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कावरियों की बस को विश्रामपुर थाना प्रभारी ने दिखाया हरी झंडी, निकली बाबानगरी की ओर

#विश्रामपुर #श्रावणी_मेला : बोल बम के जयकारों संग कावरियों की बस हुई रवाना — देवघर, बासुकीनाथ होते हुए पंचमुखी मंदिर तक होगी यात्रा

श्रावणी श्रद्धा का उत्सव, बोल बम के नारों से गूंजा विश्रामपुर

रविवार को विश्रामपुर थाना चौक पर एक अद्वितीय धार्मिक माहौल बना जब कावरियों से भरी एक बस को थाना प्रभारी ऋषिकेश दुबे ने हरी झंडी दिखाकर बाबा नगरी देवघर के लिए रवाना किया। यह बस गया, सुल्तानगंज, देवघर, बासुकीनाथ, राजगीर, रजरप्पा और डाला देवी मंदिर होते हुए अंतिम पड़ाव पंचमुखी मंदिर, विश्रामपुर तक लौटेगी। इस संपूर्ण धार्मिक यात्रा को लेकर स्थानीय लोगों में भी काफी उत्साह देखा गया।

धार्मिक आस्था और प्रशासनिक सौहार्द का संगम

इस मौके पर थाना प्रभारी श्री दुबे ने खुद “बोल बम” के नारों के साथ श्रद्धालुओं का उत्साहवर्धन किया और मंगलमय यात्रा की कामना की। यह आयोजन धार्मिक आस्था और प्रशासनिक सहयोग का सुंदर उदाहरण बना, जिसमें सुरक्षा, उत्साह और सेवा तीनों का संगठित रूप दिखाई दिया।

थाना प्रभारी ऋषिकेश दुबे ने कहा: “श्रावणी मेला आस्था का पर्व है, और कावरियों की सुरक्षा एवं सुविधा के लिए प्रशासन पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मैं सभी श्रद्धालुओं को शुभ यात्रा की शुभकामनाएं देता हूं।”

समाजसेवियों और श्रद्धालुओं की सक्रिय भागीदारी

इस बस यात्रा को रवाना करने के अवसर पर युवा समाजसेवी एवं विवेकानंद पब्लिक स्कूल के निदेशक ऋतु राज मिश्रा, व्यवसायी चंद्रशेखर मिश्रा उर्फ डब्लू, चंदन चौबे, द्वारिक यादव सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे। इन सभी ने मिलकर कावरियों को पूजन सामग्री, फल एवं जलपान उपलब्ध कराया और उनके भक्ति मार्ग की सफलता की कामना की

श्रद्धालुओं में दिखा विशेष उत्साह

कांवड़ यात्रा के इस आयोजन में स्थानीय श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता था। बस पर चढ़ते समय सभी भक्तगण “जय शिव शंकर” और “बोल बम” के जयकारों से गूंजते रहे। कई श्रद्धालु पहली बार इस यात्रा पर जा रहे थे और उन्होंने इस अनुभव को जीवन का आध्यात्मिक उत्सव बताया।

न्यूज़ देखो: सामाजिक समर्पण और प्रशासनिक संवेदनशीलता का संगम

इस खबर ने यह स्पष्ट किया कि जब समाजसेवियों और प्रशासन की नीयत नेक हो, तो आस्था की यात्रा और भी सुगम और प्रेरणादायी बन जाती है। विश्रामपुर प्रशासन ने एक बार फिर यह साबित किया कि धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा, सुविधा और श्रद्धा का संतुलन कैसे स्थापित किया जाता हैहर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

श्रद्धा और सेवा का संगम ही बनता है समाज की शक्ति

हर कांवड़ यात्रा न केवल एक धार्मिक कर्मकांड होती है, बल्कि यह सामूहिक आस्था, सेवा और सहयोग का प्रतीक भी बनती है। आइए, ऐसे आयोजनों में अपनी सक्रिय भागीदारी से समाज को और मजबूत बनाएं। कमेंट करें, शेयर करें और अपने साथियों को भी प्रेरित करें।

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