
#गिरिडीह #पुण्यतिथि_समारोह : बिनोद सेना और कुड़मी विकास मोर्चा के संयुक्त नेतृत्व में झारखंड पितामह की पुण्यतिथि श्रद्धा के साथ मनाई गई।
गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड के माहुरी में झारखंड पितामह और झामुमो के संस्थापक बिनोद बिहारी महतो की 34वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। बिनोद बिहारी महतो चौक पर आयोजित इस कार्यक्रम में सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किए। कार्यक्रम का नेतृत्व बिनोद सेना और कुड़मी विकास मोर्चा ने किया। आयोजन ने झारखंड आंदोलन की वैचारिक विरासत को एक बार फिर सामने रखा।
- बिनोद बिहारी महतो चौक, माहुरी में हुआ आयोजन।
- बिनोद सेना और कुड़मी विकास मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम।
- अध्यक्षता उमेश महतो, अध्यक्ष बिनोद बाबू सेना।
- 34वीं पुण्यतिथि पर पुष्प अर्पण और श्रद्धांजलि।
- सामाजिक, राजनीतिक और पंचायत प्रतिनिधियों की सहभागिता।
- झारखंड आंदोलन की विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प।
गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड अंतर्गत माहुरी में सोमवार को झारखंड पितामह और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक बिनोद बिहारी महतो की 34वीं पुण्यतिथि भावपूर्ण वातावरण में मनाई गई। यह कार्यक्रम माहुरी स्थित बिनोद बिहारी महतो चौक पर आयोजित किया गया, जहां बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि और स्थानीय लोग एकत्र हुए। सभी ने बारी-बारी से उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया और उनके संघर्षों को याद किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता और आयोजन की रूपरेखा
कार्यक्रम की अध्यक्षता बिनोद बाबू सेना के अध्यक्ष उमेश महतो ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि बिनोद बिहारी महतो सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि झारखंड की आत्मा थे। उनके विचार आज भी सामाजिक न्याय, क्षेत्रीय अस्मिता और हक-अधिकार की लड़ाई को दिशा देते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पुण्यतिथि केवल स्मरण का दिन नहीं, बल्कि उनके अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प लेने का अवसर है।
पुष्प अर्पण और श्रद्धांजलि का क्रम
कार्यक्रम की शुरुआत बिनोद बिहारी महतो के चित्र पर पुष्प अर्पण से हुई। उपस्थित लोगों ने एक-एक कर श्रद्धांजलि अर्पित की। पूरे आयोजन स्थल पर शांति और सम्मान का वातावरण बना रहा। वक्ताओं ने उनके संघर्षमय जीवन, झारखंड राज्य के गठन में उनकी भूमिका और आदिवासी-मूलवासी समाज के अधिकारों के लिए किए गए आंदोलन को विस्तार से याद किया।
प्रमुख वक्ताओं के विचार
बिनोद सेना के संरक्षक नीतीश पटेल ने कहा कि बिनोद बिहारी महतो ने झारखंड आंदोलन को वैचारिक मजबूती दी। उन्होंने समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की आवाज को राजनीति के केंद्र में लाने का काम किया। उनका जीवन आज के युवाओं के लिए प्रेरणा है।
कुड़मी विकास मोर्चा की भूमिका
कुड़मी विकास मोर्चा के अध्यक्ष कुंजबिहारी महतो ने कहा कि बिनोद बिहारी महतो ने कुड़मी समाज सहित पूरे झारखंडी समाज को एकजुट करने का कार्य किया। उन्होंने कहा कि सामाजिक समानता और सम्मान की लड़ाई आज भी जारी है और इसे मजबूती से आगे बढ़ाने की जरूरत है।
बड़ी संख्या में लोगों की रही उपस्थिति
इस अवसर पर लक्ष्मण महतो, प्रवीण महतो, कुंजलाल महतो, त्रिभुवन महतो, दिनेश साहू, प्रेमचंद महतो, डालचंद पटेल, टहल महतो, मिराज आलम, शाहिद अंसारी, गोबिंद महतो, किशुन महतो, दिनेश महतो, उपमुखिया शैख़ मोकिम, जितेंद्र महतो, सोहन लाल महतो, गिरधारी महतो, नारायण महतो, अशोक महतो सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
सामाजिक एकता का दिखा संदेश
कार्यक्रम में विभिन्न समाज और वर्ग के लोगों की मौजूदगी ने यह संदेश दिया कि बिनोद बिहारी महतो का विचार किसी एक वर्ग तक सीमित नहीं था। उन्होंने झारखंड की साझा संस्कृति और सामूहिक संघर्ष की नींव रखी, जिसे आज भी लोग आत्मसात कर रहे हैं।
बिनोद बिहारी महतो का संघर्ष और विरासत
बिनोद बिहारी महतो को झारखंड आंदोलन के प्रमुख वैचारिक स्तंभों में गिना जाता है। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना कर क्षेत्रीय अस्मिता, जल-जंगल-जमीन और सामाजिक न्याय के मुद्दों को राष्ट्रीय फलक पर उठाया। उनका जीवन संघर्ष, त्याग और सिद्धांतों की मिसाल रहा है।
युवाओं से जुड़ने की अपील
वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि आज की पीढ़ी को बिनोद बिहारी महतो के विचारों से जोड़ना समय की जरूरत है। शिक्षा, संगठन और संवैधानिक अधिकारों के माध्यम से उनके सपनों का झारखंड बनाया जा सकता है।
न्यूज़ देखो: स्मृति नहीं संकल्प का दिन
बिनोद बिहारी महतो की पुण्यतिथि यह याद दिलाती है कि झारखंड की पहचान संघर्ष और विचार से बनी है। ऐसे आयोजनों से नई पीढ़ी को इतिहास और विचारधारा से जोड़ने का अवसर मिलता है। अब चुनौती यह है कि उनके सिद्धांतों को व्यवहार में उतारा जाए और सामाजिक न्याय की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
विचारों को आगे बढ़ाने का समय
पुण्यतिथि पर पुष्प अर्पण से आगे बढ़कर उनके विचारों को जीवन में उतारना ही सच्ची श्रद्धांजलि है। सामाजिक एकता, अधिकारों की समझ और लोकतांत्रिक भागीदारी से ही झारखंड मजबूत बनेगा। इस आयोजन से मिले संदेश पर आप क्या सोचते हैं, अपनी राय कमेंट में साझा करें, खबर को आगे बढ़ाएं और झारखंडी विचारधारा को नई ऊर्जा देने में सहभागी बनें।





