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झारखंड आंदोलन के सेनानी मुरलीधर प्रसाद की पहली पुण्यतिथि बरवाडीह में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई

#बरवाडीह #झारखंड_आंदोलन : झारखंड आंदोलन के प्रखर सेनानी स्व. मुरलीधर प्रसाद की पहली पुण्यतिथि पर राज्यभर के आंदोलनकारियों ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए

बरवाडीह में स्वर्गीय मुरलीधर प्रसाद की पहली पुण्यतिथि श्रद्धा और सम्मान के साथ आयोजित की गई। मेन रोड स्थित उनके आवास पर इस अवसर पर राज्यभर के सैकड़ों आंदोलनकारी पहुंचे और उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता सत्येंद्र सिंह ने की, जबकि संचालन बिरेंद्र ठाकुर ने संभाला।

उपस्थित आंदोलकारियों ने स्व. मुरलीधर प्रसाद के झारखंड राज्य निर्माण आंदोलन में योगदान और उनके संघर्षों को याद किया। इस दौरान सरकार से उन्हें शहीद का दर्जा देने, सभी आंदोलनकारियों को मान-सम्मान पेंशन देने और उनके आश्रितों को नौकरी प्रदान करने की मांग भी उठाई गई।

कार्यक्रम की विशेष झलकियाँ

आगंतुकों ने मुरलीधर प्रसाद के जीवन और उनके संघर्षों पर चर्चा की और उनकी उपलब्धियों को याद किया। इस अवसर पर उनके परिवार के सदस्य भी उपस्थित रहे, जिनमें पत्नी मधु देवी, पुत्री विभा रानी चौरसिया, निभा रानी चौरसिया, पूजा चौरसिया, आशा चौरसिया, नेहा चौरसिया, तथा दामाद प्रीतम कुमार, रमेश कुमार, जय प्रकाश सिंह, गौतम चौरसिया शामिल थे।

प्रमुख उपस्थित आंदोलनकारी

कार्यक्रम में सत्येंद्र सिंह, विजय भगत, सुरेंद्र प्रसाद, दीनानाथ राम, विश्वनाथ प्रसाद गुप्ता, वीरेंद्र ठाकुर, नागेंद्र प्रसाद, विनोद सिंह, ओमप्रकाश दुबे, कुंदन कुमार, बंधू सिंह खरवार, पत्रकार और व्यवसायिक संघ के अध्यक्ष दीपक राज, सविता देवी, कल्पना देवी, ध्रुव बिगन सिंह, गयासुद्दीन अंसारी, मोहन सिंह, सुरेश राम, प्रदीप सिंह और रामनाथ उरांव सहित सैकड़ों अन्य आंदोलनकारी उपस्थित थे।

आगामी योजना

अगले वर्ष पुण्यतिथि से पहले मुरलीधर प्रसाद की प्रतिमा स्थापना को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की योजना बनाई गई है। इसके लिए 21 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है जो प्रतिमा स्थापना और कार्यक्रम की देखरेख करेगी।

न्यूज़ देखो: झारखंड आंदोलन के इतिहास और सेनानियों को याद रखने का प्रयास

यह कार्यक्रम बताता है कि झारखंड आंदोलन के सेनानियों और उनके योगदान को समाज में याद रखा जा रहा है। सरकार और समाज के प्रयास से न केवल उनके संघर्षों को सम्मानित किया जाता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी उनके साहस और समर्पण की जानकारी मिलती है।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सामाजिक स्मरण और सक्रिय भागीदारी

हम सभी की जिम्मेदारी है कि अपने इतिहास और आंदोलन के सेनानियों को याद रखें और उनके योगदान को सम्मान दें। उनके आदर्शों से सीख लेकर समाज में जागरूकता फैलाएँ। अपनी राय कमेंट में साझा करें, इस खबर को दोस्तों और परिवार तक पहुंचाएँ और झारखंड आंदोलन की गाथा को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने में योगदान दें।

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