
#सिमडेगा #पुण्यतिथि_कार्यक्रम : बरसलोया गांव में भगवान जगन्नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी और पूर्व मुखिया बंशीधर पंडा की पुण्यतिथि 31 दिसंबर को मनाई जाएगी—गांव में श्रद्धांजलि सभाओं और धार्मिक अनुष्ठानों की तैयारी शुरू हो गई है।
- बंशीधर पंडा का निधन 11 जनवरी 2024 को 88 वर्ष की आयु में हुआ था।
- वे जगन्नाथ मंदिर बरसलोया के लंबे समय तक मुख्य पुजारी रहे।
- वर्ष 1978 में वे बरसलोया ग्राम के मनोनीत मुखिया भी बने थे।
- ग्रामीण उन्हें शिक्षक, समाजसेवी और धार्मिक मार्गदर्शक के रूप में सम्मान देते थे।
- 31 दिसंबर 2025 को उनकी पुण्यतिथि को लेकर गांव में विशेष आयोजन की तैयारी।
बरसलोया गांव के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व और भगवान जगन्नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी रहे बंशीधर पंडा की पुण्यतिथि 31 दिसंबर को आयोजित की जाएगी। 11 जनवरी 2024 को 88 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था। गांव और आसपास के क्षेत्रों में उन्हें धार्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र में उनके योगदान के लिए अत्यधिक सम्मान प्राप्त था। आयोजन को लेकर ग्रामीणों में भावनात्मक माहौल है और श्रद्धांजलि कार्यक्रम की तैयारियां तेज हो गई हैं।
बंशीधर पंडा का जीवन और योगदान
बरसलोया के मूल निवासी बंशीधर पंडा लंबे समय तक गांव में सामाजिक नेतृत्व और धार्मिक सेवा से जुड़े रहे। वर्ष 1978 में वे बरसलोया ग्राम के मनोनीत मुखिया बने और अपने कार्यकाल में गांव के सामाजिक ढांचे को मजबूत करने की दिशा में कई पहल कीं।
वे जगन्नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में भी अपनी आध्यात्मिक सेवाएं देते रहे। ग्रामीण बताते हैं कि उनकी पूजा पद्धति, अनुशासन और मंदिर के प्रति समर्पण उन्हें एक अलग पहचान दिलाता था। इसके अलावा उन्होंने एक शिक्षक के रूप में भी कार्य किया और गांव के बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित किया।
एक वरिष्ठ ग्रामीण ने कहा: “बंशीधर पंडा सिर्फ पुजारी नहीं, बल्कि पूरे गांव के मार्गदर्शक थे। उनका स्नेह, अनुशासन और सेवाभाव हमेशा याद रहेगा।”
पुण्यतिथि पर होगा धार्मिक अनुष्ठान और श्रद्धांजलि सभा
31 दिसंबर को बंशीधर पंडा की पुण्यतिथि पर जगन्नाथ मंदिर परिसर में विशेष पूजा, भजन-कीर्तन, पुष्पांजलि और सामूहिक श्रद्धांजलि कार्यक्रम की तैयारी की जा रही है। स्थानीय लोग और उनके शिष्य इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।
ग्रामीणों का कहना है कि उनके योगदान को याद रखने के लिए हर वर्ष पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित करने की परंपरा आगे भी जारी रखी जाएगी। मंदिर कमेटी भी आयोजन को सफल बनाने के लिए सक्रिय रूप से समन्वय कर रही है।
मंदिर समिति के सदस्यों ने कहा: “पंडा जी ने जीवनभर समाज की सेवा की। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देना हमारा कर्तव्य है।”
शिक्षा और सामाजिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका
पुजारी और मुखिया की भूमिकाओं के अलावा पंडा जी ने गांव के बच्चों को पढ़ाने, उनका मार्गदर्शन करने और शिक्षा के महत्व को समझाने में गहरी रुचि दिखाई। एक शिक्षक के रूप में उन्होंने गांव में साक्षरता बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
ग्रामीण बताते हैं कि उनके सहयोग और प्रयासों से कई परिवारों के बच्चे उच्च शिक्षा तक पहुंच सके।
गांव में भावनात्मक माहौल
पुण्यतिथि की घोषणा के साथ ही गांव में भावनात्मक वातावरण बन गया है। हर आयु वर्ग के लोग उनके साथ बिताए पलों को याद कर रहे हैं। कई वृद्ध ग्रामीण बताते हैं कि पंडा जी की उपस्थिति से गांव में अनुशासन, सौहार्द और धार्मिक वातावरण बना रहता था।
कम उम्र के लोग भी उन्हें गांव के ‘संकटमोचक’ और ‘मार्गदर्शक’ के रूप में याद करते हैं।
न्यूज़ देखो: सामाजिक धरोहरों को संजोने की जरूरत
बंशीधर पंडा जैसे व्यक्तित्व किसी भी गांव की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को आकार देते हैं। उनकी पुण्यतिथि केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक ऐसी याद है जो समाज को सेवा, अनुशासन और आध्यात्मिकता के मूल्यों की याद दिलाती है। प्रशासन और स्थानीय समाज—दोनों की जिम्मेदारी है कि ऐसे योगदानों को दस्तावेज़ी रूप दें और युवाओं तक पहुंचाएं।
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स्मृतियों से सीखें, समाज के लिए आगे बढ़ें
बंशीधर पंडा की पुण्यतिथि हमें यह सिखाती है कि एक व्यक्ति अपनी सरलता, सेवा और समर्पण से पूरे समुदाय के जीवन को छू सकता है





