
#जारी #खेलपरियोजनाबदहाल : बूमतेल गांव में लाखों रुपये से बना खेल मैदान और स्टेडियम रखरखाव के अभाव में खंडहर में तब्दील होने की कगार पर
- बूमतेल गांव, जारी प्रखंड में बना खेल मैदान और स्टेडियम जर्जर स्थिति में।
- स्टेडियम परिसर के कमरे धंस गए, कई दरवाजे टूटकर बिखरे पड़े हैं।
- पूरा मैदान घास-फूस से भर गया, खेल गतिविधियाँ पूरी तरह बंद।
- ग्रामीणों का कहना— निर्माण के बाद देख-रेख की कोई व्यवस्था नहीं की गई।
- नोवेल लकड़ा, मेंज़स एक्का, निरोज तिर्की, प्रभात एक्का, अजित तिर्की, बीरान खलखो ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।
- ग्रामीणों की अपील— मरम्मत व रख-रखाव शुरू हो, ताकि युवा फिर से खेलों से जुड़ सकें।
जारी प्रखंड के बूमतेल गांव में लाखों रुपये की लागत से तैयार किया गया खेल मैदान और स्टेडियम आज पूरी तरह उपेक्षा का शिकार होकर जर्जर स्थिति में पहुंच गया है। जिस उद्देश्य से यह परियोजना तैयार की गई थी—युवाओं को खेलों की ओर प्रेरित करना और उन्हें बेहतर मंच देना—वह पूरा हो पाने से पहले ही ढांचा खंडहर बनना शुरू हो गया है। मैदान का यह हाल न केवल सरकारी निवेश की बर्बादी को दर्शाता है, बल्कि ग्रामीण खेल संस्कृति को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
निर्माण के बाद से नहीं हुई देख-रेख, स्टेडियम बना खंडहर
स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद किसी भी विभाग ने इसकी स्थिति पर ध्यान नहीं दिया। स्टेडियम परिसर में बनाए गए कमरों की दीवारें जगह-जगह धंस गई हैं, दरवाजे टूटकर गिर पड़े हैं और कोई भी संरचना सुरक्षित नहीं बची है। अंदर की दीवारों पर दरारें उभर आई हैं और पूरी इमारत जर्जर होती जा रही है। मैदान क्षेत्र में घास-फूस इतनी तेजी से फैल चुका है कि अब वहां खेलना तो दूर, चलना भी मुश्किल है।
जानवरों का चरन-स्थल बन गया मैदान
लाखों रुपये की लागत से बना यह स्टेडियम आज खेल गतिविधियों का केंद्र बनने के बजाय जानवरों के चरने की जगह बन गया है। मैदान में सीमांकन, प्रबंधन या निगरानी—किसी व्यवस्था का कोई अस्तित्व ही नजर नहीं आता। इससे साफ है कि लंबे समय से इसकी सुध नहीं ली गई।
ग्रामीणों की नाराजगी, कहा—जवाबदेही तय हो
ग्रामीण नोवेल लकड़ा, मेंज़स एक्का, निरोज तिर्की, प्रभात एक्का, अजित तिर्की और बीरान खलखो ने बताया कि प्रशासनिक उपेक्षा के कारण यह परियोजना बेकार होने के कगार पर पहुंच गई है। उनका कहना है कि निर्माण के साथ ही अगर रख-रखाव की स्थायी व्यवस्था की गई होती, तो आज यह मैदान खेल प्रतिभाओं के विकास का केंद्र होता। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द मरम्मत और साफ-सफाई की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि युवा फिर से इस मैदान में खेल सकें और खेल संस्कृति को नई ऊर्जा मिल सके।
युवा खिलाड़ियों के सपनों पर असर
क्षेत्र के कई युवाओं ने इस मैदान को अपने खेल-कैरियर की उम्मीद के रूप में देखा था, लेकिन बदहाली के चलते उनके सपनों पर पानी फिर रहा है। खेल मैदान के नष्ट होने से स्थानीय स्तर पर प्रतियोगिताओं, प्रशिक्षण और सामुदायिक खेल आयोजनों पर भी रोक लग गई है।



न्यूज़ देखो: खेल अवसंरचना की उपेक्षा से युवाओं का भविष्य प्रभावित
बूमतेल खेल मैदान का जर्जर होना इस बात का संकेत है कि योजनाएँ केवल निर्माण तक सीमित रह जाएँ तो उनका कोई अर्थ नहीं रह जाता। प्रशासन को ऐसी परियोजनाओं की नियमित समीक्षा, रख-रखाव और जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के युवा अवसरों से वंचित न हों।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
खेल को बचाएँ, युवाओं का भविष्य संवारें
समय आ गया है कि हम ग्रामीण खेल संरचनाओं को मजबूत बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाएँ। जागरूक नागरिक बनकर अपनी आवाज उठाएँ, आसपास की खेल सुविधाओं की रक्षा करें और युवाओं को आगे बढ़ने का अवसर दें। अपनी राय कमेंट में साझा करें और इस खबर को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएँ, ताकि सुधार की दिशा में ठोस पहल शुरू हो सके।





