
#चंदवा #न्यायालय_निर्णय : प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी उत्कर्ष जैन की अदालत ने सुनाया फैसला – आरोपी दिनेश राम को सश्रम कारावास और क्षतिपूर्ति का आदेश
- चंदवा प्रखंड के चेक बाउंस मामले में दिनेश राम को दोषी करार दिया गया।
- प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी उत्कर्ष जैन ने सुनाई एक वर्ष की सश्रम कारावास की सजा।
- अदालत ने आरोपी को आठ लाख रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में प्रसाद गुप्ता को भुगतान करने का आदेश दिया।
- मामला नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत दर्ज था।
- अभियोजन पक्ष की ओर से अधिवक्ता मिथलेश कुमार ने की प्रभावी पैरवी।
लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड में चेक बाउंस के एक मामले में अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी उत्कर्ष जैन की अदालत ने आरोपी दिनेश राम, निवासी बादुर बगीचा, को दोषी पाते हुए एक वर्ष के सश्रम कारावास की सजा दी है। साथ ही अदालत ने उन्हें आठ लाख रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में परिवादी प्रसाद गुप्ता को भुगतान करने का निर्देश दिया है।
मामला और आरोप
यह मामला नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत न्यायालय में दर्ज हुआ था। परिवादी प्रसाद गुप्ता ने न्यायालय में परिवाद संख्या 6/23 के अंतर्गत शिकायत दायर की थी। शिकायत में कहा गया कि अभियुक्त ने उनसे चार लाख रुपये का लेन-देन किया था, लेकिन भुगतान के लिए जो चेक दिया गया वह बैंक में बाउंस हो गया। इसके बाद उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
अधिवक्ता मिथलेश कुमार ने कहा: “न्यायालय का यह निर्णय वित्तीय व्यवहार में ईमानदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस कदम है। यह उन सभी के लिए चेतावनी है जो आर्थिक अनुशासन की अनदेखी करते हैं।”
सुनवाई और फैसला
अदालत में मामले की विस्तृत सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं। अभियोजन पक्ष ने सभी साक्ष्यों और गवाहों के माध्यम से यह साबित किया कि आरोपी ने जानबूझकर भुगतान में लापरवाही की। अदालत ने सभी तथ्यों पर विचार करते हुए दिनेश राम को दोषी ठहराया और सजा के साथ-साथ क्षतिपूर्ति राशि के भुगतान का आदेश दिया।
इस फैसले के बाद न्यायालय परिसर में इसे एक महत्वपूर्ण निर्णय के रूप में देखा जा रहा है, जो वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और कानूनी दायित्व के पालन को सुदृढ़ करता है।
न्यायालय ने टिप्पणी की: “चेक बाउंस जैसी घटनाएं आर्थिक लेन-देन में विश्वास को कमजोर करती हैं। ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई आवश्यक है ताकि समाज में वित्तीय ईमानदारी कायम रहे।”
कानून के दायरे में वित्तीय अनुशासन का संदेश
इस फैसले ने स्पष्ट संदेश दिया है कि किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी या भुगतान में लापरवाही अब आसानी से नहीं छिप सकती। कानून के प्रावधान ऐसे मामलों में सख्त दंड का प्रावधान करते हैं। चेक बाउंस जैसे मामलों में यह निर्णय भविष्य में दूसरों के लिए एक नजीर के रूप में देखा जा रहा है।
न्यूज़ देखो: कानून की कठोरता से मिला वित्तीय अनुशासन का सबक
चंदवा न्यायालय का यह फैसला उन लोगों के लिए चेतावनी है जो आर्थिक लेन-देन में ईमानदारी नहीं बरतते। वित्तीय विवादों में न्यायालय की सख्त भूमिका यह दर्शाती है कि समाज में आर्थिक अनुशासन की रक्षा के लिए कानून कितना सजग है।
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ईमानदारी ही है विश्वास की असली नींव
यह फैसला हमें यह सिखाता है कि कानूनी दायरे में रहकर आर्थिक लेन-देन करना ही समाज और व्यक्ति दोनों के लिए सुरक्षित है। वित्तीय व्यवस्था में भरोसे की बहाली तभी संभव है जब प्रत्येक नागरिक ईमानदारी और पारदर्शिता को प्राथमिकता दे।
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