
#दुमका #सड़क_हादसा : कुरूवा गांव के पास अज्ञात स्कॉर्पियो से साइकिल सवार की मौत के बाद ग्रामीणों ने मुआवजा व कार्रवाई की मांग पर मुख्य पथ को पांच घंटे तक जाम रखा।
- कुरूवा गांव के पास तेज रफ्तार अज्ञात स्कॉर्पियो की चपेट में आने से वीरेंद्र रजक की मौत।
- मृतक बेहराबांक गांव का निवासी, कुरूवा कोयला डंपिंग यार्ड में निजी वाहन चलाकर करता था जीविकोपार्जन।
- ड्यूटी से लौटते समय सुबह 3 बजे हुआ हादसा, पीछे पत्नी और चार बच्चे छोड़ गया।
- आक्रोशित ग्रामीणों ने दुमका–रामपुरहाट मुख्य सड़क को जाम कर लगाया विरोध।
- जाम से दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें, आम जनजीवन पूरी तरह प्रभावित।
- पुलिस और प्रखंड प्रशासन की पहल के बाद करीब 5 घंटे बाद जाम खुल पाया।
दुमका–रामपुरहाट मुख्य मार्ग मंगलवार की सुबह पांच घंटे तक थम गया, जब कुरूवा गांव के पास हुए भीषण सड़क हादसे के बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। घटना में बेहराबांक गांव निवासी वीरेंद्र रजक की मौत हो गई, जिसकी साइकिल को अज्ञात स्कॉर्पियो ने तेज रफ्तार में टक्कर मार दी। हादसा सुबह 3 बजे हुआ, जब वीरेंद्र ड्यूटी के बाद घर लौट रहे थे। अचानक हुई इस दुर्घटना ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया, साथ ही ग्रामीणों में गहरा गुस्सा फैल गया।
कैसे हुआ दर्दनाक हादसा?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कुरूवा कोयला डंपिंग यार्ड के पास सन्नाटा होने के कारण हादसा बेहद तेज गति में हुआ। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि वीरेंद्र रजक की मौके पर ही मौत हो गई। वह डंपिंग यार्ड में निजी वाहन चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते थे।
उनके पीछे पत्नी और चार छोटे बच्चे हैं, जिनके सामने अब जीवनयापन का सवाल खड़ा हो गया है।
ग्रामीणों का उग्र प्रदर्शन, सड़क जाम
सुबह घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीण बड़ी संख्या में जुटे और न्याय तथा मुआवजा की मांग को लेकर दुमका–रामपुरहाट मुख्य पथ पर जाम लगा दिया।
दोनो ओर से वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। बस, ट्रक, एंबुलेंस, छोटे वाहन सब जगह फंसे रहे। सामान्य लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। जाम के कारण कई यात्री घंटों सड़क पर ही इंतजार करते रहे।
ग्रामीणों की मांग थी कि मृतक के परिवार को सरकार तत्काल उचित मुआवजा, आश्रितों के लिए सहायता राशि, और प्रशासन द्वारा दोषी वाहन की पहचान कर कार्रवाई सुनिश्चित करे।
प्रशासन की पहल से खुला जाम
सूचना मिलने पर मौके पर पुलिस बल और प्रखंड प्रशासन की टीम पहुंची। अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाया कि दोषी वाहन की पहचान कर कार्रवाई होगी और परिवार को सरकारी प्रावधानों के अनुसार सहायता दी जाएगी।
लगातार समझाने-बुझाने, आश्वासन और वार्ता के बाद लगभग 5 घंटे बाद जाम हटाया गया। सड़क पर रुका यातायात धीरे-धीरे बहाल हुआ।
मृतक परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
वीरेंद्र रजक अपने परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य थे। अचानक हुई मौत से पत्नी और चार बच्चों की आर्थिक स्थिति गंभीर हो गई है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की कि परिवार को तत्काल आर्थिक सहयोग दिया जाए, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रह सके।
न्यूज़ देखो: सड़क सुरक्षा और जिम्मेदारी पर बड़ा सवाल
यह घटना बताती है कि तेज रफ्तार और लापरवाही किस तरह एक परिवार को उजाड़ सकती है। ग्रामीणों का आक्रोश इसलिए है क्योंकि ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं और दोषियों तक कार्रवाई शायद ही कभी पहुंचती है। प्रशासन को न केवल मृतक परिवार को सहायता देनी चाहिए, बल्कि इस मार्ग पर पुलिस गश्ती, सीसीटीवी, और स्पीड कंट्रोल व्यवस्था को भी मजबूत करना होगा।
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सड़क सुरक्षा जागरूकता अब हर नागरिक की प्राथमिक जिम्मेदारी
एक परिवार का सहारा अचानक खत्म हो गया—यह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि हमारी सड़क संस्कृति की कमजोरियों का आईना है। अब समय है कि हम सभी यातायात नियमों को गंभीरता से लें, तेज रफ्तार वाहनों को रोकने में प्रशासन का साथ दें और दुर्घटना पीड़ित परिवारों की मदद के लिए आगे आएं।
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