
#बरवाडीह #धार्मिक_आयोजन : मदरसा दारुल उलूम कादरिया अब्दालिया गुलजार बाग में उर्स का आगाज़ कुरान शरीफ की तिलावत से – हजारों ने की शिरकत
- बरवाडीह मंडल मार्ग स्थित मदरसा दारुल उलूम कादरिया अब्दालिया गुलजार बाग में 55वां उर्स सबीहे शाहे ज़िला का आयोजन हुआ।
- कार्यक्रम की शुरुआत कुरान मजीद की तिलावत से की गई।
- नवाज पलामूवी, कारी खुर्शीद तल्हा और सैफ रजा मुरादाबादी जैसे प्रसिद्ध नातख़्वांओं ने अपने कलाम से समां बाँध दिया।
- हज़ारों की संख्या में मुरीद और अकीदतमंद विभिन्न इलाकों से पहुंचे।
- मौलाना खुश्तर जामी ने उर्स में सब्र, भाईचारे और अख़लाक की सीख दी।
- अंत में साहिबे सज्जादह सैयद शाह वलीउल्लाह अहमद ज़या क़ादरी ने अमन और खुशहाली की दुआ की।
बरवाडीह में शनिवार की शाम आध्यात्मिक रौशनी से जगमगा उठी जब मदरसा दारुल उलूम कादरिया अब्दालिया गुलजार बाग में 55वां उर्स सबीहे शाहे ज़िला बड़े अदब और एहतराम के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत कुरान मजीद की तिलावत से हुई, जिसके बाद मंच पर नात और शायरी की खूबसूरत प्रस्तुतियाँ दी गईं।
शायरों और नातख़्वांओं ने महफिल को बनाया यादगार
इस मौके पर देश के कई हिस्सों से आए प्रसिद्ध नातख़्वां जैसे नवाज पलामूवी, कारी खुर्शीद तल्हा और सैफ रजा मुरादाबादी ने अपने कलाम से महफिल में रूहानी माहौल बना दिया। जैसे ही उनकी आवाज़ गूंजी, पूरा परिसर तालियों और सब्हानअल्लाह की आवाज़ों से भर गया।
महफिल में क्षेत्र के बरवाडीह, पोखरी कलां, सरइडीह, बेतला, बांसडीह, हुंटार, छेंचा, कुचिला, डाल्टनगंज आदि स्थानों से हजारों की संख्या में अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ पड़ी।
इलाक़े के उलमा और हाफ़िज़ों की रही खास मौजूदगी
उर्स के दौरान इलाक़े के कई इमाम, उलमा और हाफ़िज़ भी तशरीफ लाए। मदरसा परिसर में धार्मिक जोश और भाईचारे की मिसाल देखने को मिली।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मौलाना खुश्तर जामी, प्रिंसिपल दारुल उलूम कादरिया अब्दालिया ने हुज़ूर शबीहे शाहे ज़िला की जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला और लोगों को सब्र, अख़लाक और इंसानियत का पैगाम दिया।

मौलाना खुश्तर जामी ने कहा: “हुज़ूर शबीहे शाहे ज़िला की ज़िंदगी हमें सिखाती है कि सच्ची इबादत केवल नमाज़ और रोज़ा नहीं, बल्कि लोगों के साथ अच्छा बर्ताव करना भी है।”
अमन, शांति और खुशहाली के लिए दुआएं
उर्स के समापन अवसर पर साहिबे सज्जादह सैयद शाह वलीउल्लाह अहमद ज़या क़ादरी ने सभी उपस्थित लोगों के लिए खुशहाली, अमन और देश की तरक्की की दुआ की।
इसके बाद लंगर का आयोजन किया गया, जिसमें सभी अकीदतमंदों ने मिलजुल कर भोजन ग्रहण किया। इस दौरान सामाजिक एकता और भाईचारे का सुंदर उदाहरण पेश किया गया।
कमेटी ने निभाई अहम भूमिका
इस मौके पर दारुल उलूम कादरिया अब्दालिया गुलजार बाग कमेटी के सभी सदस्यों ने कार्यक्रम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुख्य रूप से जनाब सदर शमीम साहब, सेक्रेट्री गुलाम गौस खान, हामिद हुसैन, परवेज, टिप टॉप मुन्ना, सरवर, आबिद मास्टर सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। सभी ने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया और आयोजन को सफल बनाया।

न्यूज़ देखो: आस्था, अदब और एकता की मिसाल बना बरवाडीह का उर्स
यह उर्स केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भाईचारे और मोहब्बत का प्रतीक बना। हजारों की भीड़ का एकजुट होना इस बात का सबूत है कि आज भी इंसानियत की रौशनी दिलों में जिंदा है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अमन और इंसानियत की रौशनी फैलाने का संदेश
बरवाडीह के इस उर्स ने यह सिखाया कि धर्म का असली संदेश एकता और मानवता है। जब लोग साथ आते हैं, तो नफरत की दीवारें खुद-ब-खुद गिर जाती हैं।
अब समय है कि हम सब मिलकर समाज में अमन और भाईचारे की यह परंपरा आगे बढ़ाएं। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को शेयर करें और इंसानियत की यह रौशनी फैलाने में हिस्सा लें।