
#बानो #जनजातीयगौरवदिवस : विवेकानंद शिशु विद्या मंदिर लचरागढ़ में शोभायात्रा, झांकियों और उत्साहपूर्ण सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ जनजातीय अस्मिता का अद्भुत उत्सव मनाया गया
- विवेकानंद शिशु/विद्या मंदिर लचरागढ़ में जनजातीय गौरव दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
- विद्यालय परिसर से भव्य शोभायात्रा निकली जो प्रिंस चौक होते हुए वापस विद्यालय लौटी।
- शोभायात्रा का नेतृत्व प्रांत जनजाति हितरक्षा प्रमुख श्री राजेन्द्र बड़ाईक ने किया।
- विद्यार्थियों ने बिरसा मुंडा, तिलका मांझी, नीलाम्बर-पीताम्बर, फूलो-झानो सहित कई महापुरुषों की झांकियाँ प्रस्तुत कीं।
- पूरे कार्यक्रम में आचार्यों, विद्यार्थियों और स्थानीय प्रतिनिधियों की उत्साहपूर्ण उपस्थिति रही।
बानो के लचरागढ़ स्थित विवेकानंद शिशु/विद्या मंदिर उच्च विद्यालय में जनजातीय गौरव दिवस बड़ी धूमधाम, सांस्कृतिक उमंग और परंपरागत गरिमा के साथ मनाया गया। दिन की शुरुआत विद्यालय परिसर से निकली भव्य शोभायात्रा से हुई जो बस स्टैंड और प्रिंस चौक होते हुए पुनः विद्यालय में लौट आई। जनजातीय परिधानों में सजे भैया-बहनों ने नृत्य, गीत और झांकियों के माध्यम से जनजातीय अस्मिता की अनूठी झलक पेश की। प्रांत जनजाति हितरक्षा प्रमुख श्री राजेन्द्र बड़ाईक के नेतृत्व में यह यात्रा और भी अनुशासित और प्रेरणादायी दिखाई दी।
शोभायात्रा में दिखी जनजातीय संस्कृति की अद्भुत छटा
बानो की सड़कों पर आज जनजातीय गौरव, सांस्कृतिक ऊर्जा और पारंपरिक विरासत की झलक साफ दिखाई दी। विद्यार्थी भगवान बिरसा मुंडा, तिलका मांझी, वीर बुद्ध भगत, जतरा टाना भगत, तेलंगा खड़िया, नीलाम्बर-पीताम्बर, फूलो-झानो, सिनगी दई और कैली दई की भूमिकाओं में सजे हुए थे। उनकी झांकियाँ राहगीरों का ध्यान आकर्षित करती रहीं।
भारत माता की जय, बिरसा मुंडा की जय और वीर नायकों की जयकारों ने पूरे माहौल को उत्साहपूर्ण बना दिया। बच्चों की नृत्य-प्रस्तुतियाँ जनजातीय परंपराओं की समृद्धता को विशेष रूप से दर्शाती रहीं।
नेतृत्व और अनुशासन ने बढ़ाई शोभायात्रा की गरिमा
इस विशाल शोभायात्रा का नेतृत्व प्रांत जनजाति हितरक्षा प्रमुख श्री राजेन्द्र बड़ाईक ने किया। उनके मार्गदर्शन में कार्यक्रम अनुशासित और ऊर्जावान रूप में संपन्न हुआ। विद्यालय के सभी भैया-बहन, आचार्य-आचार्या और स्थानीय शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया।
सभा में जनजातीय विरासत पर विस्तृत प्रकाश
शोभायात्रा के उपरांत विद्यालय प्रांगण में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए श्री राजेन्द्र बड़ाईक ने जनजातीय गौरव दिवस के ऐतिहासिक महत्व पर विस्तृत रूप से चर्चा की। उन्होंने कहा:
श्री राजेन्द्र बड़ाईक ने कहा: “जनजातीय समाज की समृद्ध परंपरा, संस्कृति और संघर्ष की यात्रा भारत की सांस्कृतिक धरोहर की महत्वपूर्ण कड़ी है। इसे संरक्षित और प्रसारित करना हमारा नैतिक दायित्व है।”
उन्होंने जनजातीय समाज की वीरता, वेशभूषा, खानपान और राष्ट्रीय योगदान को प्रेरणादायी शब्दों में रेखांकित किया।
कार्यक्रम का संचालन आचार्य प्रमोद पाणिग्रही और सुदर्शन कुमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री राजेंद्र ने प्रस्तुत किया।
आयोजन में उपस्थित प्रतिनिधि और शिक्षक
इस अवसर पर प्रांतीय जनजाति हितरक्षा प्रमुख श्री राजेंद्र बड़ाईक, शिशु मंदिर जलडेगा के प्रधानाचार्य श्री राम बड़ाईक, प्रधानाचार्य श्री राजेंद्र साहू, आचार्य प्रमोद पाणिग्रही, सुदर्शन कुमार, अर्जुन महतो, गणेश सिंह, जागेश्वर सिंह, भागीरथी सिंह, शिविरचंद नायक, आचार्या लक्ष्मी देवी, बिमला देवी, बसंती देवी, दशरथी देवी, सुश्री शकुंतला कुमारी, दीक्षित कुमारी, प्रगति कुमारी, संध्या रानी बड़ाइक, रजनी बड़ाईक, सुनीति कुमारी, यमुना कुमारी, गंगोत्री देवी, धनुरजय सिंह, सबरन सिंह, कालीचरण सिंह, तरुण सिंह, एटलस टोपनो सहित बड़ी संख्या में भैया-बहन मौजूद थे।

न्यूज़ देखो: जनजातीय धरोहर की सुरक्षा और संवर्धन आवश्यक
जनजातीय गौरव दिवस हमें अपनी मूल जड़ों, वीरता, इतिहास और सांस्कृतिक समृद्धि की याद दिलाता है। ऐसे आयोजनों से नई पीढ़ी में पहचान और आत्मगौरव की भावनाएँ मजबूत होती हैं। प्रशासन और समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि जनजातीय विरासत को संरक्षित करने वाले ऐसे कार्यक्रमों को और अधिक बढ़ावा दें ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस गौरव से प्रेरणा ले सकें।
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जनजातीय गौरव की प्रेरणा से समाज में जागे नई ऊर्जा
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