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हजारीबाग में हाईवा हादसे ने खोली बालू माफिया की पोल, चार घंटे तक घायल ड्राइवर फंसा रहा केबिन में

#हजारीबाग #अवैधबालू — बड़कागांव में बिना टेंडर चल रहे बालू ट्रक ने पेड़ से टकराकर ली दर्दनाक करवट

हादसे में घायल हुआ ड्राइवर, सिस्टम खामोश

हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव में ब्लैकबेरी रेस्टोरेंट और भारत पेट्रोलियम पंप के पास रविवार तड़के लगभग 3 बजे, बालू लदा हाईवा वाहन आम के पेड़ से टकराकर पलट गया। इस दुर्घटना में ड्राइवर नीतीश कुमार केबिन में बुरी तरह फंस गए और चार घंटे तक दर्द में तड़पते रहे

स्थानीय लोगों ने बताया: “नीतीश का एक पैर बुरी तरह टूट गया है और उन्हें गंभीर चोटें आई हैं। उनका इलाज हजारीबाग के एक निजी अस्पताल में चल रहा है।”

हाईवा को लेकर जो सबसे बड़ा खुलासा हुआ है, वह यह है कि यह गाड़ी बड़कागांव की पूर्व विधायक अंबा प्रसाद के भाई अंकित राज की बताई जा रही है। हादसे की खबर मिलते ही कई बालू कारोबारी और दर्जनों ग्रामीण मौके पर पहुंचे और सुबह 7 बजे के आसपास ड्राइवर को किसी तरह बाहर निकाला गया।

बालू कहां से आ रहा है, जब घाट का टेंडर ही नहीं हुआ?

स्थानीय लोगों का दावा है कि बड़कागांव में किसी भी नदी घाट का टेंडर नहीं हुआ है, फिर भी रात में दर्जनों हाईवा बालू लादे दौड़ रहे हैं। यह स्पष्ट करता है कि अवैध बालू कारोबार बेधड़क चल रहा है, और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।

एक ग्रामीण ने कहा: “एक ही चालान से तीन ट्रिप निकल रही हैं, कोई रोकने वाला नहीं है। जब टेंडर ही नहीं हुआ, तो यह बालू कहां से आ रहा है?”

हादसे के बाद पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी दुर्घटना के बाद भी बड़कागांव पुलिस ने घटना की पुष्टि करने से इनकार कर दिया।

पुलिस सूत्रों के अनुसार: “हादसे की गाड़ी को घटनास्थल से हटा लिया गया है। स्थानीय प्रशासन और उत्खनन विभाग पूरी तरह से मौन हैं।”

स्थानीयों का आरोप है कि अवैध बालू के खेल में जिला प्रशासन, बड़कागांव प्रखंड कार्यालय और खनन विभाग की मिलीभगत है, और यही कारण है कि इतनी गंभीर घटना को भी दबाने की कोशिश की गई।

न्यूज़ देखो: सड़क पर बिखरे बालू के साथ बिखर रहा भरोसा

यह हादसा केवल एक ड्राइवर की पीड़ा की कहानी नहीं है, बल्कि यह पूरे बालू माफिया तंत्र की परतें खोलता है। जिस इलाके में एनजीटी की सख्त रोक है, वहाँ बिना टेंडर बालू लादकर चल रहे ट्रक, प्रशासन की निष्क्रियता और पुलिस की चुप्पी — ये सब मिलकर एक भयावह तस्वीर पेश करते हैं।

न्यूज़ देखो यह सवाल करता है — जब बालू घाटों का टेंडर नहीं हुआ, तो गाड़ी में बालू कहां से आया? अगर यह गाड़ी पूर्व विधायक परिवार से जुड़ी है, तो क्या नियम-कानून आम लोगों के लिए ही हैं?

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जनता बोलेगी तो व्यवस्था सुधरेगी

यह वक्त है आवाज़ उठाने का। अगर आपके क्षेत्र में भी अवैध खनन, बालू ढुलाई या ट्रकों की संदिग्ध गतिविधि हो रही है, तो जिम्मेदारी से रिकॉर्ड करें, रिपोर्ट करें और साझा करें।

इस खबर को शेयर करें, अपनी राय नीचे कमेंट करें और सच्चाई के साथ खड़े रहें — ताकि अगली बार कोई और नीतीश सिस्टम की खामोशी का शिकार न बने।

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