
#कोलेबिरा #पुण्यतिथि : धार्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक योगदान को स्मरण करते हुए भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
सिमडेगा जिले के कोलेबिरा प्रखंड अंतर्गत ग्राम बरसलोया में श्री जगन्नाथ मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी स्वर्गीय बंशीधर पंडा की पुण्यतिथि 31 दिसंबर को श्रद्धा और भावुक वातावरण में मनाई गई। इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना, श्रद्धांजलि सभा और सामूहिक भोज का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीणों, श्रद्धालुओं और परिजनों ने भाग लेकर उनके योगदान को स्मरण किया। स्व. पंडा का जीवन धार्मिक निष्ठा, सामाजिक सेवा और शिक्षा के प्रति समर्पण का प्रतीक रहा।
- 31 दिसंबर को ग्राम बरसलोया में श्रद्धापूर्वक मनाई गई पुण्यतिथि।
- श्री जगन्नाथ मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी के रूप में वर्षों तक दी सेवा।
- 1978 में ग्राम के मनोनीत मुखिया रहकर किया सामाजिक विकास।
- मंदिर परिसर और आवास में विशेष पूजा-अर्चना व श्रद्धांजलि सभा।
- कार्यक्रम का आयोजन केशव चंद्र पाणिग्रही के सौजन्य से संपन्न।
कोलेबिरा प्रखंड के ग्राम बरसलोया में मंगलवार को एक भावनात्मक और श्रद्धामय वातावरण देखने को मिला, जब श्री जगन्नाथ मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी स्वर्गीय बंशीधर पंडा की पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर गांव सहित आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु, ग्रामीण और परिजन एकत्र हुए और उनके व्यक्तित्व व कृतित्व को स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
स्व. बंशीधर पंडा का निधन 11 जनवरी 2024 को 88 वर्ष की आयु में हुआ था। उनके निधन के बाद से ही गांव में आज भी उनकी सादगी, अनुशासन और सेवाभाव की चर्चा होती है। पुण्यतिथि के दिन पूरे गांव में भावुक माहौल बना रहा और लोगों ने उन्हें श्रद्धापूर्वक याद किया।
धार्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक सेवा का आदर्श जीवन
स्वर्गीय बंशीधर पंडा बरसलोया गांव के एकमात्र मूल निवासी थे और उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन गांव और समाज की सेवा में समर्पित कर दिया। वर्ष 1978 में वे ग्राम के मनोनीत मुखिया बने। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सामाजिक एकता, विकास और अनुशासन को प्राथमिकता दी, जिससे गांव को एक नई दिशा मिली।
उन्होंने वर्षों तक श्री जगन्नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में सेवा दी। उनकी पूजा पद्धति, नियम-निष्ठा और मंदिर के प्रति समर्पण ने उन्हें विशेष पहचान दिलाई। श्रद्धालुओं के बीच उनकी धार्मिक आस्था और सादगी उन्हें एक सम्मानित व्यक्तित्व के रूप में स्थापित करती रही।
शिक्षा के क्षेत्र में भी दिया महत्वपूर्ण योगदान
धार्मिक और सामाजिक भूमिका के साथ-साथ स्व. बंशीधर पंडा ने शिक्षक के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने बच्चों और युवाओं को शिक्षा के महत्व से परिचित कराया और अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा दी। उनके मार्गदर्शन में कई छात्र शिक्षा की ओर अग्रसर हुए, जो आज भी उन्हें श्रद्धा से याद करते हैं।
विशेष पूजा-अर्चना और श्रद्धांजलि सभा
पुण्यतिथि के अवसर पर मंदिर परिसर और उनके निजी आवास में विशेष पूजा-अर्चना, पुष्पांजलि अर्पण और सामूहिक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत ब्राह्मण भोज से हुई, जिसके बाद ग्रामवासियों के लिए सामूहिक भोज का आयोजन किया गया। पूरे कार्यक्रम में अनुशासन, शांति और श्रद्धा का वातावरण बना रहा।
यह श्रद्धांजलि कार्यक्रम केशव चंद्र पाणिग्रही के सौजन्य से संपन्न हुआ, जिसमें पंडा परिवार और समस्त ग्रामवासियों का सक्रिय सहयोग रहा। आयोजन को सफल बनाने में ग्रामीणों की सहभागिता उल्लेखनीय रही।
पुत्र दिलीप पंडा ने जताया आभार
स्व. बंशीधर पंडा के पुत्र दिलीप पंडा ने श्रद्धांजलि कार्यक्रम में उपस्थित सभी ग्रामीणों, श्रद्धालुओं और सहयोगकर्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया।
दिलीप पंडा ने कहा: “पिता जी के आदर्श, सेवा भावना और धार्मिक मूल्यों को आगे बढ़ाना ही हमारे लिए सच्ची श्रद्धांजलि है।”
उन्होंने कहा कि उनके पिता का जीवन समाज के लिए प्रेरणास्रोत है और परिवार उनके दिखाए मार्ग पर चलने का प्रयास करेगा।
श्रद्धामय वातावरण में कार्यक्रम का समापन
श्रद्धांजलि सभा का समापन शांतिपूर्ण और भावपूर्ण वातावरण में हुआ। लोगों ने स्व. बंशीधर पंडा के चित्र पर पुष्प अर्पित कर नमन किया और उनके योगदान को स्मरण करते हुए उनके आदर्शों को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।
न्यूज़ देखो: सेवा और सादगी की विरासत छोड़ गए स्व. बंशीधर पंडा
स्व. बंशीधर पंडा का जीवन यह दर्शाता है कि धार्मिक आस्था, सामाजिक जिम्मेदारी और शिक्षा का समन्वय समाज को मजबूत बनाता है। उनका योगदान आज भी बरसलोया गांव की पहचान में जीवित है। ऐसे व्यक्तित्वों की स्मृति समाज को अपने मूल्यों की याद दिलाती है। आगे भी यह आवश्यक है कि नई पीढ़ी उनके आदर्शों से प्रेरणा ले।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
स्मृति से प्रेरणा तक का सफर
पुण्यतिथियां केवल स्मरण का अवसर नहीं, बल्कि आत्ममंथन और प्रेरणा का समय होती हैं। स्व. बंशीधर पंडा का जीवन हमें सिखाता है कि सेवा और सादगी से ही समाज में स्थायी सम्मान मिलता है।





