#पलामू #फोर्थग्रेडविवाद – पलामू में निकली 585 पदों की बहाली पर उठा बवाल, भाजपा और युवाओं ने भर्ती प्रक्रिया को बताया पक्षपातपूर्ण
- पलामू जिले में फोर्थ ग्रेड के 585 पदों पर निकली भर्ती को लेकर विरोध शुरू
- दसवीं के अंक आधारित मेरिट पर आपत्ति, नियुक्ति प्रक्रिया की मांग
- स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता न दिए जाने से नाराजगी
- भाजपा ने चेताया— विज्ञापन में संशोधन नहीं हुआ तो होगा आंदोलन
- बर्खास्त कर्मियों को प्राथमिकता न मिलने पर विरोध तेज
विज्ञापन बना विरोध की वजह
पलामू जिला प्रशासन द्वारा फोर्थ ग्रेड के 585 पदों पर बहाली के लिए जारी किया गया विज्ञापन अब विवादों में घिर गया है। इस विज्ञापन के अनुसार चयन दसवीं कक्षा के अंक के आधार पर होगा, लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर स्थानीय युवाओं और पहले से कार्यरत बर्खास्त कर्मियों ने आंदोलन की चेतावनी दी है।
स्थानीयता की अनदेखी से असंतोष
भाजपा के जिला अध्यक्ष अमित तिवारी और महामंत्री ज्योति पांडेय के नेतृत्व में युवाओं की एक टीम ने विज्ञापन में कई त्रुटियों की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उनका कहना है कि स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता नहीं दी गई है, जो झारखंड की नीतियों के खिलाफ है।
“पलामू जैसे पिछड़े जिले में जब भी सरकारी बहाली होती है, तो उसमें स्थानीयता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। ये भर्ती सभी के लिए ओपन रख दी गई है,”
— अमित तिवारी, भाजपा जिलाध्यक्ष
भाजपा नेताओं ने कहा कि अन्य सेवाओं में स्थानीय भाषा को आधार बनाया जा रहा है, लेकिन इस भर्ती में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं रखा गया। यही नहीं, बर्खास्त फोर्थ ग्रेड कर्मचारियों को भी इस प्रक्रिया में कोई विशेष वरीयता नहीं दी गई, जिससे उनमें गहरा असंतोष है।
सड़क पर उतरे युवा
विज्ञापन के खिलाफ युवाओं ने पोस्टर जलाकर विरोध जताया। उन्होंने इसे न्याय के खिलाफ और क्षेत्र के युवाओं के साथ धोखा बताया।
इस मौके पर श्वेतांक गर्ग, श्रवण गुप्ता, राकेश पाण्डेय समेत कई छात्र और युवा नेता मौजूद थे।
“हम मांग करते हैं कि इस विज्ञापन में स्थानीयता का प्रावधान जोड़ा जाए और दसवीं के अंक के बजाय उचित चयन प्रक्रिया लागू की जाए,”
— ज्योति पांडेय, भाजपा महामंत्री
न्यूज़ देखो: नौकरियों में न्याय जरूरी, नहीं तो आंदोलन तय
सरकारी नौकरियां केवल कागजी प्रक्रिया नहीं, बल्कि युवाओं की उम्मीदों का केंद्र होती हैं।
यदि बहाली में पारदर्शिता और स्थानीय हितों की अनदेखी होगी, तो जनता सड़कों पर उतरेगी।
न्यूज़ देखो इस मुद्दे को मजबूती से उठाता है—
क्या स्थानीय युवाओं का हक केवल घोषणाओं तक सीमित रह गया है?
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
समाधान नहीं तो संघर्ष
अब गेंद प्रशासन के पाले में है। यदि जल्द ही विज्ञापन में संशोधन और स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए गए, तो आने वाले दिनों में पलामू में बड़ा जन आंदोलन खड़ा हो सकता है।