
#लातेहार #पुलनिर्माण : जिप सदस्य संतोषी कुमारी ने डीडीसी को पत्र लिख कर कुटमू शिवनाला पर टूटा पुल जल्द दुरुस्त कराने की मांग की।
- कुटमू शिवनाला पुल जून माह की बारिश में ध्वस्त हुआ।
- कुटमू-सरईडीह मार्ग पर आवागमन पूरी तरह ठप पड़ा है।
- एक दर्जन गांवों की आबादी प्रभावित, छात्रों और व्यापारियों को हो रही परेशानी।
- जिप सदस्य संतोषी कुमारी ने डीडीसी से वैकल्पिक पुल की व्यवस्था की मांग की।
- सरईडीह शिवमंदिर आने वाले श्रद्धालु भी झेल रहे आवागमन की कठिनाई।
बरवाडीह (लातेहार): बरवाडीह पश्चिमी की जिला परिषद सदस्य संतोषी कुमारी ने लातेहार के उप विकास आयुक्त (डीडीसी) को पत्र लिखकर कुटमू शिवनाला पुल की वैकल्पिक व्यवस्था कराने की मांग की है। यह पुल पिछले 28 जून को मूसलाधार बारिश के दौरान ध्वस्त हो गया था, जिसके कारण कुटमू-सरईडीह मार्ग पर लोगों का आवागमन पूरी तरह रुक गया है। ग्रामीणों के अनुसार, अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे लोगों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
ध्वस्त पुल से ठप हुआ जीवन, ग्रामीणों की बढ़ी मुश्किलें
पुल टूटने के बाद से कुटमू, सरईडीह, गारू, हेसालोंग और आसपास के गांवों के लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। व्यवसाय, खेती-किसानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं सब पर असर पड़ा है। छात्रों को स्कूल और कॉलेज पहुंचने के लिए अब लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है, जबकि व्यापारी अपने सामान की आपूर्ति करने में असमर्थ हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि इस मार्ग से होकर जाने वाले वाहनों की आवाजाही बंद हो जाने से जीवन लगभग ठहर गया है। आपातकालीन स्थितियों में मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाना भी मुश्किल हो गया है। बारिश के मौसम में अस्थायी रास्ते कीचड़ से भर गए हैं, जिससे पैदल चलना भी जोखिम भरा है।
प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की अपील
जिप सदस्य संतोषी कुमारी ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि ध्वस्त पुल के नवनिर्माण की प्रक्रिया लंबी और जटिल है। ऐसे में तत्काल राहत के लिए वैकल्पिक पुल या पथ बनाना जरूरी है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस कार्य के लिए बालू घाटों से मिलने वाले राजस्व का उपयोग किया जा सकता है, ताकि जनता को शीघ्र राहत मिल सके।
उन्होंने कहा कि प्रशासन को क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और लोगों की कठिनाइयों को देखते हुए त्वरित निर्णय लेना चाहिए। क्षेत्र के बुजुर्गों और महिलाओं ने भी कहा कि यह पुल उनके दैनिक जीवन की धुरी है और इसके बिना आवागमन असंभव हो गया है।
धार्मिक पर्यटन पर भी पड़ा असर
पलामू प्रमंडल का प्रसिद्ध सरईडीह शिवमंदिर, जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, अब इस मार्ग के बाधित होने से प्रभावित हुआ है। त्योहारों और विशेष अवसरों पर यह मार्ग अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। कई भक्तों को अब लंबा रास्ता तय कर मंदिर पहुंचना पड़ रहा है, जिससे असुविधा और खर्च दोनों बढ़ गए हैं।
स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि मंदिर के रास्ते बंद होने से आर्थिक नुकसान हो रहा है, क्योंकि श्रद्धालु अब कम आ रहे हैं। वहीं वाहन चालकों ने बताया कि प्रशासन द्वारा किसी वैकल्पिक रास्ते की पहचान नहीं की गई है, जिससे दुर्घटनाओं का भी खतरा बढ़ गया है।
ग्रामीणों की आवाज: जल्द बने पुल या बने अस्थायी मार्ग
क्षेत्रवासियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे सड़क जाम या धरना प्रदर्शन करने को विवश होंगे। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को तब सक्रिय होना पड़ता है जब जनता आंदोलन करती है। लोगों ने यह भी कहा कि बरवाडीह और लातेहार के बीच संपर्क टूटने से सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन भी प्रभावित हो रहा है।
गांव के एक शिक्षक ने कहा, “हर दिन बच्चों को स्कूल छोड़ने में दिक्कत होती है। पुल टूटने से उनका भविष्य प्रभावित हो रहा है।” वहीं कई किसानों ने बताया कि खेत की उपज को बाजार तक ले जाना अब लगभग असंभव हो गया है।


न्यूज़ देखो: प्रशासनिक लापरवाही या योजनागत देरी?
कुटमू शिवनाला पुल का मामला सिर्फ एक पुल का नहीं, बल्कि प्रशासनिक तत्परता और जनहित की प्राथमिकता का भी सवाल है। महीनों से ध्वस्त पड़े पुल की मरम्मत शुरू न होना यह दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याएं अब भी उपेक्षा का शिकार हैं।
जरूरी है कि जिला प्रशासन त्वरित कदम उठाए और जनता के विश्वास को बहाल करे।
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अब समय है कि हम सब अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें और प्रशासन से जवाबदेही मांगें। क्षेत्र के विकास में नागरिकों की भागीदारी से ही परिवर्तन संभव है।
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