#गढ़वा #वित्त_आयोग : सरकारी लापरवाही से डंडई प्रखंड की योजनाएं ठप – जनता में भारी नाराज़गी
- 15वें वित्त आयोग की राशि डेढ़ साल से जारी नहीं हुई है।
- डंडई प्रखंड की 9 पंचायतों में विकास कार्य पूरी तरह थम गए।
- सड़क, नाली, पुलिया और जलमीनार जैसी योजनाएं अधर में अटकीं।
- प्रखंड प्रमुख कांति देवी और कई मुखियाओं ने जताई नाराज़गी।
- सरकार की उदासीनता से जनता और जनप्रतिनिधि दोनों परेशान।
गढ़वा जिले के डंडई प्रखंड में विकास की रफ्तार पिछले डेढ़ साल से ठप पड़ी है। 15वें वित्त आयोग की राशि जो वर्ष 2024–25 और 2025–26 के लिए स्वीकृत थी, अब तक जारी नहीं हुई है। इस कारण प्रखंड की 9 पंचायतों में कोई भी विकास कार्य आगे नहीं बढ़ पाया है। गाँवों की सड़कें, नालियां और पेयजल योजनाएं अधर में लटकी हैं, जिससे जनता में आक्रोश और जनप्रतिनिधियों में असहायता बढ़ती जा रही है।
फाइलों में कैद विकास की राशि
डंडई प्रखंड को 15वें वित्त आयोग के तहत लाखों रुपये की राशि स्वीकृत हुई थी, जिससे ग्रामीण बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करना था। यह धनराशि सड़कों की मरम्मत, पुलिया निर्माण, नालियों की सफाई और पेयजल सुविधाओं के विस्तार जैसे कार्यों में खर्च की जानी थी। परंतु अब यह पैसा केंद्र और राज्य की फाइलों में दफन है। नतीजा यह है कि ग्रामीणों को रोजमर्रा की दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है और पंचायत स्तर पर कोई भी योजना क्रियान्वित नहीं हो पा रही।
जनप्रतिनिधियों की बेबसी और जनता का आक्रोश
प्रखंड प्रमुख कांति देवी ने इस स्थिति पर गहरी नाराज़गी व्यक्त की।
कांति देवी ने कहा: “हमारी पंचायत की सड़कें मरघट बन चुकी हैं। न नाली बनी, न पुलिया। जनता हमें चुनाव में सबक सिखाने की धमकी दे रही है, क्योंकि हम उन्हें जवाब नहीं दे पा रहे!”
पचौर पंचायत की मुखिया सरिता देवी ने सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया।
सरिता देवी ने कहा: “दो वित्तीय वर्ष से एक पैसा भी नहीं मिला! जनता का कोपभाजन हम जनप्रतिनिधियों को बनना पड़ रहा है। हमें ठगा हुआ महसूस हो रहा है!”
वहीं रारो पंचायत की मुखिया सुनीता देवी ने तीखा बयान दिया।
सुनीता देवी ने कहा: “सरकार एक तरफ गरीबी मिटाने की बात करती है, दूसरी तरफ विकास मद की राशि पर कुंडली मारकर बैठी है! क्या मजदूरों को रोजगार देना गुनाह है? मेरा सारा विकास कार्य बाधित है!”
योजनाओं पर ब्रेक, ग्रामीण परेशान
गाँवों में जिन योजनाओं से जनता को सीधा लाभ मिलना था, वे सभी रुक चुकी हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, जल संचयन कार्य, और नाली निर्माण जैसी पहलें आधे-अधूरे हाल में पड़ी हैं। कई जगह निर्माण सामग्री सड़कों पर धूल खा रही है और मजदूरों को महीनों से भुगतान नहीं हुआ है। ग्रामीण अब खुलकर नाराज़गी जता रहे हैं और आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।
प्रशासनिक मौन और जवाबदेही पर सवाल
स्थानीय प्रशासन ने अब तक न तो कोई लिखित स्पष्टीकरण दिया है और न ही राशि जारी करने की समयसीमा बताई है। जिला स्तर के अधिकारियों के अनुसार, मामला “तकनीकी स्वीकृति” में फंसा है, जबकि पंचायतों का कहना है कि यह “जानबूझकर की जा रही लापरवाही” है। इस बीच पंचायत भवनों में योजनाओं के अधूरे रिकॉर्ड ही विकास की वास्तविक तस्वीर पेश कर रहे हैं।
अर्थव्यवस्था पर असर और जनता की नाराज़गी
डेढ़ साल से राशि न मिलने से प्रखंड की स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है। दिहाड़ी मजदूरों के पास काम नहीं है, ग्रामीण ठेकेदारों को भुगतान नहीं मिल पा रहा और योजनाओं में पारदर्शिता पूरी तरह खत्म हो गई है। इससे आम लोगों में यह भावना गहराई से बैठ चुकी है कि सरकार ने ग्रामीण विकास को अपनी प्राथमिकता सूची से हटा दिया है।
न्यूज़ देखो : जवाबदेही से भागता तंत्र
डंडई प्रखंड की यह स्थिति झारखंड के उन तमाम ग्रामीण इलाकों की झलक है, जहाँ प्रशासनिक लापरवाही के कारण विकास कार्य ठप हैं। 15वें वित्त आयोग की राशि जनता की है, जिसे रोकना जनता के हक से खिलवाड़ है। सरकार को इस पर तुरंत संज्ञान लेकर जवाबदेही तय करनी होगी, वरना विकास केवल भाषणों में ही रह जाएगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अब वक्त है जिम्मेदारी निभाने का
अब समय है कि जनता अपने अधिकारों की आवाज़ बुलंद करे और जनप्रतिनिधि मजबूती से सरकार से जवाब मांगें। ग्रामीण विकास केवल सरकारी घोषणाओं से नहीं, बल्कि वास्तविक कार्रवाई से होगा। आइए, हम सब पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग के साथ एकजुट हों।
अपनी राय कमेंट करें, खबर को शेयर करें और इस जमीनी मुद्दे को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं ताकि प्रशासन को जागना ही पड़े।