
#बानो #संस्कृति : बीरता जलडेगा में ईद मेला के मौके पर नागपुरी गीत, नृत्य और लोककला की शानदार प्रस्तुति – युवा पीढ़ी को परंपरा सहेजने का संदेश
- बानो प्रखंड के बीरता जलडेगा में आयोजित हुआ पारंपरिक ईद मेला।
- बीजेपी प्रखंड महामंत्री फिरू बड़ाईक ने संरक्षक सन्तु सिंह और कोषाध्यक्ष कृष्णा सिंह के साथ किया उद्घाटन।
- नागपुरी गीत-संगीत और जदुरा नृत्य ने ग्रामीणों को झुमाया।
- रूपेश बड़ाईक ने माता वंदना से किया कार्यक्रम का शुभारंभ।
- मेला समिति ने ग्रामीण परंपरा और संस्कृति को जीवित रखने की अपील की।
बानो प्रखंड के बीरता जलडेगा में इस वर्ष का ईद मेला बड़े उत्साह और पारंपरिक माहौल में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपने लोकगीतों, नृत्य और संस्कृति के रंग में डूबे नजर आए। नागपुरी संगीत की मधुर धुनों और लोकनृत्य की झूमती लय से पूरा क्षेत्र उत्सवमय बन गया।
परंपरा और उत्सव का संगम
मेला का उद्घाटन बीजेपी प्रखंड महामंत्री सह मेला समिति अध्यक्ष फिरू बड़ाईक, संरक्षक सन्तु सिंह, और कोषाध्यक्ष कृष्णा सिंह ने संयुक्त रूप से फीता काटकर किया। उद्घाटन के साथ ही ढोल-मांदर की थाप पर ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया। मौके पर बड़ी संख्या में महिला-पुरुष, युवा और बच्चे उपस्थित थे जिन्होंने मेला की पारंपरिक रौनक में चार चांद लगा दिए।
“परंपरा को बचाना युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी”
उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि फिरू बड़ाईक ने कहा,
“हमें अपनी गांव की परंपरा और संस्कृति को बचाए रखने के लिए युवा पीढ़ी को आगे आना चाहिए। मेला जतरा हमारे समाज की पहचान हैं, इन्हें सहेजना और संजोना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।”
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में आयोजित ऐसे मेले न केवल मनोरंजन का माध्यम हैं बल्कि सामाजिक एकजुटता का प्रतीक भी हैं।
नागपुरी संगीत ने बांधा समां
कार्यक्रम की शुरुआत मशहूर युवा गायक रूपेश बड़ाईक की माता वंदना से हुई, जिसने पूरे वातावरण को भक्ति और उमंग से भर दिया। इसके बाद नागपुरी गीत-संगीत की लहरों में पूरा मेला झूम उठा। लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से ग्रामीणों का मन मोह लिया। शाम तक जदुरा नाच और नागपुरी नृत्य के ताल पर बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक थिरकते नजर आए।
मेला समिति का सराहनीय आयोजन
मेला समिति ने आयोजन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। समिति के सभी सदस्यों ने मिलकर गांव की पारंपरिक पहचान को बरकरार रखने का संकल्प लिया। आयोजन स्थल पर साफ-सफाई, मंच सजावट और सुरक्षा की उत्कृष्ट व्यवस्था की गई थी। मेला में आसपास के गांवों से भी लोग बड़ी संख्या में पहुंचे, जिससे यह आयोजन लोक मिलन का प्रतीक बन गया।
न्यूज़ देखो: लोकसंस्कृति से जुड़े ऐसे आयोजन ही हमारी पहचान
बानो के बीरता जलडेगा में आयोजित ईद मेला झारखंड की लोकसंस्कृति का जीवंत उदाहरण है। नागपुरी गीत, नृत्य और लोककला न केवल हमारी विरासत हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द और एकता के प्रतीक भी हैं। ऐसे आयोजनों को संरक्षण और सरकारी सहयोग की आवश्यकता है ताकि अगली पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी रहे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
संस्कृति की धरोहर को सहेजें, अपनी पहचान पर गर्व करें
हमारी लोकसंस्कृति हमारी आत्मा है, जिसे सहेजना हर नागरिक का कर्तव्य है। बानो जैसे छोटे गांव जब संस्कृति की मिसाल बनते हैं तो पूरा प्रदेश गर्व महसूस करता है। अब समय है कि हम सब मिलकर अपनी भाषा, गीत, और परंपराओं को जिंदा रखने का संकल्प लें।
सजग रहें, सक्रिय बनें।
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