तकनीकों को अपनाने का संकल्प लिया। उन्होंने बताया कि स्वच्छता और जीवन के मूलभूत संस्कार आंगनबाड़ी केंद्रों पर ही सिखाए जाते हैं।
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