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अमानत नदी पर नहीं बना पुल, टूट रही हैं शादियां, थम रही बच्चों की पढ़ाई — ग्रामीणों ने किया चुनाव बहिष्कार का ऐलान

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#लातेहार #अमानतनदीपुल : हेरनहोपा गांव के लोग दशकों से झेल रहे हैं पुल की कमी का दंश — बारातें लौट रहीं, स्कूल जाना नामुमकिन, चुनावों का बहिष्कार तय
  • हेरनहोपा गांव में अमानत नदी पर आज तक नहीं बना पुल
  • नदी का जलस्तर बढ़ते ही गांव का संपर्क पूरे इलाके से टूट जाता है
  • बारातें लौट रहीं, कई शादियां टूटने की नौबत
  • बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, पढ़ाई बार-बार बाधित
  • ग्रामीणों ने कहा: अब कोई नेता वोट मांगने आए तो उसका बहिष्कार करेंगे

विकास से कोसों दूर हेरनहोपा गांव की पीड़ा

लातेहार जिले के बारियातू प्रखंड अंतर्गत बालूभांग पंचायत के हेरनहोपा गांव की कहानी 21वीं सदी में भी बदहाली और उपेक्षा की मिसाल बन चुकी है। अमानत नदी पर पुल नहीं होने के कारण आज भी ग्रामीणों को हर रोज़ जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है। थोड़ी सी बारिश होते ही जलस्तर इतना बढ़ जाता है कि गांव का बाकी दुनिया से संपर्क कट जाता है।

ग्रामीणों ने बताया कि अभी हाल में ही लावालौंग से एक बारात गांव में आने वाली थी, लेकिन नदी में पानी बढ़ने के कारण बारात बीच रास्ते से लौट गई। यह कोई पहली बार नहीं, जब इस गांव की बेटियों की शादियां टूटी हों — लोग अब हेरनहोपा में रिश्ता करने से भी हिचक रहे हैं।

बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा है सीधा असर

हेरनहोपा गांव के छात्र, जो 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई के लिए लावालौंग जैसे इलाकों में जाते हैं, बरसात के मौसम में पूरी तरह घर में कैद हो जाते हैं। नदी पार करना खतरनाक होता है और कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं। इसके कारण इन बच्चों की पढ़ाई हर साल प्रभावित होती है और वे लगातार पिछड़ते जा रहे हैं।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है: “हर साल नेता आते हैं, पुल बनाने का वादा करते हैं, पर चुनाव जीतते ही सब भूल जाते हैं। इस बार हमने तय कर लिया है — जब तक पुल नहीं बनेगा, कोई चुनाव नहीं, कोई वोट नहीं।”

13,000 लोगों की उम्मीदें टूटीं

अमानत नदी पर पुल बनने से हेरनहोपा, बालूभांग और फुलसू पंचायत के करीब 13,000 लोगों को लाभ मिलेगा। अभी जहां लोगों को 60 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करनी पड़ती है, वहीं पुल बनने पर यही दूरी सिर्फ 40 किलोमीटर में चतरा तक सिमट जाएगी।

लेकिन सालों से ना प्रशासन ने संज्ञान लिया, ना सरकार ने पहल की। पुल नहीं होने के कारण इलाके की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हैं।

न्यूज़ देखो: वादों के पुल नहीं, ज़मीनी हकीकत पर मांगिए जवाब

हेरनहोपा जैसे गांव आज भी विकास की मुख्यधारा से कटे हुए हैं — केवल इसलिए क्योंकि बुनियादी ज़रूरतों पर सियासत भारी पड़ जाती है। पुल न बनने से ना केवल लोगों की दैनिक ज़िंदगी संकट में है, बल्कि सम्मान, शिक्षा और सामाजिक रिश्ते भी टूटने की कगार पर हैं। न्यूज़ देखो प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से अपील करता है कि इस समस्या को गंभीरता से लें और तुरंत संज्ञान में लें।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

समय आ गया है आवाज उठाने का

जब सरकार की योजनाएं और दावे गांव तक नहीं पहुंचते, तो ज़रूरत है कि हम खुद आवाज उठाएं। हेरनहोपा के लोग जो झेल रहे हैं, वह किसी एक गांव की नहीं, पूरे सिस्टम की नाकामी है। आप भी इस मुद्दे पर अपनी राय ज़रूर दें, खबर को शेयर करें और सरकार तक ये आवाज़ पहुँचाएं — ताकि एक पुल सिर्फ कनेक्शन नहीं, विकास की नींव बने।

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