
#पलामू #दिवाली_उत्सव : दीपों की रोशनी और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सजा तीसीबार कला, मुखिया पूनम देवी ने किया शुभारंभ
- तीसीबार कला पंचायत में दिवाली पर हुआ भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम।
- मुखिया पूनम देवी ने दीप प्रज्वलित कर किया उद्घाटन और शुभकामनाएं दीं।
- अजीत कुमार ने की कार्यक्रम की अध्यक्षता और अगले वर्ष बड़े आयोजन की घोषणा।
- असम राइफल्स के सिपाही किशोर कुमार ने देशसेवा और संस्कृति दोनों पर दिया भावनात्मक संदेश।
- बच्चों और युवाओं की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मोह लिया दर्शकों का मन।
पलामू/पाण्डु। पाण्डु प्रखण्ड के तीसीबार कला पंचायत में दिवाली के शुभ अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम ने पूरे क्षेत्र को उत्सव की ऊर्जा से भर दिया। दीपों की झिलमिल रोशनी, लोकगीतों की धुन और मंच पर सजती विविध प्रस्तुतियों के बीच ग्रामीणों का उत्साह देखते ही बनता था। कार्यक्रम में बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी एक साथ जश्न में शामिल हुए, जिससे सामाजिक एकता का अद्भुत दृश्य देखने को मिला।
दीप प्रज्वलन के साथ आरंभ हुआ उत्सव
कार्यक्रम का शुभारंभ पंचायत मुखिया पूनम देवी ने दीप प्रज्वलित कर किया। उन्होंने सभी उपस्थित ग्रामीणों को दिवाली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम समाज में आपसी प्रेम और सहयोग की भावना को मजबूत करते हैं।
पूनम देवी ने कहा: “ऐसे आयोजन हमें अपनी संस्कृति से जोड़ते हैं और सामुदायिक एकता को सशक्त बनाते हैं। हर घर में दीप जले और हर मन में खुशियां हों, यही मेरी शुभकामना है।”
अध्यक्षता में दी गई सांस्कृतिक एकता की मिसाल
कार्यक्रम की अध्यक्षता अजीत कुमार ने की, जिन्होंने सभी प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि यह आयोजन पंचायत की पहचान को नई दिशा देता है। उन्होंने घोषणा की कि अगले वर्ष और भी भव्य आयोजन किया जाएगा ताकि स्थानीय कलाकारों को बड़ा मंच मिल सके।
अजीत कुमार ने कहा: “हमारी संस्कृति हमारी पहचान है। इस पर गर्व करना और उसे आगे बढ़ाना हम सबकी जिम्मेदारी है।”
समाज और सेवा का संगम
वार्ड सदस्य रूबी कुमारी ने कार्यक्रम की सफलता पर खुशी जताते हुए कहा कि पंचायत के हर इलाके में इस तरह के आयोजन से आपसी सौहार्द बढ़ता है। वहीं असम राइफल्स के सिपाही किशोर कुमार ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि देश सेवा के बीच समाज के बीच समय बिताने का यह पल उनके लिए बेहद खुशीभरा है।
किशोर कुमार बोले: “हम देश की रक्षा करते हैं, लेकिन जब कभी अपने गांव की मिट्टी में लौटते हैं और लोगों की मुस्कान देखते हैं, तो सच्ची दिवाली का अहसास होता है।”
बच्चों की प्रस्तुतियों ने जीता दिल
कार्यक्रम का सबसे आकर्षक हिस्सा बच्चों और युवाओं की प्रस्तुतियां रहीं। पारंपरिक नृत्य, देशभक्ति गीत और सामूहिक नाट्य प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। तालियों की गूंज और खुशियों की लहरों ने पूरे मैदान को जीवंत कर दिया।
इस अवसर पर विकास कुमार, विकास प्रजापति, विजय प्रजापति, नागेन्द्र कुमार सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे। आयोजन के दौरान सभी ने दीप प्रज्वलन, पूजा-अर्चना और सामूहिक गीतों के माध्यम से दिवाली का उल्लास साझा किया।

न्यूज़ देखो: संस्कृति से जुड़ने का यह अवसर गांवों को कर रहा मजबूत
तीसीबार कला का यह आयोजन सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि ग्रामीण समाज में सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक बन गया है। ऐसे कार्यक्रम स्थानीय कलाकारों को मंच देते हैं और गांवों में सामाजिक समरसता को गहराई से स्थापित करते हैं। हर गांव में यदि इस तरह के आयोजन होते रहें तो समाज में प्रेम, सहयोग और भाईचारा और प्रबल होगा।
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संस्कृति का उत्सव, एकता का संदेश
त्योहार सिर्फ रोशनी के नहीं, दिलों को जोड़ने के भी अवसर होते हैं। तीसीबार कला का यह आयोजन बताता है कि जब समाज एकजुट होता है, तो हर उत्सव एक प्रेरणा बन जाता है। आइए, हम सब मिलकर अपनी परंपराओं को सहेजें, सांस्कृतिक एकता को मजबूत करें और ऐसी पहल को बढ़ावा दें।
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