
#गारुलातेहार #मनरेगा – 45 दिन से नहीं मिली मजदूरी, भूख और बेरोजगारी से जूझ रहे ग्रामीण, बोले– “काम किया है लेकिन पैसा नहीं मिला”
- गारु के दर्जनों गांवों में मनरेगा मजदूरी का 45 दिनों से नहीं हुआ भुगतान
- मजदूर बोले– बच्चों की पढ़ाई ठप, घर में राशन खत्म, कहां जाएं?
- दूसरे राज्यों में पलायन को मजबूर हो रहे ग्रामीण, गहरा रहा संकट
- विभागीय चुप्पी से नाराज जनप्रतिनिधियों ने उठाए सवाल
- बीपीओ दिलीप पाल ने कहा– फंडिंग की कमी, 7–10 दिन में शुरू होगा भुगतान
मेहनताना नहीं मिला तो खाली पेट कहां जाएं?
लातेहार जिले के गारु प्रखंड क्षेत्र के कई पंचायतों में मनरेगा मजदूरी भुगतान में भीषण देरी ने गरीब परिवारों को आर्थिक संकट में धकेल दिया है। ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने करीब डेढ़ महीने पहले मिट्टी काटने और डोभा खुदाई का काम किया, लेकिन अब तक उनके खाते में एक भी रुपया नहीं पहुंचा।
ग्रामीणों की पीड़ा शब्दों में छलक रही है—
“सरकार हर साल रोजगार गारंटी की बात करती है, लेकिन मेहनताना नहीं मिलने से भूखे मरने की नौबत आ गई है। बच्चों की पढ़ाई छूट रही है, घर में चूल्हा नहीं जल रहा।”
गांवों से हो रहा पलायन, रोजगार गारंटी योजना पर सवाल
मजदूरी नहीं मिलने की वजह से ग्रामीणों का पलायन बढ़ता जा रहा है। झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा, जिसका उद्देश्य ग्रामीणों को उनके गांव में ही स्थायी रोजगार मुहैया कराना है, आज भुगतान में देरी और प्रशासनिक उदासीनता के कारण उल्टा असर दिखा रही है।
ग्रामीणों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं मिला।
जनप्रतिनिधियों ने उठाया सवाल, योजना के उद्देश्य पर संकट
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने विभाग की चुप्पी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि अगर मजदूरी समय पर नहीं मिली, तो मनरेगा जैसी योजना का असली मकसद ही समाप्त हो जाएगा।
“मजदूरों को समय पर भुगतान नहीं मिला, तो ये योजना सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाएगी। इसके कारण पलायन की समस्या और गंभीर हो जाएगी,” – एक स्थानीय जनप्रतिनिधि
प्रशासन का जवाब– जल्द शुरू होगा भुगतान
इस मुद्दे पर गारु प्रखंड के बीपीओ सह एई दिलीप पाल ने जानकारी दी कि –
“फंडिंग की कमी के कारण मजदूरी का भुगतान रुका हुआ है। अगले 7 से 10 दिनों में मजदूरों का भुगतान शुरू कर दिया जाएगा।”
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न्यूज़ देखो हमेशा उन मुद्दों को उजागर करता है, जिनसे आम जनता की जिंदगी सीधे तौर पर प्रभावित होती है। मनरेगा जैसी योजना तभी सफल होगी, जब गरीब को समय पर मेहनताना मिले और उसे गांव छोड़ने को मजबूर न होना पड़े।
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