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मझिआंव के पुरहे गांव का हाई स्कूल शिक्षकों से खाली, 13 बैच बिना शिक्षक के पास हुए मैट्रिक

#Garhwa #EducationCrisis : 450 बच्चों की पढ़ाई तीन शिक्षकों के भरोसे, ग्रामीणों ने लगाई गुहार

हाई स्कूल का दर्जा मिला, लेकिन शिक्षक नहीं

गढ़वा: मझिआंव प्रखंड के पुरहे गांव का मिडिल स्कूल 2010-11 में हाई स्कूल में अपग्रेड कर दिया गया। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इतने सालों में हाई स्कूल के लिए एक भी शिक्षक की प्रतिनियुक्ति नहीं की गई

ग्रामीणों के अनुसार, इस विद्यालय में लगभग 450 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं, जिनकी पढ़ाई का जिम्मा फिलहाल प्राथमिक विद्यालय के तीन शिक्षक और दो पारा शिक्षकों पर है।

13 बैच मैट्रिक परीक्षा दे चुके, भविष्य पर सवाल

स्थानीय लोगों ने बताया कि मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा पास कर चुके छात्रों की 13 बैच निकल चुकी हैं। लेकिन बिना योग्य शिक्षकों के पढ़ाई पूरी करने वाले इन बच्चों का भविष्य कैसा होगा, यह सबसे बड़ा सवाल है।

ग्रामीणों ने कहा: “सरकार की ओर से स्कूल को हाई स्कूल का दर्जा दिया गया, लेकिन बुनियादी जरूरतों तक को पूरा नहीं किया गया। यह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।”

चारदीवारी नहीं, कक्षाओं की भी कमी

विद्यालय परिसर की चारदीवारी नहीं होने के कारण कई बार चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं। इतना ही नहीं, स्कूल में कक्षाओं की भी भारी कमी है, जहां 450 बच्चे मात्र चार कमरों में पढ़ने को मजबूर हैं।

थक हार चुके हैं ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने इस समस्या को लेकर प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी से लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी, शिक्षा अधीक्षक, उपायुक्त और शिक्षा सचिव तक कई बार आवेदन दिए, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ।

मांग करने वालों में बड़ी संख्या में ग्रामीण

हाई स्कूल में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति, चारदीवारी और कक्षाओं के निर्माण की मांग करने वालों में पुरहे पंचायत की मुखिया शंभू पासवान, विद्यालय प्रबंधन समिति अध्यक्ष सोना बच्चा यादव, राकेश कुमार, महेंद्र ठाकुर, मुकेश यादव, राम ब्रत यादव, कामता प्रसाद ठाकुर, हरिहर राम, अशोक कुमार यादव, मोहन प्रसाद यादव, अखिलेश यादव, सुनील कुमार और शतीश ठाकुर समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हैं।

न्यूज़ देखो: शिक्षा की उपेक्षा, किसके जिम्मे भविष्य?

यह घटना साफ दिखाती है कि नीतियां बनाने और जमीनी अमल में भारी अंतर है। एक दशक से ज्यादा समय से अपग्रेडेड हाई स्कूल में एक भी स्थायी शिक्षक नहीं होना प्रशासनिक लापरवाही का प्रमाण है। ग्रामीणों की आवाज अब केवल मांग नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य को बचाने की पुकार है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

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