#लातेहार #चंदवा : पेयजल विभाग पर घोर लापरवाही के आरोप, ग्रामीणों की सुरक्षा से खिलवाड़
- चंदवा प्रखंड के डुमारो पंचायत के ढोंटी टोला जतराटांड़ में सोलर जलमिनार पर गलत वज्र किट लगाने का मामला सामने आया।
- ग्रामीणों ने बताया कि विभाग द्वारा लोहे के बने वज्र किट लगाए जा रहे हैं, जबकि मानक के अनुसार तांबे या पीतल का उपयोग अनिवार्य है।
- अधिकारियों की मिलीभगत से घटिया सामग्री के उपयोग की शिकायतें कई गांवों से मिल रही हैं।
- मामले की जानकारी मिलने पर एसडीओ पेयजल विभाग चंदवा ने कहा — “तांबे का लगना चाहिए, मैं जांच करवाता हूं।”
- ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि विभाग की मनमानी और बंदरबांट से आम जनता को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड अंतर्गत डुमारो पंचायत के ढोंटी टोला जतराटांड़ में पेयजल विभाग की लापरवाही का मामला सामने आया है। सोलर जलमिनारों पर ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए लगाए जाने वाले वज्र किट में विभाग द्वारा मानक का उल्लंघन किया जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार, विभाग द्वारा जहां तांबे या पीतल की धातु का वज्र किट लगाना अनिवार्य है, वहीं लोहे के बने किट का उपयोग किया जा रहा है, जो न केवल सुरक्षा के लिए खतरा है बल्कि सरकारी धन की बर्बादी भी है।
ग्रामीणों की सुरक्षा से खिलवाड़
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि पेयजल विभाग की यह मनमानी नई नहीं है। पूर्व में भी कई योजनाओं में घटिया सामग्री का उपयोग कर कार्य पूरा दिखा दिया गया है। इस बार भी वज्र किट लगाने के नाम पर विभाग और ठेकेदारों के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया जा रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि अगर वज्र किट तांबे या पीतल का नहीं लगाया गया तो बिजली गिरने की स्थिति में सोलर जलमिनार और आसपास के लोगों की जान को खतरा हो सकता है।
एक स्थानीय ग्रामीण ने कहा: “सरकार सुरक्षा के लिए सोलर जलमिनार बनवाती है, लेकिन अधिकारी पैसे बचाने के लिए लोहे के सस्ते वज्र किट लगा देते हैं। यह सीधे-सीधे लापरवाही और भ्रष्टाचार है।”
अधिकारियों ने स्वीकार की जांच की जरूरत
जब इस मामले में एसडीओ पेयजल विभाग चंदवा से दूरभाष पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने स्वीकार किया कि वज्र किट तांबे का लगना चाहिए और इस संबंध में जांच करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि दोषी पाए जाने पर संबंधित ठेकेदार या इंजीनियर पर कार्रवाई की जाएगी।
विभागीय मानकों की अनदेखी आम बात
ग्रामीणों का कहना है कि चंदवा प्रखंड में यह पहली घटना नहीं है। विभाग की लापरवाही पानी की आपूर्ति से लेकर सड़क और बिजली योजनाओं में भी देखने को मिलती है। ठेकेदारों और इंजीनियरों की मिलीभगत से नियमों को ताक पर रखकर घटिया सामग्री का उपयोग किया जाता है। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है।
अब सवाल जवाब का
स्थानीय लोगों का कहना है कि अब देखना यह दिलचस्प होगा कि विभाग इस मामले में कितनी तेजी से कार्रवाई करता है और तय मानकों के अनुरूप तांबे के धातु से निर्मित वज्र किट लगवाता है। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो ग्रामीण आंदोलन करने की चेतावनी दे रहे हैं।

न्यूज़ देखो: ग्रामीण सुरक्षा के साथ खिलवाड़ या विभागीय उदासीनता?
चंदवा की यह घटना साफ़ करती है कि पेयजल विभाग के अधिकारी और ठेकेदार नियमों की अनदेखी कर जनता की सुरक्षा से समझौता कर रहे हैं। यह केवल एक पंचायत की बात नहीं, बल्कि पूरे प्रखंड में व्याप्त विभागीय भ्रष्टाचार का उदाहरण है। अब प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह समय पर जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे।
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जनता की सुरक्षा सर्वोपरि, विभाग को करनी होगी जवाबदेही
अब समय है कि विभाग जनता के हितों को प्राथमिकता दे और हर योजना को पारदर्शी ढंग से पूरा करे। ग्रामीणों की सुरक्षा और सरकारी धन की बर्बादी रोकना प्रशासन का दायित्व है। इस खबर को साझा करें ताकि हर नागरिक जागरूक बने और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाए।