
#गिरिडीह #सड़क_हादसा – इलाज के बाद घर लौट रहे थे दादी-पोता, अचानक ट्रैक्टर ने रौंद दिया; लोगों ने शव उठाने से किया इनकार
- तिसरी प्रखंड के गुमगी में दर्दनाक हादसे में दादी और पोते की मौत
- इलाज के बाद घर लौटते वक्त ट्रैक्टर ने दोनों को कुचला
- गांववालों ने सड़क पर शव रखकर किया जाम, की मुआवजे की मांग
- तेज रफ्तार और लापरवाही को बताया गया हादसे की वजह
- पुलिस व प्रशासन को करना पड़ा भारी मशक्कत से भीड़ को शांत
इलाज से लौटते वक्त उजड़ गया परिवार
गिरिडीह जिले के तिसरी थाना क्षेत्र के गुमगी गांव में सोमवार की सुबह दर्दनाक सड़क हादसे में 65 वर्षीय कौशल्या देवी और उनका 2 वर्षीय पोता रियांश की मौके पर ही मौत हो गई। दोनों इलाज करवाकर लौट रहे थे कि पीछे से आ रहे एक बेकाबू तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने पहले बिजली के खंभे में टक्कर मारी और फिर दादी-पोते को कुचल दिया।
घटनास्थल पर मची अफरा-तफरी
हादसे के बाद स्थानीय लोग गुस्से में आ गए। पुलिस जब शव उठाने पहुँची, तो ग्रामीणों ने उन्हें शव उठाने से रोक दिया और गावां-तिसरी मुख्य मार्ग को जाम कर दिया। लोग तत्काल मुआवजा, दोषी चालक पर कार्रवाई और तेज रफ्तार वाहनों पर रोक की मांग कर रहे थे।
प्रशासन ने की लोगों को समझाने की कोशिश
मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों और तिसरी थाना पुलिस ने लोगों को समझाने की भरपूर कोशिश की। थाना प्रभारी रंजय कुमार सिंह ने कहा:
“महिला अपने पोते के साथ गांव में ही जा रही थी। इस बीच रास्ते में ट्रैक्टर ने दोनों को चपेट में ले लिया जिससे दोनों की मौत हो गई। घटना दुःखद है और इस मामले में आगे की कार्रवाई की जा रही है।”
ट्रैक्टर चालक की लापरवाही पर उठे सवाल
गांववालों ने आरोप लगाया कि ट्रैक्टर बेहद तेज रफ्तार में था और चालक का नियंत्रण पूरी तरह खो गया था। पहले उसने खंभे को टक्कर मारी, फिर दादी और पोते को कुचल दिया। लोगों ने ट्रैक्टर चालकों की लाइसेंस जांच और प्रशासनिक सख्ती की मांग की है।
न्यूज़ देखो : जब सड़कें ले लेती हैं अपनों की जान
यह हादसा झारखंड के उन सैकड़ों हादसों की कड़ी है, जहाँ सड़क पर उतरती लापरवाही इंसानी जिंदगी को निगल जाती है। तेज रफ्तार, लापरवाही और अवैध ड्राइविंग लाइसेंस की मिलीजुली त्रासदी अब सामान्य बनती जा रही है, और इसका सबसे बड़ा खामियाजा भुगतते हैं आम नागरिक।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अब जिम्मेदारी किसकी?
गिरिडीह का गुमगी हादसा एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि तेज रफ्तार ट्रैक्टरों पर नियंत्रण, प्रशासन की चौकसी, और ग्रामीण सड़क सुरक्षा आखिर क्यों उपेक्षित है? जब तक कोई ठोस नीति नहीं बनती, ऐसे हादसे रुकने वाले नहीं हैं।