Giridih

बगोदर में झारखंड पितामह बिनोद बिहारी महतो की 102वीं जयंती मनाई गई

Join News देखो WhatsApp Channel
#गिरिडीह #जयंती_समारोह : बिनोद सेना के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोग हुए शामिल
  • माहुरी स्थित चौक पर आयोजित हुआ जयंती समारोह।
  • बिनोद बिहारी महतो को श्रद्धांजलि देकर याद किया गया।
  • उमेश महतो की अध्यक्षता में हुआ कार्यक्रम।
  • नीतीश पटेल ने कहा—बिनोद बाबू ने दिया ‘पढ़ो और लड़ो’ का नारा।
  • झामुमो संस्थापक के संघर्ष को बताया झारखंड की प्रेरणा

गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड अंतर्गत माहुरी में मंगलवार को झारखंड पितामह एवं झामुमो के संस्थापक बिनोद बिहारी महतो की 102वीं जयंती श्रद्धापूर्वक मनाई गई। बिनोद सेना के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण और कार्यकर्ता शामिल हुए।

कार्यक्रम का आयोजन माहुरी स्थित बिनोद बिहारी महतो चौक पर किया गया। इस दौरान लोगों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और उनके योगदान को याद किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बिनोद बाबू सेना अध्यक्ष उमेश महतो ने की।

बिनोद बाबू की विचारधारा और योगदान

कार्यक्रम में सेना के संरक्षक नीतीश पटेल ने कहा कि बिनोद बाबू ने ‘पढ़ो और लड़ो’ का नारा दिया और शिक्षा को समानता का हथियार बनाया। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक के रूप में उन्होंने अलग राज्य की मांग को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया।

नीतीश पटेल ने कहा: “बिनोद बाबू की विरासत झारखंड की राजनीति और समाज दोनों को दिशा देती रही है और आगे भी देती रहेगी।”

उल्लेखनीय है कि 18 दिसंबर 1991 को मात्र 68 वर्ष की उम्र में दिल्ली के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया था, लेकिन उनके विचार आज भी झारखंड की जनता को प्रेरित करते हैं।

बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति

जयंती समारोह में दोंदलों मुखिया तुलसी तलवार, संतोष रजक, कुंजलाल महतो, त्रिभुवन महतो, डालेश्वर महतो, प्रेमचंद महतो, कपिल कुमार, संजय महतो, ललिता कुमारी, रुपेश महतो, महावीर शामी, हेमंत महतो, प्रकाश कुमार, रामचंद्र महतो, रंजन कुमार समेत सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। सभी ने बारी-बारी से पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।

न्यूज़ देखो: झारखंड की राजनीति के पथप्रदर्शक

बिनोद बिहारी महतो केवल झामुमो के संस्थापक ही नहीं, बल्कि झारखंडी अस्मिता और शिक्षा के प्रतीक थे। उनकी दी हुई सीख “पढ़ो और लड़ो” आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। जयंती जैसे अवसर हमें यह याद दिलाते हैं कि उनके सपनों का झारखंड तभी साकार होगा जब हम शिक्षा, समानता और एकजुटता की राह पर चलेंगे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

शिक्षा और एकता से ही मिलेगी सच्ची श्रद्धांजलि

बिनोद बाबू की जयंती हमें यह संकल्प लेने का अवसर देती है कि हम शिक्षा और सामाजिक न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाएँ। अब समय है कि उनकी विचारधारा को समाज के हर कोने तक पहुँचाया जाए। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि प्रेरणा का संदेश हर जगह पहुँचे।

📥 Download E-Paper

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250610-WA0011
IMG-20250723-WA0070
IMG-20251017-WA0018
1000264265
IMG-20250925-WA0154
IMG-20250604-WA0023 (1)
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Surendra Verma

डुमरी, गिरिडीह

Related News

Back to top button
error: