
#घाघरा #जयंती_समारोह : प्रखंड परिसर में बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अधिकारियों और कर्मियों ने व्यक्त की श्रद्धांजलि
- घाघरा प्रखंड परिसर में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती का आयोजन।
- बीडीओ दिनेश कुमार ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दी श्रद्धांजलि।
- अंचलाधिकारी महोदय ने भी माल्यार्पण कर व्यक्त की अपनी आस्था।
- प्रखंड के कर्मी एवं गणमान्य लोग कार्यक्रम में शामिल रहे।
- बिरसा मुंडा के संघर्ष, बलिदान और आदर्शों को याद किया गया।
घाघरा प्रखंड परिसर में शनिवार को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती श्रद्धा, सम्मान और पारंपरिक उत्साह के साथ मनाई गई। प्रखंड परिसर में मौजूद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अधिकारियों, कर्मियों और स्थानीय नागरिकों ने नमन किया। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित लोगों ने बिरसा मुंडा के ऐतिहासिक संघर्ष, उनके आदर्शों और आदिवासी समाज के उत्थान में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को याद किया। जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाने वाला यह अवसर लोगों में प्रेरणा और राष्ट्रनिर्माण का संदेश लेकर आया।
प्रशासनिक अधिकारियों ने दी श्रद्धांजलि
जयंती कार्यक्रम की शुरुआत प्रखंड विकास पदाधिकारी दिनेश कुमार द्वारा बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई। बीडीओ ने कहा कि बिरसा मुंडा का जीवन पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत है और उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके बाद प्रखंड अंचलाधिकारी महोदय ने भी प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। अधिकारियों ने इस मौके पर आदिवासी समाज के गौरवशाली इतिहास और भगवान बिरसा मुंडा के नेतृत्व का उल्लेख करते हुए उनकी शिक्षाओं को आत्मसात करने की अपील की।
प्रखंड कर्मियों और स्थानीय लोगों की सक्रिय भागीदारी
कार्यक्रम में प्रखंड कार्यालय के सभी कर्मी तथा कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। सभी ने भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अपनी श्रद्धा प्रकट की। उपस्थित लोगों ने कहा कि बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष कर आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए जिस साहस से लड़ाई लड़ी, वह देश की स्वतंत्रता यात्रा में अमिट अध्याय है। कार्यक्रम के दौरान आदिवासी समाज के मूल्य, सम्मान और सांस्कृतिक विरासत पर भी चर्चा की गई।
संघर्ष, बलिदान और जनजातीय गौरव की प्रतीक जयंती
भगवान बिरसा मुंडा का जीवन एक महान स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक सुधारक और आदिवासी नायक के रूप में जाना जाता है। उनके नेतृत्व में चला उलगुलान आंदोलन आज भी आदिवासी समाज की स्वाभिमान की भावना को जीवित रखता है। उनकी जयंती पूरे देश में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई जाती है, जिसका उद्देश्य उनके योगदान को याद करना और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करना है। घाघरा प्रखंड में आयोजित यह कार्यक्रम जन-भागीदारी और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन गया।



न्यूज़ देखो: आदिवासी गौरव और विरासत का सशक्त संदेश
घाघरा में मनाया गया यह कार्यक्रम एक बार फिर दिखाता है कि समाज भगवान बिरसा मुंडा के संघर्ष और आदर्शों को कितनी गहरी श्रद्धा से याद करता है। प्रशासन और आम लोगों की संयुक्त सहभागिता यह संदेश देती है कि जनजातीय इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम के मूल्य आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। ऐसे आयोजनों से युवाओं में प्रेरणा जगती है और समाज में सम्मान, एकता और जागरूकता का वातावरण बनता है।
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संघर्ष की विरासत से सीखने का समय
भगवान बिरसा मुंडा की जयंती हमें यह याद दिलाती है कि स्वतंत्रता, अधिकार और न्याय के लिए संघर्ष करने का साहस समाज को नई दिशा देता है। आज आवश्यकता है कि हम उनके आदर्शों को अपनाकर समाज में एकता, समानता और जागरूकता को आगे बढ़ाएं। घाघरा प्रखंड में आयोजित यह कार्यक्रम प्रेरणा देता है कि नागरिक अपनी जिम्मेदारी को पहचानें और जनहित के कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभाएं।
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