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ईसरी बाजार में जैन संत क्षुल्लक 105 गणेश प्रसाद जी वर्णी की 152वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई

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#गिरिडीह #धार्मिक_अनुष्ठान : प्रभात फेरी और विनयांजलि सभा के साथ श्रद्धालुओं व छात्रों ने संत के योगदान को किया याद
  • क्षुल्लक 105 गणेश प्रसाद जी वर्णी की 152वीं जयंती पर प्रभात फेरी और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन।
  • पारसनाथ दिगम्बर जैन मध्य विद्यालय से सुबह 7 बजे निकली प्रभात फेरी में शिक्षक, छात्र और स्थानीय लोग शामिल हुए।
  • प्रभात फेरी ने पारसनाथ स्टेशन, अहिंसा चौक, शिवाजी नगर का भ्रमण किया।
  • विद्यालय प्रांगण में विनयांजलि सभा, दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण कर दी गई श्रद्धांजलि।
  • वक्ताओं ने संत के शिक्षा और समाजसेवा में योगदान को याद किया और उनके बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।

ईसरी बाजार स्थित पारसनाथ दिगम्बर जैन मध्य विद्यालय में प्रसिद्ध जैन संत और महान शिक्षाविद क्षुल्लक 105 गणेश प्रसाद जी वर्णी की 152वीं जयंती बड़ी धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाई गई। इस अवसर पर विद्यालय से प्रातः 7 बजे एक आकर्षक प्रभात फेरी निकाली गई जिसमें मध्य विद्यालय और उच्च विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाएँ एवं छात्र-छात्राएँ शामिल थे। प्रभात फेरी पारसनाथ स्टेशन, अहिंसा चौक और शिवाजी नगर का भ्रमण करते हुए पुनः विद्यालय प्रांगण में लौटी।

प्रभात फेरी में गूंजे नारे

प्रभात फेरी के दौरान छात्र-छात्राएँ उत्साह से “वर्णी बाबा अमर रहें” और “जब तक सूरज चांद रहेगा, वर्णी बाबा तेरा नाम रहेगा” जैसे नारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे। वातावरण भक्ति और श्रद्धा से सराबोर हो गया।

विनयांजलि सभा और श्रद्धांजलि

विद्यालय प्रांगण में विनयांजलि सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत संगीता जैन के मंगलाचरण से हुई, जबकि संचालन संस्कृत शिक्षक संजीव जैन ने किया। सभा के दौरान विद्यालय के सचिव एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक कुमार जैन, सदस्य अभय कुमार जैन, मध्य विद्यालय और उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापकों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर संत की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।

प्रधानाध्यापक सुनील कुमार जैन ने कहा: “देश को आज वर्णी बाबा जैसे संत की आवश्यकता है। वे जन्मना जैन नहीं थे, कर्मणा जैन थे। उनके प्रयासों से देश में अनेक शिक्षण संस्थाएँ स्थापित हुईं, जिनमें ईसरी बाजार का यह विद्यालय भी शामिल है।”

वर्णी बाबा के योगदान पर वक्ताओं ने डाला प्रकाश

वक्ताओं ने संत गणेश प्रसाद जी वर्णी के जीवन और कार्यों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार मात्र ₹1 से 64 पोस्टकार्ड खरीदकर उन्होंने संतों, समाजसेवियों और शिक्षाविदों को शिक्षण संस्थाएँ खोलने का आह्वान किया था। उनके इसी प्रयास से कई विद्यालयों की स्थापना हुई। जीवन के अंतिम समय में उन्होंने ईसरी बाजार में रहते हुए संल्लेखना पूर्वक समाधि ली।

बड़ी संख्या में उपस्थित रहे लोग

कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के शिक्षक नेम कुमार जैन, अशोक कुमार सिन्हा, राजेश कुमार ठाकुर, अंकित जैन, महेश साव, शक्ति प्रसाद महतो, महेश कुमार, जितेंद्र प्रसाद, बिनोद कुमार तथा शिक्षिकाएँ निकी कुमारी, ममता कुमारी और मनोरमा कुमारी सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे। अंत में उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

न्यूज़ देखो: शिक्षा और समाजसेवा के आदर्श

जैन संत गणेश प्रसाद जी वर्णी का जीवन संदेश देता है कि शिक्षा और समाजसेवा सबसे बड़ा धर्म है। उनकी प्रेरणा से न केवल विद्यालयों की स्थापना हुई बल्कि आज भी समाज को मार्गदर्शन मिल रहा है। इस तरह के आयोजन संतों की शिक्षाओं को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाने का माध्यम हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

संतों की शिक्षा पर अमल करें

यह अवसर हमें याद दिलाता है कि केवल श्रद्धांजलि अर्पित करना ही नहीं, बल्कि संतों की शिक्षाओं पर अमल करना भी जरूरी है। आइए, हम सब शिक्षा और समाजसेवा के मार्ग पर चलने का संकल्प लें। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाकर जागरूकता फैलाएँ।

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