
#चंदवा #नशा_मुक्ति : कई टोलों में नाबालिग बच्चों में तेजी से बढ़ रही नशे की प्रवृत्ति से ग्रामीणों में चिंता, तस्करी रोकने और जागरूकता बढ़ाने की मांग तेज।
- परसाही, तिलैयाटांड़, डेम टोली, अलौदिया, कुसुम टोली, सरोज नगर में नाबालिगों में नशा सेवन बढ़ने की जानकारी।
- ग्रामीणों के अनुसार चतरा की ओर से यात्री बसों से अज्ञात युवक लाते हैं मादक पदार्थ।
- बच्चों की सेहत, शिक्षा और भविष्य पर गंभीर खतरा, शाम के समय समूह में नशे का सेवन।
- नशे की हालत में शोरगुल, असामाजिक व्यवहार से गांव का सामाजिक माहौल बिगड़ रहा।
- ग्रामीणों ने पुलिस व प्रशासन से त्वरित कार्रवाई और तस्करी रोकने के लिए सख्त कदम की मांग की।
- समाजसेवियों ने स्कूल, परिवार और प्रशासन के संयुक्त अभियान की जरूरत बताई।
चंदवा प्रखंड के कई टोलों—परसाही, तिलैयाटांड़, डेम टोली, अलौदिया, कुसुम टोली और सरोज नगर—में नाबालिग बच्चों के बीच बढ़ता नशा सेवन स्थानीय ग्रामीणों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। पिछले कुछ महीनों से कम उम्र के बच्चों में मादक पदार्थों की लत तेजी से फैल रही है, जिससे उनकी दिनचर्या, शिक्षा और स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार कुछ अज्ञात युवक चतरा की ओर से यात्री बसों के माध्यम से नशीले पदार्थ चंदवा पहुंचा रहे हैं। यही सामग्री गुप्त रूप से बच्चों के हाथों तक जा रही है। माता–पिता से छुपकर बच्चे शाम के समय समूह बनाकर नशा करते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है और कई बच्चे स्कूल छोड़ने की कगार पर पहुंच गए हैं।
नाबालिगों की आदत से गांव का माहौल प्रभावित
स्थानीय लोग बताते हैं कि नशे की हालत में बच्चों का शोरगुल और असामाजिक गतिविधियों में शामिल होना आम बात बन चुकी है। क्षेत्र के बुजुर्गों का कहना है कि यह प्रवृत्ति यदि रोकी न गई तो आने वाले समय में गांवों का सामाजिक संतुलन पूरी तरह बिगड़ सकता है। नाबालिगों द्वारा नशा अपनाना केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए गंभीर खतरे का संकेत है।
गांव के लोगों ने राय दी कि इस समस्या पर तुरंत कानूनी कार्रवाई और सामाजिक हस्तक्षेप दोनों की जरूरत है। बच्चों के बिगड़ते व्यवहार के कारण अभिभावक भी असमंजस में हैं कि उन्हें कैसे नियंत्रित करें।
प्रशासन से सख्त कार्रवाई और निगरानी की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस और संबंधित विभागों को तस्करी रोकने के लिए त्वरित और कड़े कदम उठाने चाहिए। यात्री बसों की नियमित जांच, संदिग्ध युवकों की निगरानी और नशा बेचने वालों की पहचान अब वक्त की मांग है।
प्रशासनिक सख्ती के साथ-साथ परिवारों और स्कूलों की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण है। शिक्षकों का कहना है कि बच्चों को नशे के खतरे, इसके दुष्प्रभाव और भविष्य पर पड़ने वाले असर के बारे में लगातार जागरूक करना होगा।
समाजसेवियों ने संयुक्त अभियान चलाने की वकालत की
चंदवा क्षेत्र के समाजसेवियों ने कहा कि नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए प्रशासन, शिक्षकों और अभिभावकों को मिलकर संयुक्त जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। इससे बच्चों को सही दिशा मिलेगी और वे नशे के जाल में फंसने से बच सकेंगे।
इस समय चंदवा में फैल रहा यह नशा संकट सिर्फ अपराध का मामला नहीं, बल्कि समाज के भविष्य से जुड़ा हुआ गंभीर प्रश्न बन चुका है। ग्रामीण उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन शीघ्र निर्णायक कदम उठाकर इस समस्या पर लगाम लगाएगा।

न्यूज़ देखो: नाबालिगों में फैलते नशे पर रोक बेहद जरूरी
नशे की बढ़ती लत समाज को अंदर से कमजोर करती है। ऐसे मामलों में प्रशासनिक कार्रवाई जितनी आवश्यक है, उतना ही जरूरी है परिवार और शिक्षकों की सतर्कता। चंदवा में यह मुद्दा अब सामाजिक संकट का रूप ले चुका है, जिसे रोकने के लिए सामूहिक प्रयास अनिवार्य हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जागरूक बनें, नाबालिगों को नशे से बचाने में सहयोग करें
बच्चों की निगरानी रखें, उनके दोस्तों और दिनचर्या पर ध्यान दें।
स्कूल और समाज में जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा दें।
नशा बेचने वालों की सूचना तुरंत प्रशासन को दें।
इस खबर को साझा करें और बताएं कि समाज एकजुट होकर ही नशे के खिलाफ जीत सकता है।





