भीषण गर्मी में 5 जून से स्कूल खोलने का निर्णय बना चिंता का कारण, अभिभावकों ने उठाई आवाज़

#लातेहार #स्कूलछुट्टीमांग – तेज़ गर्मी में स्कूल खोलने की तैयारी से अभिभावकों में आक्रोश, स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर जताई चिंता

लातेहार में उमस और तपिश ने बढ़ाई अभिभावकों की चिंता

लातेहार जिले में चिलचिलाती गर्मी और पारे में लगातार हो रही वृद्धि के बीच 5 जून से स्कूल खोलने की तैयारी अब सवालों के घेरे में आ गई है। जिले में तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच चुका है। ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजना न केवल जोखिम भरा लग रहा है बल्कि इससे हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की आशंका भी गहरा गई है।

अभिभावकों और जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से लगाई गुहार

इस स्थिति को देखते हुए लातेहार के अभिभावक, शिक्षक और जनप्रतिनिधि सरकार से गर्मी की छुट्टियों को कम से कम एक सप्ताह और बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

लातेहार मुखिया संघ के जिला अध्यक्ष सुभाष सिंह ने कहा: “बच्चों की सेहत को देखते हुए स्कूल खोलने का निर्णय टालना जरूरी है। 7 दिनों की अतिरिक्त छुट्टी से मौसम में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।”

महुआडांड़ प्रखंड के दुरूप पंचायत के पूर्व समिति सदस्य धर्मेंद्र सिंह ने भी चिंता जताते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्र भी भीषण गर्मी से झुलस रहे हैं, ऐसे में बच्चों के लिए स्कूल जाना असंभव है

भाजपा युवा मोर्चा भी हुआ मुखर

भाजपा युवा मोर्चा लातेहार के जिला मंत्री सर्वेश उर्फ बिट्टू ने भी बयान जारी कर जिला प्रशासन से स्कूल खुलने के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है। उन्होंने कहा कि: “जिले की वर्तमान जलवायु और बढ़ते तापमान को देखते हुए प्रशासन को जल्द कोई ठोस निर्णय लेना चाहिए।”

स्कूलों की व्यवस्थाएं नहीं दे पा रहीं राहत

कुछ शिक्षकों ने भी खुलकर कहा कि इस मौसम में कक्षा में पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना कठिन हो जाता है। ऊपर से कई ग्रामीण स्कूलों में पंखे और ठंडे पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है, जिससे बच्चे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि बच्चों की पढ़ाई से पहले उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।

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न्यूज़ देखो हर उस आवाज़ को मंच देता है जो जनहित और ज़मीनी सच्चाई से जुड़ी होती है। लातेहार जैसे क्षेत्र में गर्मी की विकरालता और स्कूलों की सीमित संसाधन व्यवस्था को नज़रअंदाज़ करना, बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। प्रशासन से अपेक्षा है कि वह समय रहते गंभीरता से निर्णय ले और जनभावना का सम्मान करे।
बच्चों का स्वास्थ्य केवल परिवार की नहीं, समाज की सामूहिक ज़िम्मेदारी है।
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