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गढ़वा बस स्टैंड की बदहाली पर गरमाई बहस, ‘कॉफी विद एसडीएम’ में गूंजी आवाज – अब होगी सख्त कार्रवाई

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#गढ़वा #बसस्टैंडविवाद : गढ़वा बस स्टैंड के भविष्य को लेकर “कॉफी विद एसडीएम” में हुई खुली चर्चा — एजेंटों की दबंगई, अवैध संचालन और यात्री सुविधाओं की कमी पर उठे गंभीर सवाल
  • गढ़वा बस स्टैंड में उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ की अवैध बसों के संचालन पर बस मालिकों ने जताई आपत्ति
  • टाइम टेबल का उल्लंघन कर संचालित होने वाली बसों से आए दिन होती है झड़प और मारपीट
  • कुछ एजेंटों पर अपराधियों से सांठगांठ कर बसों की एंट्री कराने के आरोप, एसडीएम ने चेताया
  • बस स्टैंड में यात्री शेड, पेयजल और लाइट की भारी कमी, एसोसिएशन ने उठाई आवाज
  • मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना की बसों को रोका जाता है स्टैंड में, एसडीएम ने दी सख्त हिदायत
  • बस स्टैंड को शहर की पहचान बताते हुए एसडीएम ने सभी पक्षों को सौहार्द्र और कानून पालन की दी सलाह

कॉफी विद एसडीएम में गूंजा बस मालिकों का दर्द

गढ़वा में बुधवार को आयोजित “कॉफी विद एसडीएम” संवाद श्रृंखला इस बार पूरी तरह बस स्टैंड की समस्याओं पर केंद्रित रही। एसडीएम संजय कुमार ने बस मालिकों और एजेंटों को आमंत्रित कर उनकी बातों को गंभीरता से सुना। कार्यपालक पदाधिकारी नगर परिषद गढ़वा सुशील कुमार भी बैठक में उपस्थित थे।

बैठक में बस मालिकों ने अव्यवस्था, अपराधियों की दखलअंदाजी, एजेंटों की मनमानी, यात्री सुविधाओं की कमी और अवैध संचालन जैसे कई गंभीर मुद्दों को उठाया।

बस स्टैंड की अव्यवस्था पर बस मालिकों का आक्रोश

विशाल बस सर्विस के रविंद्र गुप्ता और राधे-राधे बस के रुद्र प्रताप सिंह सहित अन्य संचालकों ने बताया कि टाइम टेबल का पालन न होने और अनधिकृत बसों के संचालन से स्टैंड पर मारपीट और तनाव की घटनाएं बढ़ी हैं। कई बार उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ की बिना परमिट बसें गढ़वा में प्रवेश कर जाती हैं, जिससे स्थानीय बस मालिकों को आर्थिक नुकसान होता है।

एसडीएम ने कहा कि यह मामला विधि-व्यवस्था से जुड़ा है और अवैध बसों और टाइम टेबल उल्लंघन पर ठोस कार्रवाई की जाएगी।

एजेंटों की दबंगई और अवैध वसूली पर गंभीर आरोप

बैठक में यह भी खुलासा हुआ कि कुछ एजेंट आपराधिक तत्वों से मिलकर स्टैंड में जबरन बसों की एंट्री कराते हैं। इन एजेंटों पर धमकी देकर वसूली करने और विरोध करने पर मारपीट करने के भी आरोप लगे। एसडीएम संजय कुमार ने स्पष्ट किया कि ऐसे तत्वों की पहचान कर उन पर निरोधात्मक कार्रवाई की जाएगी।

यात्री सुविधाओं पर उठे सवाल, जल्द होगा समाधान

बस एसोसिएशन के सदस्यों ने स्टैंड में शौचालय, पेयजल, यात्री शेड, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी का मुद्दा उठाया। एसडीएम ने कार्यपालक पदाधिकारी को तत्काल सभी आवश्यक सुविधाएं बहाल करने का निर्देश दिया। अवैध बिजली कनेक्शन से सर्किट फॉल्ट की बात सामने आई जिसे नगर परिषद अपने स्तर पर ठीक करेगी।

मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना की बसों को न रोका जाए

संवाद में यह भी बात सामने आई कि ग्राम गाड़ी योजना की बसों को स्टैंड में एंट्री नहीं दी जाती। एसडीएम ने निर्देश दिया कि ये बसें निर्धारित रूट पर ही चलें और स्टैंड में इनके प्रवेश को कोई न रोके। यह योजना गांव-शहर के बीच सुगम यातायात के लिए लाई गई है।

अवैध टेंपो और जीप संचालन पर जताई गई नाराजगी

बस संचालकों ने बताया कि बस स्टैंड के सामने अवैध टेंपो और कमांडर वाहन खड़े रहते हैं, जो न केवल नियमों का उल्लंघन करते हैं बल्कि बसों से सवारी छीनकर प्रतिस्पर्धा भी करते हैं। इससे आये दिन विवाद और संघर्ष की स्थिति बनती है। एसडीएम ने परिवहन व पुलिस विभाग के समन्वय से कार्रवाई का भरोसा दिलाया।

कांडी और शहर में स्टॉपेज चिन्हित करने की मांग

कांडी में बस ठहराव की सुविधा न होने की शिकायत पर एसडीएम ने समाधान का आश्वासन दिया। वहीं शहर में नो स्टॉपेज ज़ोन में बसें खड़ी करने पर दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई।

एसडीएम ने कहा कि बसें स्टैंड में ही लगें, रास्ते में सवारी लेने में कोई रोक नहीं, लेकिन रंका मोड़ और अंबेडकर चौक पर स्टॉपेज नहीं बनाएं

न्यूज़ देखो: शहरी व्यवस्था सुधारने की दिशा में खुला संवाद

“कॉफी विद एसडीएम” जैसी पहलें न केवल जनसंवाद को मजबूत करती हैं, बल्कि जमीनी समस्याओं को प्रशासनिक स्तर तक पहुंचाने का माध्यम बनती हैं। गढ़वा बस स्टैंड की अनियमितताओं, अवैध संचालन, एजेंटों की दबंगई और यात्री सुविधाओं की कमी पर खुली चर्चा से साफ है कि अब जिम्मेदारी तय होगी और सुधार की उम्मीद जगेगी।
न्यूज़ देखो लगातार ऐसी खबरों को सामने लाकर स्थानीय प्रशासनिक जवाबदेही को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जिम्मेदार परिवहन व्यवस्था से बनेगा सुरक्षित शहर

बस स्टैंड किसी भी शहर का चेहरा होता है। वहां की व्यवस्था न केवल यात्रियों की सुविधा से जुड़ी होती है, बल्कि शहर की छवि भी तय करती है। जरूरत है कि सभी हितधारक मिलकर पारदर्शिता, समन्वय और नियमों का पालन करें
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