
#गढ़वा #हाथियोंकाआतंक : वन विभाग की लापरवाही बनी जानलेवा, मृतक परिवार ने उठाए गंभीर सवाल
- नगाड़ी गांव में हाथियों ने घर तोड़ा, 60 वर्षीय विजय सिंह की मलबे में दबकर मौत
- चिनिया में दो ग्रामीणों की जान जाने के बाद यह तीसरी घटना, प्रशासन बेखबर
- हाथी पहले से गांव के आसपास मंडरा रहे थे, वन विभाग को दी गई थी कई बार सूचना
- रात्रि गश्ती और रोकथाम व्यवस्था पूरी तरह नाकाम, ग्रामीणों में दहशत
- मुआवजा, सुरक्षा और स्थायी समाधान की मांग के साथ ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी
तड़के गांव में घुसा हाथियों का झुंड, कच्चा घर बना मौत का कारण
गढ़वा जिले के रंका थाना क्षेत्र अंतर्गत दुधवल पंचायत के नगाड़ी गांव में बुधवार की सुबह एक जंगली हाथी के हमले में 60 वर्षीय विजय सिंह की दर्दनाक मौत हो गई।
घटना सुबह 4 बजे के करीब की है जब हाथियों का झुंड गांव में घुस आया और तोड़फोड़ शुरू कर दी।
विजय सिंह उस समय अपने घर में चारपाई पर सो रहे थे, जब अचानक एक हाथी ने उनके घर की कच्ची दीवार तोड़ दी।
दीवार का भारी मलबा सीधे उनके ऊपर गिरा, जिससे उनका सिर बुरी तरह कुचल गया और उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
“हमारे पिताजी चारपाई पर सो रहे थे… तेज धमाके की आवाज आई, जब तक हम दौड़ते, उनका शरीर मलबे के नीचे दब चुका था।”
— राम आशीष सिंह, मृतक का पुत्र
लगातार तीसरे दिन मौत — जंगल की ओर नहीं लौटा झुंड
यह इसी हफ्ते जिले में हाथियों के हमले से तीसरी मौत है।
एक दिन पहले ही चिनिया थाना क्षेत्र के चिरका गांव में दो ग्रामीणों की जान चली गई थी।
वन विभाग को पहले ही हाथियों के मूवमेंट की जानकारी दी गई थी, लेकिन न तो कोई सुरक्षा व्यवस्था की गई और न ही रात्रि गश्ती।
ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों का यह झुंड पिछले कुछ दिनों से आसपास के जंगलों और खेतों में घूम रहा था, लेकिन किसी ने इसकी गंभीरता नहीं समझी।
वन विभाग की चुप्पी से बढ़ा गुस्सा
मृतक के परिवार और ग्रामीणों ने वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर समय रहते रोकथाम की जाती, तो यह जान नहीं जाती।
स्थानीय लोग अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
“हमने कई बार विभाग को कॉल किया, जानकारी दी, पर कोई आया ही नहीं। जब जान चली जाए तब जांच के नाम पर खानापूर्ति होती है।”
— एक ग्रामीण की प्रतिक्रिया
पुलिस की मौजूदगी, लेकिन समाधान नहीं
रंका थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर गढ़वा सदर अस्पताल भेज दिया गया।
वहीं ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा है कि अब वे सिर्फ मुआवजा नहीं, बल्कि स्थायी समाधान की मांग करेंगे।
गांवों में फैली दहशत — रात्रि गश्ती, सायरन और वन चौकी की मांग
नगाड़ी समेत आसपास के गांवों के ग्रामीणों ने वन विभाग से फौरन प्रभाव से रात्रि गश्ती बढ़ाने, चेतावनी सायरन लगाने और स्थायी वन चौकी की स्थापना की मांग की है।
सामाजिक कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि भी अब मैदान में उतर चुके हैं।
वे वन विभाग की निष्क्रियता और प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठा रहे हैं।


✦ न्यूज़ देखो: कब जागेगा वन विभाग?
क्या गढ़वा जिले को हर दिन एक लाश देकर ही हाथियों के आतंक को गंभीरता से लिया जाएगा?
वन विभाग के पास न तो सुरक्षा का रोडमैप है, न ग्रामीणों को कोई राहत योजना।
जब लोग पहले ही सूचित कर चुके थे, तब यह जनहानि विभाग की असफलता नहीं तो क्या है?
न्यूज़ देखो मांग करता है कि—
- हाथियों के झुंड को जियो टैग करने की व्यवस्था पर काम किया जाए ताकि उनकी मूवमेंट का समय रहते पता चल सके।
- संवेदनशील गांवों की सूची बनाकर तत्काल रात्रि सुरक्षा शुरू की जाए
- हाथियों को खदेड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए
- मृतक परिवार को आपदा राहत कोष से तत्काल मुआवजा दिया जाए
- स्थायी वन चौकियां, विशेष कर चिनिया, रंका और भंडरिया जैसे क्षेत्रों में स्थापित की जाएं
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
✦ हर गांव सुरक्षित हो, हर जान की हो कीमत
गढ़वा जिले को अब सतर्कता, तकनीकी निगरानी और विभागीय ज़िम्मेदारी की ज़रूरत है।
हमें न केवल जानवरों से, बल्कि प्रशासनिक चुप्पी से भी लड़ना होगा।
न्यूज़ देखो आपसे अपील करता है—आवाज उठाएं, साथ खड़े हों, और बदलाव की मांग करें।