Garhwa

थैलेसीमिया के दर्द पर प्रशासन का मरहम: ‘कॉफी विद एसडीएम’ में उठीं उम्मीदें

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  • मांग: बच्चों को खून उपलब्ध कराने की प्रक्रिया हो सरल।
  • पहल: थैलेसीमिया डे केयर सेंटर और कार्ड बनाने की तैयारी।
  • अपील: रक्तदान संस्थाएं थैलेसीमिया बच्चों को लें गोद।
  • भावुक माहौल: अभिभावकों की पीड़ा सुन भावुक हुए अधिकारी।

गढ़वा: बुधवार को ‘कॉफी विद एसडीएम’ कार्यक्रम में अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के अभिभावकों से संवाद किया। इस बैठक में 41 अभिभावकों ने रक्त कोष प्रबंधन की समस्याओं और सुझावों को उठाया। यह कार्यक्रम एक ऐसा मंच था, जहां अभिभावकों को अपनी परेशानियों को सीधे प्रशासन से साझा करने का अवसर मिला।

ब्लड बैंक काउंसलर की शिकायतें

बैठक के दौरान अभिभावकों ने ब्लड बैंक के काउंसलर के व्यवहार पर नाराजगी जताई। उनका कहना था कि काउंसलर का व्यवहार अक्सर असंवेदनशील होता है, जिससे उनकी समस्याओं का समाधान समय पर नहीं हो पाता। एसडीओ ने सिविल सर्जन और उपाधीक्षक को तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए, ताकि इस तरह की समस्याओं का समाधान किया जा सके।

सरलीकरण की मांग

अभिभावकों ने खून उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को सरल बनाने की अपील की। उनका कहना था कि बच्चों को समय पर रक्त की आवश्यकता होती है, और यह प्रक्रिया बहुत जटिल होने के कारण उनकी जान संकट में पड़ जाती है। एसडीओ ने स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए कि रक्त अधियाचना प्रक्रिया को सुगम और सरल बनाया जाए, ताकि बच्चों को समय पर खून मिल सके।

नई पहल: डे केयर सेंटर और थैलेसीमिया कार्ड

इस दौरान सिविल सर्जन ने एक नई पहल की घोषणा की। उन्होंने बताया कि थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को प्राथमिकता देते हुए अस्पताल जल्द ही डे केयर सेंटर और थैलेसीमिया कार्ड जारी करने की प्रक्रिया शुरू करेगा। इस कार्ड से बच्चों को उपचार की सुविधा में आसानी होगी।

सरकारी योजनाओं की जानकारी

सिविल सर्जन ने ‘अबुआ स्वास्थ्य सुरक्षा योजना’ के तहत गोल्डन कार्ड के लाभों के बारे में भी बताया। इस कार्ड से बच्चों को 20 लाख रुपये तक की सहायता प्राप्त हो सकती है, जिससे इलाज में मदद मिलेगी।

रक्तदाताओं से अपील

एसडीओ ने जिले के रक्तदाताओं और संस्थाओं से अपील की कि वे थैलेसीमिया बच्चों को गोद लेकर नियमित रक्तदान में सहयोग करें। उनका कहना था कि इस समाजिक जिम्मेदारी से बच्चों को जीवनदान मिल सकता है।

भावुक पलों ने किया असर

बैठक के दौरान कई अभिभावकों की आपबीती ने अधिकारियों को भावुक कर दिया। कुलदीप पाल, जिन्होंने छह बच्चों को खो दिया था, और अन्य अभिभावकों की पीड़ा ने माहौल को गमगीन कर दिया। उनके शब्दों ने सभी को सोचने पर मजबूर किया कि इस मुद्दे पर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

‘कॉफी विद एसडीएम’ की सराहना

अभिभावकों ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे उम्मीद की नई किरण बताया। उनका मानना था कि इस तरह के संवाद से समस्याओं का समाधान संभव है, और प्रशासन का यह कदम उनके लिए आशा का प्रतीक बन गया है।

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