
#सिमडेगा #छात्रसंगठनविवाद : आदिवासी छात्र संघ में एनजीओ दखल, राजनीतिक प्रभाव और मतभेद फैलाने के आरोपों से जिले में बढ़ी हलचल
- सुशील उरांव पर अपने एनजीओ को छात्र संघ की पहचान बताकर छात्रों को गुमराह करने का आरोप।
- अजय एक्का, जिला परिषद सदस्य पर मतभेद फैलाने, वरिष्ठ पदाधिकारियों का अपमान करने और राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश का आरोप।
- समटोली बैठक के बाद तनाव बढ़ा—छात्र नेताओं ने आरोप लगाया कि एकता देखकर कुछ लोग घबरा गए।
- मामला जल्द ही जिला पुलिस अधीक्षक के पास औपचारिक शिकायत के रूप में जाएगा।
- प्रदीप टोप्पो, जॉनसन खलखो, अनमोल तिर्की और आनंद सोरेन ने संयुक्त बयान जारी कर आरोपियों को चेतावनी दी।
- छात्र नेताओं ने कहा—ACS संघर्ष की आवाज है, इसे कमजोर करने की अनुमति किसी को नहीं।
सिमडेगा में आदिवासी छात्र संघ (ACS) के भीतर उठे गंभीर आरोपों ने जिले की छात्र राजनीति में हलचल मचा दी है। संगठन से असंबंधित रहते हुए भी एनजीओ संचालक सुशील उरांव द्वारा छात्र संघ का नाम उपयोग किए जाने और अजय एक्का, जिला परिषद सदस्य ठेठईटांगर पर राजनीतिक उद्देश्य से संगठन में दखल देने के आरोपों ने विवाद को और गहरा कर दिया है। छात्र नेताओं का कहना है कि मामले ने अब कानून और प्रशासन की ओर रुख कर लिया है तथा जिला पुलिस अधीक्षक से शीघ्र ही औपचारिक शिकायत की जाएगी।
सुशील उरांव पर गंभीर आरोप—“एनजीओ को छात्र संघ बताकर भ्रम फैलाना”
आदिवासी छात्र संघ के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि सुशील उरांव अपने निजी एनजीओ को आदिवासी छात्र संघ का स्वरूप देकर छात्रों को गुमराह कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह एक साजिश है, जो संगठन की विश्वसनीयता और छात्रों के संघर्ष को कमजोर करती है।
छात्र नेताओं ने आरोप लगाया—
“सुशील उरांव का ACS से कोई संवैधानिक संबंध नहीं है। एनजीओ को छात्र संघ बताकर यह छात्रों के साथ संगठित धोखा है।”
उनका कहना है कि वर्षों से संगठन ने संघर्ष और एकजुटता की जो पहचान बनाई है, उसे गलत गतिविधियों से नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
अजय एक्का पर संगठन को तोड़ने की कोशिश का आरोप
जिला परिषद सदस्य अजय एक्का पर छात्र संगठन में राजनीतिक हस्तक्षेप करने और मतभेद बढ़ाने का आरोप लगाया गया है। नेताओं ने कहा कि उनका उद्देश्य छात्र हित नहीं, बल्कि अपने राजनीतिक प्रभाव को मजबूत करना है।
मुख्य आरोपों में शामिल हैं—
- छात्रों के बीच मतभेद पैदा करना
- आदिवासी छात्र समूहों को बांटने का प्रयास
- वरिष्ठ पदाधिकारियों का अपमान
- सिमडेगा की शांति भंग करने की कोशिश
- एनजीओ समूहों से मिलकर छात्र संघ को कमजोर करना
समटोली में आयोजित हालिया बैठक के बाद इन आरोपों में और तीव्रता आई। छात्र नेताओं का कहना है कि बैठक में दिखी एकजुटता ने कुछ लोगों को विचलित कर दिया, जिसके बाद वे भ्रम फैलाने में जुट गए।
मामला जिला एसपी तक पहुँचने की तैयारी
आदिवासी छात्र संघ के नेतृत्व ने स्पष्ट किया है कि स्थिति अब गंभीर हो चुकी है और दोनों व्यक्तियों—सुशील उरांव और अजय एक्का—के खिलाफ जिला पुलिस अधीक्षक को विस्तृत लिखित शिकायत दी जाएगी। उनका कहना है कि सिमडेगा की शांति और छात्र एकता को भंग करने की अनुमति किसी को नहीं दी जाएगी।
छात्र नेताओं ने कहा—
“अब मामला कानून के हवाले होगा। हम सिमडेगा की शांति और छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होने देंगे।”
चार पदाधिकारियों का संयुक्त बयान—कड़ी चेतावनी
विवाद पर संगठन के चार प्रमुख पदाधिकारियों—प्रदीप टोप्पो, जॉनसन खलखो, अनमोल तिर्की, आनंद सोरेंग—ने संयुक्त बयान जारी किया है।
प्रदीप टोप्पो : “एनजीओ राजनीति नहीं चलेगी”
प्रदीप टोप्पो ने कहा—
“आदिवासी छात्र संघ किसी की निजी दुकान नहीं है। सिमडेगा में एनजीओ राजनीति की अनुमति नहीं दी जाएगी। हम मंत्री चमरा लिंडा के संघर्ष से प्रेरित हैं और 2000 से छात्रों की आवाज उठाते आ रहे हैं।”
उन्होंने चेतावनी दी कि संगठन को गिराने की कोशिश करने वालों को छात्र समाज कभी स्वीकार नहीं करेगा।
जॉनसन खलखो : “राजनीति चमकाने की कोशिश”
जॉनसन खलखो ने कहा—
“अजय एक्का और रोशन डुंगडुंग छात्रों को बांटकर राजनीति चमकाना चाहते हैं। यह साजिश अब बेनकाब हो चुकी है।”
अनमोल तिर्की : “मानहानि केस की तैयारी”
अनमोल तिर्की ने आरोप लगाया—
“हम पर झूठा प्रचार किया गया है। अब इनके खिलाफ मानहानि का केस किया जाएगा। जिला एसपी को सबूत सौंपे जाएंगे।”
आनंद सोरेन (पूर्व उपाध्यक्ष): “ACS को राजनीतिक प्रयोगशाला नहीं बनने देंगे”
आनंद सोरेन ने चेतावनी दी—
“ACS हमारी अस्मिता का प्रतीक है। इसे एनजीओ राजनीति या जिला परिषद नेताओं की महत्वाकांक्षा के हवाले नहीं किया जाएगा।”
छात्रों का स्पष्ट संदेश—“ACS संघर्ष की आवाज है”
विवाद के बीच छात्रों ने एक स्वर में कहा कि वे अपने संगठन को कमजोर होने नहीं देंगे।
छात्रों ने कहा—
“ACS हमारी पहचान और अधिकारों की आवाज है। इसे कमजोर करने की कोशिश करने वालों को सिमडेगा कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।”
न्यूज़ देखो: सिमडेगा की छात्र राजनीति में पारदर्शिता की मांग
यह पूरा प्रकरण दिखाता है कि छात्र संगठन कितने संवेदनशील और प्रभावशाली होते हैं। जब संगठन के नाम का दुरुपयोग होता है या बाहरी हस्तक्षेप बढ़ता है, तो छात्रों में असंतोष स्वाभाविक है। पदाधिकारियों द्वारा प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग यह दर्शाती है कि छात्र समुदाय पारदर्शिता और सम्मान चाहता है।
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संगठन की ताकत एकता में—अपने अधिकार, अपनी आवाज, अपना संघर्ष
संगठन तभी मजबूत होता है जब उसके सदस्य सच, अनुशासन और एकजुटता को प्राथमिकता देते हैं। आदिवासी छात्र संघ की यह लड़ाई सिर्फ एक संगठन की नहीं, बल्कि छात्र अधिकारों की रक्षा का प्रतीक है।







