
#लातेहार #स्वास्थ्य : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मच्छरों का प्रकोप, सफाई व्यवस्था चरमराई, मरीज बेहाल
- महुआडांड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत बेहद चिंताजनक।
- डीडीटी छिड़काव न होने से मच्छरों का प्रकोप बढ़ा।
- अस्पताल में मच्छरदानियों की कोई व्यवस्था नहीं।
- गंदगी और पानी का जमाव संक्रमण के खतरे को बढ़ा रहा।
- कर्मचारियों की लापरवाही से मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है।
- ग्रामीणों का आरोप, सरकारी अस्पतालों पर भरोसा टूट रहा।
लातेहार जिले का महुआडांड़ प्रखंड सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हजारों ग्रामीणों के लिए स्वास्थ्य सेवा का एकमात्र सहारा है, लेकिन इसकी स्थिति इतनी बदतर हो चुकी है कि लोग मजबूरन निजी क्लीनिकों की ओर रुख कर रहे हैं। बरसात के मौसम में मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन अस्पताल की लापरवाही लोगों की चिंता को और गहरा रही है।
मच्छरों का प्रकोप और डीडीटी छिड़काव का अभाव
अस्पताल में डीडीटी का छिड़काव तक नहीं किया गया, जिससे मच्छरों का आतंक मरीजों के लिए किसी नई बीमारी का निमंत्रण बन गया है। इस स्थिति को गंभीर लापरवाही मानते हुए ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग पर सवाल उठाए हैं। बरसात के मौसम में जब मलेरिया और डेंगू का खतरा सबसे ज्यादा होता है, तब इस तरह की ढिलाई जानलेवा साबित हो सकती है।
मच्छरदानियों और सुरक्षा इंतजाम की कमी
मरीजों को अस्पताल में न तो मच्छरदानी उपलब्ध है और न ही अन्य बुनियादी सुरक्षा उपाय। रातभर लोग मच्छरों के बीच तड़पते रहते हैं और कई बार उन्हें मजबूर होकर बाहर से मच्छरदानी लानी पड़ती है। ग्रामीणों का कहना है कि यह स्थिति मरीजों के स्वास्थ्य को और बिगाड़ रही है।
सफाई व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त
अस्पताल परिसर की हालत देखकर साफ समझ आता है कि सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। जगह-जगह गंदगी और पानी का जमाव संक्रमण फैलाने का खतरा और बढ़ा देता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सफाईकर्मी समय पर काम नहीं करते और उनकी कोई निगरानी भी नहीं होती।
कर्मचारियों की लापरवाही और मरीजों की बेबसी
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल के कर्मचारी समय पर ड्यूटी पर नहीं आते। कई बार मरीज घंटों इंतजार करने के बावजूद डॉक्टर से नहीं मिल पाते। नतीजा यह होता है कि गरीब और जरूरतमंद मरीज अपनी जान जोखिम में डालकर बाहर के महंगे निजी क्लीनिकों का सहारा लेते हैं।
सरकारी अस्पतालों पर भरोसे का संकट
महुआडांड़ के लोग बार-बार शिकायत कर चुके हैं कि इस तरह की लापरवाही से सरकारी अस्पतालों पर से जनता का भरोसा टूट रहा है। अगर स्थिति समय रहते नहीं सुधारी गई, तो यह अस्पताल बीमारी के इलाज की जगह बीमारी फैलाने का अड्डा बन जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग को तत्काल कदम उठाने चाहिए ताकि यह अस्पताल अपनी असली भूमिका निभा सके।
न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी पर उठते सवाल
महुआडांड़ सीएचसी की हालत केवल एक अस्पताल का मामला नहीं बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की पोल खोलती है। जिस अस्पताल पर हजारों लोग भरोसा करते हैं, वहीं अगर मरीज खुद को असुरक्षित महसूस करने लगें तो यह पूरे सिस्टम के लिए खतरे की घंटी है। समय आ गया है कि स्वास्थ्य विभाग जवाबदेही निभाए और ठोस कार्रवाई करे।
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जागरूकता और सुधार की जरूरत
यह स्थिति बताती है कि स्वास्थ्य सुविधाओं में लापरवाही सीधा गरीबों की जिंदगी से खिलवाड़ है। अब समय है कि हम सब आवाज उठाएं और स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार की मांग करें। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि यह मुद्दा जिम्मेदारों तक पहुंचे और बदलाव लाया जा सके।