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दुर्घटना का निमंत्रण पत्र लेकर बैठी है क्षतिग्रस्त पुलिया: प्रशासन इस मौत के रास्ते से अब भी बेखबर!

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#महुआडांड़ #टूटीपुलियासंक्रमण : दुरूप पंचायत की क्षतिग्रस्त पुलिया बनी ग्रामीणों के लिए खतरे का कारण — प्रशासनिक लापरवाही से किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका
  • पुलिया का एक पाया धंसा, सतह पर गंभीर दरारें, मरम्मत के कोई संकेत नहीं
  • छ्गरही, डूमरबोट, जरीबांध जैसे आधा दर्जन गांवों की जीवनरेखा है यह पुलिया, रोजाना बड़ी बस गुजरती है
  • स्कूल जाने वाले बच्चों, मजदूरों और महिलाओं का रोजमर्रा का रास्ता है यह, खतरा बना हर सफर
  • लगातार जलकटाव और एप्रोच पथ की बिगड़ती हालत ने पुल को ‘मौत का जाल’ बना दिया
  • स्थानीयों ने कई बार शिकायत की, लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधि अब भी मौन

सात साल पुरानी पुलिया बनी जानलेवा, कोई सुधार कार्य शुरू नहीं

लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड अंतर्गत दुरूप पंचायत के छ्गरही टोला में स्थित पुलिया कभी ग्रामीणों को जोड़ने वाला एक अहम इंफ्रास्ट्रक्चर थी, पर अब यह एक जानलेवा रास्ता बन चुकी हैकरीब एक साल से क्षतिग्रस्त इस पुलिया की स्थिति दिन-ब-दिन और भी गंभीर होती जा रही है, परंतु प्रशासन ने अब तक कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाया है

पुलिया के एक पायें के धंस जाने, सतह पर गंभीर दरारें उभरने और लगातार एप्रोच पथ के क्षरण से अब यह पुल किसी बड़े हादसे का इंतजार करता दिख रहा है।

ग्रामीणों की रोजमर्रा की मजबूरी बनी जोखिमभरी राह

यह पुलिया छ्गरही, डूमरबोट, जरीबांध, टेंगारी जैसे आधा दर्जन गांवों को जोड़ती है। यहां से प्रतिदिन सैकड़ों लोग गुजरते हैं, जिनमें स्कूल जाने वाले बच्चे, मजदूरी करने वाले ग्रामीण, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं। खास बात यह है कि एक बड़ी बस भी रोज इसी पुलिया से गुजरती है, जो स्थिति को और खतरनाक बना देती है।

बारिश के मौसम में जब नदी में जलस्तर तेज़ी से बढ़ता है, तब पुलिया का कमजोर ढांचा और अधिक संवेदनशील हो जाता है। पुलिया की मरम्मत, रखरखाव और निगरानी का पूरी तरह अभाव ग्रामीणों को हर दिन जान जोखिम में डालने पर मजबूर कर रहा है।

प्रशासन की चुप्पी पर ग्रामीणों में रोष

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि पहले भी कई छोटे-बड़े हादसे इस पुलिया पर हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ से न तो स्थलीय निरीक्षण हुआ, न कोई चेतावनी बोर्ड लगाया गया, न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई।

स्थानीय ग्रामीण सुरेश नगेसिया ने चेताया: “अगर यही हाल रहा तो जल्द ही किसी की जान जाएगी, फिर कार्रवाई का नाटक शुरू होगा। पर क्या तब कुछ बचा रहेगा?”

उपेक्षा और जलकटाव ने पुलिया को बनाया ‘मौत का फंदा’

इस पुलिया का निर्माण करीब सात साल पहले हुआ था, लेकिन मेंटेनेंस की घोर कमी, बरसात में जलकटाव और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता ने इसे एक ऐसे ‘मौत के फंदे’ में बदल दिया है, जिससे बचना अब ग्रामीणों के लिए मुश्किल होता जा रहा है।

स्थानीयों का कहना है कि अगर जल्द ही ठोस मरम्मत कार्य और सुरक्षा उपाय नहीं किए गए, तो यह पुलिया किसी बड़ी जनहानि का कारण बन सकती है।

जनप्रतिनिधियों से की गई अपील

ग्रामीणों ने लातेहार जिला प्रशासन से शीघ्र संज्ञान लेने, पुलिया की मरम्मत, और आवागमन पर सुरक्षा उपाय करने की मांग की है। साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी गुहार लगाई गई है कि कागज़ी रिपोर्टों से बाहर निकल कर ज़मीनी हकीकत का निरीक्षण करें और तत्परता से कार्य करें।

न्यूज़ देखो: जब रास्ते ही बन जाएं मौत के गड्ढे, तो खबर उठाना जरूरी है

एक पुलिया की उपेक्षा सिर्फ एक संरचना का क्षरण नहीं, बल्कि प्रशासनिक उदासीनता की पहचान है। न्यूज़ देखो ज़मीनी सच्चाई को सामने लाने और प्रशासन की जवाबदेही तय करने का काम करता रहेगा। यह खबर सिर्फ एक हादसे की आशंका नहीं, सिस्टम से सवाल पूछने का साहस भी है।

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जो पुलिया आज यहां टूटी है, वह कल आपके घर तक ना पहुंचे, इसके लिए ज़रूरी है कि हम सभी सक्रिय नागरिक बनें। इस खबर को साझा करें, टिप्पणी करें, और प्रशासन को जिम्मेदार बनाने में अपनी भूमिका निभाएं।

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